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ऑनलाइन मार्केटिंग में फर्जीवाड़े के शिकार शख्स को 2 साल बाद मिला न्याय - दुर्ग ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी

ऑनलाइन और कुरियर कंपनी से धोखाधड़ी के शिकार शख्स को उपभोक्ता फोरम से राहत मिली है. उपभोक्ता फोरम ने मामले में 2 साल बाद फैसला देते हुए ऑनलाइन कंपनी पर 23 हजार से ज्यादा का जुर्माना लगाया है.

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ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड का मामला
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Published : Dec 3, 2019, 10:46 PM IST

Updated : Dec 3, 2019, 11:35 PM IST

दुर्ग: ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी से मोबाइल मंगाए जाने और उसमें टाइल्स के टुकड़े भेजे जाने के मामले में दो साल बाद शिकायतकर्ता को न्याय मिला. परिवादी ने ऑनलाइन शॉपिंग कपंनी से शिकायत करने के बाद भी कोई समाधान नहीं निकलने पर कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई. जिसके बाद जिला उपभोक्ता फोरम ने ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी पर 23 हजार 900 रुपए का हर्जाना लगाया और इसे उपभोक्ता को अदा करने के लिए कंपनी को निर्देश दिया.

ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड का मामला

सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई फर्जीवाड़े की तस्वीरें
आपापुरा के रहने वाले लोकेश कुमार ने ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी से एक 12 हजार 900 रूपए का मोबाइल बुक कराया, जिसकी डिलीवरी उसे 7 जून 2017 को अपने कार्यालय में मिली. डिलीवरी करने वाले व्यक्ति को रकम भुगतान करने के बाद जब उसने अपने कार्यालय के दूसरे कर्मचारियों के सामने पार्सल खोला तो उसमें से मोबाइल की जगह टाइल्स के टुकड़े निकले, जिसकी पूरी तस्वीर कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हुई.

इसके बाद शिकायतकर्ता लगातार अनावेदक शॉपिंग कंपनी को ई-मेल से शिकायत दर्ज कराता रहा, लेकिन उसकी समस्या का कोई समाधान कंपनी ने नहीं किया.

'पहली जवाबदारी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी की'
प्रकरण में जिला उपभोक्ता फोरम ने यह माना कि ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी सामान बेचने के लिए व्यवसायियों को प्लेटफार्म उपलब्ध कराती है. ग्राहक के प्रति सबसे पहली जवाबदारी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी की बनती है, क्योंकि ग्राहक को इस बात से कोई जानकरी नहीं होती है कि आर्डर किए गए सामान का सप्लायर विक्रेता कौन है.

ग्राहक ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी के प्लेटफार्म पर जाकर ही ऑर्डर करता है और उसे ही राशि का भुगतान करता है, इसलिए ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी को किसी भी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं माना जा सकता है.

23 हजार 900 रुपए का हर्जाना
ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी, उसके कुरियर पार्टनर और सप्लायर विक्रेता को व्यवसायिक दुराचरण और सेवा में निम्नता का जिम्मेदार मानते हुए जिला उपभोक्ता फोरम ने परिवादी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कंपनी, कुरियर कंपनी, सप्लायर विक्रेता के खिलाफ 23 हजार 900 रुपए का हर्जाना लगाया. जिसमें मोबाइल की कीमत 12 हजार 900 रुपए, मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 10 हजार रुपए और वाद व्यय एक हजार परिवादी को भुगतान करने और साथ तय सीमा पर राशि नहीं देना पर 9 प्रतिशत के वार्षिक दर से ब्याज भी देने का फैसला सुनाया है.

दुर्ग: ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी से मोबाइल मंगाए जाने और उसमें टाइल्स के टुकड़े भेजे जाने के मामले में दो साल बाद शिकायतकर्ता को न्याय मिला. परिवादी ने ऑनलाइन शॉपिंग कपंनी से शिकायत करने के बाद भी कोई समाधान नहीं निकलने पर कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई. जिसके बाद जिला उपभोक्ता फोरम ने ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी पर 23 हजार 900 रुपए का हर्जाना लगाया और इसे उपभोक्ता को अदा करने के लिए कंपनी को निर्देश दिया.

ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड का मामला

सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई फर्जीवाड़े की तस्वीरें
आपापुरा के रहने वाले लोकेश कुमार ने ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी से एक 12 हजार 900 रूपए का मोबाइल बुक कराया, जिसकी डिलीवरी उसे 7 जून 2017 को अपने कार्यालय में मिली. डिलीवरी करने वाले व्यक्ति को रकम भुगतान करने के बाद जब उसने अपने कार्यालय के दूसरे कर्मचारियों के सामने पार्सल खोला तो उसमें से मोबाइल की जगह टाइल्स के टुकड़े निकले, जिसकी पूरी तस्वीर कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हुई.

इसके बाद शिकायतकर्ता लगातार अनावेदक शॉपिंग कंपनी को ई-मेल से शिकायत दर्ज कराता रहा, लेकिन उसकी समस्या का कोई समाधान कंपनी ने नहीं किया.

'पहली जवाबदारी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी की'
प्रकरण में जिला उपभोक्ता फोरम ने यह माना कि ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी सामान बेचने के लिए व्यवसायियों को प्लेटफार्म उपलब्ध कराती है. ग्राहक के प्रति सबसे पहली जवाबदारी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी की बनती है, क्योंकि ग्राहक को इस बात से कोई जानकरी नहीं होती है कि आर्डर किए गए सामान का सप्लायर विक्रेता कौन है.

ग्राहक ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी के प्लेटफार्म पर जाकर ही ऑर्डर करता है और उसे ही राशि का भुगतान करता है, इसलिए ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी को किसी भी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं माना जा सकता है.

23 हजार 900 रुपए का हर्जाना
ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी, उसके कुरियर पार्टनर और सप्लायर विक्रेता को व्यवसायिक दुराचरण और सेवा में निम्नता का जिम्मेदार मानते हुए जिला उपभोक्ता फोरम ने परिवादी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कंपनी, कुरियर कंपनी, सप्लायर विक्रेता के खिलाफ 23 हजार 900 रुपए का हर्जाना लगाया. जिसमें मोबाइल की कीमत 12 हजार 900 रुपए, मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 10 हजार रुपए और वाद व्यय एक हजार परिवादी को भुगतान करने और साथ तय सीमा पर राशि नहीं देना पर 9 प्रतिशत के वार्षिक दर से ब्याज भी देने का फैसला सुनाया है.

Intro:दुर्ग उपभोक्ता फोरम ने ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी से मोबाइल मंगाए जाने पर पार्सल में मोबाइल की बजाय टाइल्स के टुकड़े मिले, जिसके परिवादी ने ऑनलाइन शॉपिंग कपंनी से शिकायत करने के बार भी कोई समाधान नही निकला तो परिवादी ने ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी इबे इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और उसके सहयोगी व्यावसायिक संस्थान एरोमैक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड तथा श्री कृष्णा सेल्स एजेंसी (जयपुर) के खिलाफ परिवादी ने उपभोक्ता फोरम प्रकरण दायर किया था जिसके बाद आज जिला उपभोक्ता फोरम ने ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी पर 23900 हर्जाना लगाया।



Body:आपापुरा दुर्ग निवासी लोकेश कुमार ने ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी इबे इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से शिओमी कंपनी का रेडमी मोबाइल रु. 12900 में बुक कराया जिसकी डिलीवरी उसे 7 जून 2017 को अपने कार्यालय में मिली। डिलीवरी करने वाले व्यक्ति को रकम भुगतान करने के बाद जब उसने अपने कार्यालय के अन्य कर्मचारियों के सामने पार्सल खोला तो उसमें से मोबाइल के स्थान पर टाइल्स के टुकड़े निकले, जिसकी पूरी तस्वीर कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरे में भी दर्ज हुई, इसके बाद परिवादी लगातार अनावेदक शॉपिंग कंपनी को ई-मेल से शिकायत दर्ज कराता रहा लेकिन उसकी समस्या का कोई समाधान कम्पनी द्वारा नहीं किया गया।





Conclusion:प्रकरण में जिला उपभोक्ता फोरम ने यह माना कि ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी सामान बेचने के लिए व्यवसायियों को प्लेटफार्म उपलब्ध कराती है। ग्राहक के प्रति सबसे पहली जवाबदारी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी की बनती है क्योंकि ग्राहक को इस बात से कोई जानकरी नहीं होती है कि आर्डर किए गए सामान का सप्लायर विक्रेता कौन है। ग्राहक ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी के प्लेटफार्म पर जाकर ही ऑर्डर करता है और उसे ही राशि का भुगतान करता है इसलिए ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी को किसी भी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं माना जा सकता है। ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी की यह जिम्मेदारी बनती थी कि ग्राहक को वास्तविक सामान प्राप्त हो रहा है या नहीं इसे देखे लेकिन ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी ने अपनी जिम्मेदारी मात्र ऑर्डर बुक करने तक ही सीमित रखी और जब परिवादी को दोषपूर्ण सामान की डिलीवरी के बाद कोई जिम्मेदारी नही लेती है । ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी, उसके कुरियर पार्टनर और सप्लायर विक्रेता को व्यवसायिक दुराचरण एवं सेवा में निम्नता का जिम्मेदार मानते हुए जिला उपभोक्ता फोरम ने परिवादी के पक्ष ने फैसला सुनते हुए कपनी,कुरियर कम्पनी,सप्लायर विक्रेता के खिलाफ 23900 हर्जाना लगाया, जिसमें मोबाइल की कीमत 12900, मानसिक क्षतिपूर्ति रूप में 10000 तथा वाद व्यय 1000 परिवादी को भुगतान करने और साथ तय सीमा पर राशि नही देना पर 9 % वार्षिक दर से ब्याज भी देना का फैसला सुनाया है
Last Updated : Dec 3, 2019, 11:35 PM IST
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