दुर्ग: दुर्ग जिले में किसान पुस्तिका(ऋण पुस्तिका) की काफी कमी है. जिसके चलते किसान जमीन की रजिस्ट्री और प्रमाणिकरण के बाद लोगों को तीन महीनों से पटवारी और तहसील कार्यालय का चक्कर काटना पड़ रहा है. जनवरी महीने में पूरे एक साल के लिए करीब 40 हजार पुस्तिका की डिमांड की गई थी. लेकिन अब नवंबर महीना समाप्त होने को हैं. जानकारी के अनुसार अब तक महज 15 हजार ही पुस्तिका जिले को उपलब्ध हो पाये हैं. जिसके कारण जिले में किसान पुस्तिका बनाने को लेकर लोगों को भटकना पड़ रहा है.
दुर्ग जिले में 40 हजार की है डिमांड, सिर्फ 15 हजार मिली ऋण पुस्तिका: जमीनों की खरीदी और बिक्री करने वालों सहित किसानों को अपने जमीनों की किसान किताब जिसे ऋण पुस्तिका भी कहा जाता है. उसे बनवाने के लिए पिछले तीन महीनों से भटकना पड़ रहा है. पटवारी के पास जाने के बाद इन्हें तहसील कार्यालय जाने को कहा जाता है. इसके बाद तहसीलदार द्वारा इन्हें वापस पटवारी कार्यालय भेज दिया जाता है. दुर्ग जिले में करीब 60 पटवारी कार्यालय है, जहां प्रतिदिन 30 ऋण पुस्तिका बनाया जाता है. अधिकांश कार्यालय में ऋण पुस्तिका खत्म हो गई है. खुद पटवारी भी तहसील कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं. कई बार विवाद की स्थिति भी निर्मित हो जा रही है.
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अधिकारी ने स्वीकार किया है ऋण पुस्तिका की कमी जल्द की जायेगी पूर्ति: दुर्ग की नायाब तहसीलदार प्रेरणा सिंह ने बताया कि "जिले ऋण पुस्तिका की कमी को स्वीकार किया है और इसके लिए उन्होंने अपना डिमांड लेटर जिले के अधिकारियों से अवगत कराया है. सरकारी दस्तावेजों की प्रिंटिंग पूरे प्रदेश में सिर्फ राजनांदगांव में होती है और पुस्तिका छपने के बाद जब जिले को सप्लाई होगी तो उसे पटवारियों कार्यालयों में वितरण किया जायेगा."