दुर्ग: ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी से मोबाइल मंगाए जाने और उसमें टाइल्स के टुकड़े भेजे जाने के मामले में दो साल बाद शिकायतकर्ता को न्याय मिला. परिवादी ने ऑनलाइन शॉपिंग कपंनी से शिकायत करने के बाद भी कोई समाधान नहीं निकलने पर कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई. जिसके बाद जिला उपभोक्ता फोरम ने ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी पर 23 हजार 900 रुपए का हर्जाना लगाया और इसे उपभोक्ता को अदा करने के लिए कंपनी को निर्देश दिया.
सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई फर्जीवाड़े की तस्वीरें
आपापुरा के रहने वाले लोकेश कुमार ने ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी से एक 12 हजार 900 रूपए का मोबाइल बुक कराया, जिसकी डिलीवरी उसे 7 जून 2017 को अपने कार्यालय में मिली. डिलीवरी करने वाले व्यक्ति को रकम भुगतान करने के बाद जब उसने अपने कार्यालय के दूसरे कर्मचारियों के सामने पार्सल खोला तो उसमें से मोबाइल की जगह टाइल्स के टुकड़े निकले, जिसकी पूरी तस्वीर कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हुई.
इसके बाद शिकायतकर्ता लगातार अनावेदक शॉपिंग कंपनी को ई-मेल से शिकायत दर्ज कराता रहा, लेकिन उसकी समस्या का कोई समाधान कंपनी ने नहीं किया.
'पहली जवाबदारी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी की'
प्रकरण में जिला उपभोक्ता फोरम ने यह माना कि ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी सामान बेचने के लिए व्यवसायियों को प्लेटफार्म उपलब्ध कराती है. ग्राहक के प्रति सबसे पहली जवाबदारी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी की बनती है, क्योंकि ग्राहक को इस बात से कोई जानकरी नहीं होती है कि आर्डर किए गए सामान का सप्लायर विक्रेता कौन है.
ग्राहक ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी के प्लेटफार्म पर जाकर ही ऑर्डर करता है और उसे ही राशि का भुगतान करता है, इसलिए ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी को किसी भी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं माना जा सकता है.
23 हजार 900 रुपए का हर्जाना
ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी, उसके कुरियर पार्टनर और सप्लायर विक्रेता को व्यवसायिक दुराचरण और सेवा में निम्नता का जिम्मेदार मानते हुए जिला उपभोक्ता फोरम ने परिवादी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कंपनी, कुरियर कंपनी, सप्लायर विक्रेता के खिलाफ 23 हजार 900 रुपए का हर्जाना लगाया. जिसमें मोबाइल की कीमत 12 हजार 900 रुपए, मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 10 हजार रुपए और वाद व्यय एक हजार परिवादी को भुगतान करने और साथ तय सीमा पर राशि नहीं देना पर 9 प्रतिशत के वार्षिक दर से ब्याज भी देने का फैसला सुनाया है.