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भिलाई स्टील प्लांट में गेट पास चेक कराना समझो एवरेस्ट चढ़ना ! - सीआईएसएफ

Bhilai Steel Plant भिलाई स्टील प्लांट में कर्मचारियों को अंदर घुसने के लिए नई मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है.गेट पास चेक करने के नाम पर सीआईएसएफ जवानों को अब पहले के मुकाबले ज्यादा समय लग रहा है.

Bhilai Steel Plant
भिलाई स्टील प्लांट
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 16, 2024, 3:56 PM IST

भिलाई : भिलाई स्टील प्लांट में इन दिनों काम करने आने वाले कर्मचारियों को नई मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है. सीआइएसएफ की सुस्ती कर्मचारियों पर भारी पड़ रही है. क्योंकि ड्यूटी जाने वालों की लंबी लाइन गेट पर लगने लगी है. इस बात को लेकर कर्मचारियों और सीआइएसएफ जवानों रोजाना विवाद की स्थिति पैदा हो रही है.जिसे लेकर अब कर्मचारी यूनियन सीटू ने प्रबंधन का ध्यान इस ओर खींचा है.

कर्मचारियों यूनियन ने जताई नाराजगी : सीटू यूनियन का कहना है कि प्लांट आते समय गेट पास दिखाना कर्मी की जिम्मेदारी है. गेट पास चेक करके कर्मी को अंदर भेजना सीआईएसएफ की ओर से तैनात कर्मी की ड्यूटी है. जो बहुत ही आराम से चल रहा है. लेकिन कुछ दिनों से गेट पास को लेकर सख्ती बढ़ गई है. फर्जी गेट पास की शिकायत और मामले सामने आ चुके हैं. डुप्लीकेट कलर गेट पास को रोकने के लिए गहराई से चेक करने की बात सीआईएसएफ बोल रही है.जिसकी वजह से आए दिन गेट पर कर्मचारियों और सीआईएसएफ के बीच झड़प हो रही है.

क्या है प्रबंधन का कहना ? : यूनियन के मुताबिक संयंत्र में कार्य करने वाले कर्मियों के लिए पिछले दिनों प्रबंधन ने गाड़ी का क्यूआर कोड बनवाया था. जिसमें संयंत्र के अंदर आते समय कर्मी को गेट पास के साथ-साथ गाड़ी का क्यूआर कोड भी दिखाना जरूरी है. जिसे सीआईएसएफ के कर्मी जांच कर गाड़ी के नंबर प्लेट के साथ मिलान करेंगे इसके बाद अंदर जाने देंगे. वहीं प्रबंधन के मुताबिक व्यवस्था गलत गाड़ी और लोगों को अंदर घुसने से रोकने के लिए है.लेकिन जिस तरह से अधिकारियों के बदलने पर नए नियम बनते हैं.उनसे परेशानी सिर्फ कर्मचारियों को ही होती है.

'' कभी संयंत्र में 60000 स्थाई कर्मी हुआ करते थे. अब अधिकारी सहित मात्र 15000 कर्मी रह गए हैं. लेकिन पिछले कुछ दिनों से गेट पास की वैधता चेक करने के नाम पर गेट के अंदर जाने के लिए जो कवायद चल रही है,वो कर्मचारियों को परेशान करने वाली है.'' डीवीएस रेड्‌डी,उपाध्यक्ष, सीटू

वहीं इस बारे में पॉल्यूशन महासचिव जेपी त्रिवेदी का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से गेट पास चेकिंग के नाम पर गेट में इतनी ज्यादा भीड़ लगने लगी है कि गेट के अंदर पहुंचने में हर कर्मी को 5 से 10 मिनट लग रहा है. इतने समय तक गाड़ी चालू रहने के कारण इतना पॉल्यूशन बढ़ रहा है.खड़े-खड़े ही घुटन होने लगती है. चेकिंग करने वाले सीआईएसएफ कर्मी भले ही मास्क लगाकर काम कर रहे हो,लेकिन वो भी इस पॉल्यूशन से नहीं बच सकते हैं.

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क्या है प्रबंधन का कहना ? : यूनियन के मुताबिक संयंत्र में कार्य करने वाले कर्मियों के लिए पिछले दिनों प्रबंधन ने गाड़ी का क्यूआर कोड बनवाया था. जिसमें संयंत्र के अंदर आते समय कर्मी को गेट पास के साथ-साथ गाड़ी का क्यूआर कोड भी दिखाना जरूरी है. जिसे सीआईएसएफ के कर्मी जांच कर गाड़ी के नंबर प्लेट के साथ मिलान करेंगे इसके बाद अंदर जाने देंगे. वहीं प्रबंधन के मुताबिक व्यवस्था गलत गाड़ी और लोगों को अंदर घुसने से रोकने के लिए है.लेकिन जिस तरह से अधिकारियों के बदलने पर नए नियम बनते हैं.उनसे परेशानी सिर्फ कर्मचारियों को ही होती है.

'' कभी संयंत्र में 60000 स्थाई कर्मी हुआ करते थे. अब अधिकारी सहित मात्र 15000 कर्मी रह गए हैं. लेकिन पिछले कुछ दिनों से गेट पास की वैधता चेक करने के नाम पर गेट के अंदर जाने के लिए जो कवायद चल रही है,वो कर्मचारियों को परेशान करने वाली है.'' डीवीएस रेड्‌डी,उपाध्यक्ष, सीटू

वहीं इस बारे में पॉल्यूशन महासचिव जेपी त्रिवेदी का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से गेट पास चेकिंग के नाम पर गेट में इतनी ज्यादा भीड़ लगने लगी है कि गेट के अंदर पहुंचने में हर कर्मी को 5 से 10 मिनट लग रहा है. इतने समय तक गाड़ी चालू रहने के कारण इतना पॉल्यूशन बढ़ रहा है.खड़े-खड़े ही घुटन होने लगती है. चेकिंग करने वाले सीआईएसएफ कर्मी भले ही मास्क लगाकर काम कर रहे हो,लेकिन वो भी इस पॉल्यूशन से नहीं बच सकते हैं.

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