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दुर्ग के श्मशान घाट का हाल, 'अंतिम संस्कार के लिए भी नहीं मिल रही जगह'

छत्तीसगढ़ के दुर्ग में कोरोना संक्रमण से हालात बेकाबू हो गए हैं. अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड नहीं मिल रहे तो मृतकों के अंतिम संस्कार (funeral) के लिए श्मशान घाट (Crematorium) में जगह नहीं मिल रही है.

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दुर्ग में कोरोना से हालात बेकाबू अंतिम संस्कार के लिए भी नहीं मिल रही जगह
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Published : Apr 12, 2021, 9:57 PM IST

Updated : Apr 12, 2021, 10:04 PM IST

दुर्ग: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहे छत्तीसगढ़ के दुर्ग में शहर से लेकर गांव तक कोरोना संक्रमितों के साथ ही मौत का आंकड़ा भी बढ़ते जा रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने मुक्तिधाम (Crematorium) का जायजा लिया तो ऐसी तस्वीरें सामने आईं, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देंगी.

दुर्ग में कोरोना मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट में जगह नहीं

मुक्तिधाम के बाहर लकड़ियों के ढेर

दुर्ग के मुक्तिधामों में रोजाना 50 से ज्यादा लाशें जल रही हैं. कोरोना से भी हर रोज 20 के करीब लोगों की मौत हो रही है. ऐसे में पहली बार जिले के मुक्तिधाम के बाहर लकड़ी के ढेर नजर आ रहे हैं. इतनी बड़ी मात्रा में लकड़ी के भंडार है कि आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जिले के मुक्तिधामों में कितनी लाशें जल रही होगी. मुक्तिधामों के बाहर 20 से 30 फीट ऊंचाई पर लकड़ी के भंडार दिखाई दे रहे हैं.

मुक्तिधामों में चिता पहले से तैयार

दुर्ग में मौत की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है. कोरोना से अब तक जिले में 939 लोगों की मौत हो चुकी है. अब भी यह सिलसिला जारी है. जिसकी वजह से मुक्तिधामों में पहले से चिता तैयार कर दी गई है, क्योंकि हर रोज अलग-अलग 50 से ज्यादा लाशें जल रही है. यह लोगों के साथ ही प्रशासन के लिए भी चिंता का विषय है.

छत्तीसगढ़ के 28 में से 20 जिलों में टोटल लॉकडाउन

मुक्तिधाम में ज्यादा पैसों की डिमांड!

प्राइवेट लकड़ी संचालक पवन ताम्रकार ने बताया कि मुक्तिधाम में किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं है. यहां न ही पीने के लिए पानी है और न ही प्रशासन का कोई भी व्यक्ति कोविड नियमों का पालन कराने के लिए मौजूद है. आलम यह है कि कोरोना से मौत होने पर शव को जलाने या लाने या छूने के लिए पैसों की डिमांड की जाती है. अगर पैसे नहीं मिलते तो वे शव को छूने नहीं देते. यहां पूरे दिन भर में कई लाशें आ रही हैं.

1 अप्रैल से अबतक कोरोना का आंकड़ा

  • 1 अप्रैल – 996 केस – 7 मौतें
  • 2 अप्रैल – 964 केस- 7 मौतें
  • 3 अप्रैल - 857 केस-10 मौतें
  • 4 अप्रैल- 995 केस-10 मौतें
  • 5 अप्रैल-1169 केस-6 मौतें
  • 6 अप्रैल- 1838 केस-9 मौतें
  • 7 अप्रैल-1664 केस-6 मौतें
  • 8 अप्रैल- 2132 केस-19 मौतें
  • 9 अप्रैल- 1786 केस-21 मौतें
  • 10 अप्रैल – 2272केस – 27 मौतें
  • 11 अप्रैल – 1651 केस – 26 मौतें

एक नजर में देखें दुर्ग जिले की स्थिति

  • दुर्ग में लॉकडाउन- 6 से 14 अप्रैल तक
  • कोरोना से मौत- 939
  • एक्टिव केस- 16758
  • दुर्ग की आबादी करीब 20 लाख
  • निजी और शासकीय अस्पतालों में कुल 1483 बेड, 706 ऑक्सीजन बेड और वेंटिलेटर 89
  • पाटन में 25 नए ऑक्सीजन बेड बनाने की तैयारी
  • जिले में 60 से ज्यादा कंटेनमेंट जोन
  • जिले में पेट्रोल पंप, LPG गैस, ATM, दवाई दुकानें हैं खुली
  • दुर्ग में दवाइयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध
  • शहर में 4 मुक्तिशाम, रोजाना जल रही लाशें

दुर्ग: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहे छत्तीसगढ़ के दुर्ग में शहर से लेकर गांव तक कोरोना संक्रमितों के साथ ही मौत का आंकड़ा भी बढ़ते जा रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने मुक्तिधाम (Crematorium) का जायजा लिया तो ऐसी तस्वीरें सामने आईं, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देंगी.

दुर्ग में कोरोना मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट में जगह नहीं

मुक्तिधाम के बाहर लकड़ियों के ढेर

दुर्ग के मुक्तिधामों में रोजाना 50 से ज्यादा लाशें जल रही हैं. कोरोना से भी हर रोज 20 के करीब लोगों की मौत हो रही है. ऐसे में पहली बार जिले के मुक्तिधाम के बाहर लकड़ी के ढेर नजर आ रहे हैं. इतनी बड़ी मात्रा में लकड़ी के भंडार है कि आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जिले के मुक्तिधामों में कितनी लाशें जल रही होगी. मुक्तिधामों के बाहर 20 से 30 फीट ऊंचाई पर लकड़ी के भंडार दिखाई दे रहे हैं.

मुक्तिधामों में चिता पहले से तैयार

दुर्ग में मौत की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है. कोरोना से अब तक जिले में 939 लोगों की मौत हो चुकी है. अब भी यह सिलसिला जारी है. जिसकी वजह से मुक्तिधामों में पहले से चिता तैयार कर दी गई है, क्योंकि हर रोज अलग-अलग 50 से ज्यादा लाशें जल रही है. यह लोगों के साथ ही प्रशासन के लिए भी चिंता का विषय है.

छत्तीसगढ़ के 28 में से 20 जिलों में टोटल लॉकडाउन

मुक्तिधाम में ज्यादा पैसों की डिमांड!

प्राइवेट लकड़ी संचालक पवन ताम्रकार ने बताया कि मुक्तिधाम में किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं है. यहां न ही पीने के लिए पानी है और न ही प्रशासन का कोई भी व्यक्ति कोविड नियमों का पालन कराने के लिए मौजूद है. आलम यह है कि कोरोना से मौत होने पर शव को जलाने या लाने या छूने के लिए पैसों की डिमांड की जाती है. अगर पैसे नहीं मिलते तो वे शव को छूने नहीं देते. यहां पूरे दिन भर में कई लाशें आ रही हैं.

1 अप्रैल से अबतक कोरोना का आंकड़ा

  • 1 अप्रैल – 996 केस – 7 मौतें
  • 2 अप्रैल – 964 केस- 7 मौतें
  • 3 अप्रैल - 857 केस-10 मौतें
  • 4 अप्रैल- 995 केस-10 मौतें
  • 5 अप्रैल-1169 केस-6 मौतें
  • 6 अप्रैल- 1838 केस-9 मौतें
  • 7 अप्रैल-1664 केस-6 मौतें
  • 8 अप्रैल- 2132 केस-19 मौतें
  • 9 अप्रैल- 1786 केस-21 मौतें
  • 10 अप्रैल – 2272केस – 27 मौतें
  • 11 अप्रैल – 1651 केस – 26 मौतें

एक नजर में देखें दुर्ग जिले की स्थिति

  • दुर्ग में लॉकडाउन- 6 से 14 अप्रैल तक
  • कोरोना से मौत- 939
  • एक्टिव केस- 16758
  • दुर्ग की आबादी करीब 20 लाख
  • निजी और शासकीय अस्पतालों में कुल 1483 बेड, 706 ऑक्सीजन बेड और वेंटिलेटर 89
  • पाटन में 25 नए ऑक्सीजन बेड बनाने की तैयारी
  • जिले में 60 से ज्यादा कंटेनमेंट जोन
  • जिले में पेट्रोल पंप, LPG गैस, ATM, दवाई दुकानें हैं खुली
  • दुर्ग में दवाइयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध
  • शहर में 4 मुक्तिशाम, रोजाना जल रही लाशें
Last Updated : Apr 12, 2021, 10:04 PM IST
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