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Padma Shri award 2023 : दुर्ग जिले की गौरव पंडवानी गायिका ऊषा बारले को मिलेगा पद्मश्री

दुर्ग जिले की पंडवानी गायिका ऊषा बारले को भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना है. जो पूरे दुर्ग जिले के लिए गौरव की बात है. उन्हें यह सम्मान पंडवानी गायन के क्षेत्र में दिया जा रहा हैं.ऊषा बारले ने पंडवानी का प्रशिक्षण प्रख्यात पंडवानी गायिका और पद्म विभूषण तीजनबाई से प्राप्त किया है. उन्होंने भारत के राज्यों सहित लंदन और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में पंडवानी की प्रस्तुति दी है.

Padma Shri award 2023
पंडवानी गायिका ऊषा बारले को मिलेगा पद्मश्री
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Published : Jan 26, 2023, 8:40 PM IST

पंडवानी गायिका ऊषा बारले को मिलेगा पद्मश्री

दुर्ग: पंडवानी गायिका ऊषा बारले ने दुर्ग जिले का मान बढ़ाया है. ऊषा बारले की ख्याति ऐसे तो पूरे देश समेत विश्व में है.लेकिन इस बार उन्हें अपनी कला के लिए भारत के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. इससे पहले पंडवानी के लिए उन्हें छत्तीसगढ़ सरकार ने गुरु घासीदास सामाजिक चेतना पुरस्कार से सम्मानित किया था. इसके साथ ही उन्हें भिलाई स्टील प्लांट प्रबंधन ने दाऊ महासिंह चंद्राकर सम्मान से सम्मानित किया. गिरोधपुरी तपोभूमि में भी वे छह बार स्वर्ण पदक से सम्मानित की जा चुकी है.

Family members congratulate Usha Barle
परिवारवालों ने ऊषा बारले को दी बधाई

अपने फूफा और तीजनबाई से ग्रहण की शिक्षा : पद्मश्री सम्मान के लिए उनके नाम की घोषणा होने के बाद ऊषा बारले और उनका पूरा परिवार बेहद खुश है. उषा बारले अपने फूफा और पंडवानी गायिका तीजन बाई से पडवानी गाने की शिक्षा ग्रहण की है. अब तक उन्होंने 1 हजार से ज्यादा कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुकी है। ऊषा बारले पहले पंथी गाना गाती थी उसके बाद उनकी रुचि पंडवानी के तरफ बढ़ी. 7 साल से वो इस कला के क्षेत्र में आई. उसके बाद से अभी तक पंडवानी गा रही है.

छत्तीसगढ़ बनाने की मांग को लेकर किया प्रदर्शन, जा चुकी हैं जेल : ऊषा बारले ने बताया कि ''पंडवानी गायन छत्तीसगढ़ की प्राचीन विद्या हैं. इसे गायन के माध्यम से महाभारत के सभी पात्र की बखान और पांडव, कौरव की गाथा बताई जाती है. इस दौरान वे छत्तीसगढ़ के खास गहने और वेशभूषा को धारण कर जब मंच पर प्रस्तुति देती है।. तो श्रोता भी पंडवानी को ध्यान से सुनकर आनंदित होते है. 1998 में विद्याचरण शुक्ल के नेतृव में मध्यप्रदेश शासनकाल में छत्तीसगढ़ प्रदेश बनाने की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर में धरना प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस ने ऊषा बारले समेत अन्य लोगों को गिरफ्तार किया था. ऊषा बारले इस दौरान 45 मिनट जेल के अंदर रहीं.''

ये भी पढ़ें-नाचा के अस्तित्व को जिंदा रखने वाले डोमार सिंह को पद्मश्री सम्मान

पिता को नहीं पसंद था गाना : ऊषा बारले ने बताया कि "' बचपन में गाना गाने से गुस्सा में आकर उषा के पिता ने भिलाई के शारदा पारा स्थित कुएं में फेंक दिया था. लेकिन उस समय कुएं में पानी कम था. उसके बाद उसके अन्य परिजनों ने बाल्टी और रस्सी को मदद से बाहर निकाला. इसके बाद से ऊषा ने हार नहीं मानी. वो लगातार अपनी प्रस्तुति देती रहीं.''उषा ने राज्य सरकार से मांग की है कि पंडवानी की शिक्षा के लिए स्कूल खोले जिसमे पंडवानी के रुचि रखने वाले बच्चो को शिक्षा दे सके.

पंडवानी गायिका ऊषा बारले को मिलेगा पद्मश्री

दुर्ग: पंडवानी गायिका ऊषा बारले ने दुर्ग जिले का मान बढ़ाया है. ऊषा बारले की ख्याति ऐसे तो पूरे देश समेत विश्व में है.लेकिन इस बार उन्हें अपनी कला के लिए भारत के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. इससे पहले पंडवानी के लिए उन्हें छत्तीसगढ़ सरकार ने गुरु घासीदास सामाजिक चेतना पुरस्कार से सम्मानित किया था. इसके साथ ही उन्हें भिलाई स्टील प्लांट प्रबंधन ने दाऊ महासिंह चंद्राकर सम्मान से सम्मानित किया. गिरोधपुरी तपोभूमि में भी वे छह बार स्वर्ण पदक से सम्मानित की जा चुकी है.

Family members congratulate Usha Barle
परिवारवालों ने ऊषा बारले को दी बधाई

अपने फूफा और तीजनबाई से ग्रहण की शिक्षा : पद्मश्री सम्मान के लिए उनके नाम की घोषणा होने के बाद ऊषा बारले और उनका पूरा परिवार बेहद खुश है. उषा बारले अपने फूफा और पंडवानी गायिका तीजन बाई से पडवानी गाने की शिक्षा ग्रहण की है. अब तक उन्होंने 1 हजार से ज्यादा कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुकी है। ऊषा बारले पहले पंथी गाना गाती थी उसके बाद उनकी रुचि पंडवानी के तरफ बढ़ी. 7 साल से वो इस कला के क्षेत्र में आई. उसके बाद से अभी तक पंडवानी गा रही है.

छत्तीसगढ़ बनाने की मांग को लेकर किया प्रदर्शन, जा चुकी हैं जेल : ऊषा बारले ने बताया कि ''पंडवानी गायन छत्तीसगढ़ की प्राचीन विद्या हैं. इसे गायन के माध्यम से महाभारत के सभी पात्र की बखान और पांडव, कौरव की गाथा बताई जाती है. इस दौरान वे छत्तीसगढ़ के खास गहने और वेशभूषा को धारण कर जब मंच पर प्रस्तुति देती है।. तो श्रोता भी पंडवानी को ध्यान से सुनकर आनंदित होते है. 1998 में विद्याचरण शुक्ल के नेतृव में मध्यप्रदेश शासनकाल में छत्तीसगढ़ प्रदेश बनाने की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर में धरना प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस ने ऊषा बारले समेत अन्य लोगों को गिरफ्तार किया था. ऊषा बारले इस दौरान 45 मिनट जेल के अंदर रहीं.''

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पिता को नहीं पसंद था गाना : ऊषा बारले ने बताया कि "' बचपन में गाना गाने से गुस्सा में आकर उषा के पिता ने भिलाई के शारदा पारा स्थित कुएं में फेंक दिया था. लेकिन उस समय कुएं में पानी कम था. उसके बाद उसके अन्य परिजनों ने बाल्टी और रस्सी को मदद से बाहर निकाला. इसके बाद से ऊषा ने हार नहीं मानी. वो लगातार अपनी प्रस्तुति देती रहीं.''उषा ने राज्य सरकार से मांग की है कि पंडवानी की शिक्षा के लिए स्कूल खोले जिसमे पंडवानी के रुचि रखने वाले बच्चो को शिक्षा दे सके.

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