दुर्ग: वन विभाग की ओर से लाखों रुपये खर्च कर पौधे रोपे गए थे. पौधे पेड़ बनने से पहले ही सूख गए. 2016-17 में वन विभाग ने हतखोज स्थित जिला उद्योग केंद्र की जमीन पर नीलगिरी के 13 हजार से अधिक पौधे लगाए थे. ताकि औद्योगिक क्षेत्र में पर्यावरण संतुलन बना रहे. साथ ही पूरा इलाका भी हरा-भरा रहे, लेकिन ऐसा होने से पहले ही पौधे सूख गए. इस लापरवाही की वजह से लाखों रुपये का नुकसान हो गया.
पौधों के संरक्षण को लेकर अक्सर वन विभाग की लापरवाही सामने आती रही है. 2016-17 में लगे इन पौधों का संरक्षण बमुश्किल सालभर तक किया गया. इसके लिए बाकायदा कर्मचारी नियुक्त थे, जो पौधों की देखभाल व उनको पानी देने का काम करते थे. एक साल में ही आधे से ज्यादा पौधे सूख गए. 2018 के बाद इनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था. लिहाजा बचे हुए पौधे भी सूख गए और कुछ लोगों द्वारा गायब कर दिए गए. वर्तमान में इस स्थान पर पौधों का ठूंठ भी नजर नहीं आ रहा है. पूरी जमीन बंजर दिखाई दे रही है.
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56 लाख रुपये बर्बाद
औद्योगिक क्षेत्र में पौधरोपण के लिए वन विभाग ने गरियाबंद से नीलगिरी के 13 हजार 328 पौधे मंगाए थे. एक पौधे की कीमत 3 से 5 रुपये थी. विभाग ने इसके लिए परिवहन, पौधरोपण फेंसिंग और देखभाल मिलाकर 56 लाख रुपये का खर्च बताया था, लेकिन 5 साल में ही 56 लाख रुपए पर पानी फिर गया.
जांच के दिए गए आदेश
वन विभाग के डीएफओ धम्मशील गणवीर का कहना है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी. इसके लिए दुर्ग के एसडीओ को जांच अधिकारी बनाया गया है. इसमें जिस भी जिम्मेदार अधिकारी द्वारा लापरवाही की गई है, जांच के बाद उनपर कार्रवाई की जाएगी.