दुर्ग भिलाई: छत्तीसगढ़ के दौरे पर दुर्ग पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए. इसकी गारंटी मिलनी चाहिए. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करना चाहिए. किसानों पर 20 हजार करोड़ का कर्जा है. जो इस बात को बताता है कि किसान कितने परेशान हैं. उन्होंने कहा कि दुर्ग के बाद वह तमिलनाडु जा रहे हैं.
किसान संसद में राकेश टिकैत ने लिया हिस्सा: दुर्ग में राकेश टिकैत ने किसान संसद में हिस्सा लिया और कहा कि" भूमि अधिग्रहण पर नए रेट पर मुआवजा मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भिलाई स्टील प्लांट में पुराने मजदूरों को तवज्जों मिलनी चाहिए. किसानों को छत्तीसगढ़ में सिर्फ धान पर अच्छी कीमत मिल रही है. लेकिन बाकी फसलों पर अच्छी कीमत नहीं मिल पा रही है. यह समस्या है. अगर सरकार किसानों से दगा करेगी तो उन्हें जवाब मिलेगा"
किसानों और मजदूरों के साथ बीकेयू: राकेश टिकैत ने कहा कि "हमनें किसानों और मजदूरों की समस्याएं सुनीं और उन्हें आश्वासन दिया कि किसान यूनियन उनके साथ खड़ी है. टिकैत ने कहा कि छत्तीसगढ़ में किसानों को लेकर कई समस्याएं हैं जिसे सरकार को दूर करना चहिए. धान के मामले में छत्तीसगढ़ के सरकार ने अच्छा काम किया है लेकिन धान के अलावा अन्य फसलों पर भी छत्तीसगढ़ की सरकार को ध्यान देना चाहिए. धान की खरीदी और समर्थन मूल्य में वृद्धि होनी चाहिए
भूमि अधिग्रहण कानून पर बघेल सरकार को घेरा: राकेश टिकैत ने छत्तीसगढ़ में भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर राज्य सरकार को खरी खोटी सुनाई. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को अधिकार जिला कलेक्टरों को देना चाहिए. जिलों में ही भूमि का मूल्य तय होना चाहिए. इस मामले पर भी सरकार को नए कानून बनाने चाहिए. सरकार से इन विषयों पर बात की जाएगी"
मोदी सरकार पर टिकैत का निशाना: दुर्ग से राकेश टिकैत ने मोदी सरकार पर भी निशाना साधा. टिकैत ने कहा कि "देश में फसलों के दाम, जमीन की सुरक्षा, एमएसपी गारंटी कानून, स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट का मुद्दा आज भी है. जंगलों की कटाई और प्रदूषण का मामला गम्भीर है जिस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है.स्टील प्लांट बंद होने की कगार पर हैं वे भी अडानी को बेचे जा रहे हैं. विशाखापट्टनम से छत्तीसगढ़ में नए रेलवे लाइन बिछाई जा रही है. सभी बड़े ठेके अडानी समूह को दिए जा रहे हैं. क्या भारत सरकार दबाव में काम कर रही है. क्या समुद्र के आसपास के स्टील प्लांट अडानी को ही दिए जाएंगे तो फिर देश के बाकी उद्योगपति कहां जाएंगे."