ETV Bharat / state

छत्तीसगढ़ की पहली महिला पैडवुमैन अमिता, जिसने महिलाओं को इस तरह बीमारी से बचाया

छत्तीसगढ़ की पहली महिला पैड वुमैन अमिता जिन्होंने महिलाओं की सुरक्षा के लिए पैड्स बनाना शुरू किया. विस्तृत जानकारी के लिए पढ़िए पूरी खबर..

lady padman amita
महिला पैडमैन अमिता
author img

By

Published : Mar 7, 2022, 10:28 PM IST

दुर्ग: आपने वह फ़िल्म तो देखी होगी जिसमें अभिनेता अक्षय कुमार पैडमैन के किरदार निभाते नजर आए हैं. लेकिन वह फिल्मी दुनिया की बात थी हम आपको रीयल दुनिया के एक ऐसी महिला पैड वुमेन से मिलवाने जा रहे हैं जिनकी कहानी पैडमैन फिल्म नहीं बल्कि हकीकत है. छत्तीसगढ़ में मैटरनिटी पैड्स और पोस्टमार्टम पैड्स के बार में कम लोग ही जानते हैं. डिलीवरी के वक्त अत्यधिक ब्लीडिंग होने की वजह से यह पैड्स इस्तेमाल किया जाता है. छत्तीसगढ़ में पोस्टमार्टम पैड्स बनाया जाए.

ऐसा कम लोगों ने ही सोचा होगा. लेकिन दुर्ग की अमिता ने पोस्टमार्टम पैड्स बनाने की ठानी. उन्होंने इसके लिए कोयंबटूर में रहने वाले अरुणाचलम से मुलाकात की और पैड्स बनाने के गुर सीखे.अरुणाचलम केरल के गांधीग्राम इंस्टिट्यूट डिंडीगुल में ट्रेनिंग देते हैं. वहां से प्रशिक्षण पाने के बाद अमिता ने मैटरनिटी पैड्स बनाना शुरू (Amita started making maternity pads in Chhattisgarh) किया.

यह भी पढ़ेंः नक्सलियों ने छीन लिया था सर से पिता का साया...आज बस्तर की बेटी लिपि मेश्राम बनीं मिस इंडिया

नागपुर से मशीन लाकर की शुरुआत

अमिता ने मैटरनिटी पैड्स के लिए नागपुर से अल्ट्रा वायलेट मशीन मंगवाई. उसे खुद असेंबल किया. अमिता के पास पूंजी भी नहीं थी. उन्होंने लोन लेकर सेटअप खड़ा किया. इस तरह मैटरनिटी पैड्स बनाने का कारखाना शुरू हो गया.अमिता कुमार बताती है कि एनजीओ अतुल समाज सेवी संस्थान ने आदिम जाति विभाग के गर्ल्स हॉस्टल की लड़कियों के लिए उन्हें सेनेटरी यूनिट तैयार करने का प्रस्ताव दिया था. जिसे स्वीकार करते हुए अम्बागढ़के सेनेटरी पैड का पहला प्रोजेक्ट उन्होंने शुरू किया. उसके बाद मैटरनिटी पैड्स निर्माण का कार्य भी किया. अब उनके प्रोडक्ट शासकीय अस्पतालों और प्राइवेट संस्थाओ के साथ साथ दुर्ग के पाटन, धरसींवा और तिल्दा में भी सप्लाई की जा रही है. मैटरनिटी पैड्स नॉर्मल पैड्स की तुलना में ज्यादा बड़ा और सॉफ्ट होता है. ताकि महिलाओं को इचिंग और इंफेक्शन न हो सके. अमिता जिस नाम से यह उद्योग चलाती है उसका नाम कुमार ग्रुप है. उन्होंने अपने बेटे के नाम पर लोन लेकर इस बिजनेस को शुरू किया.

अमिता महिला उत्थान के साथ साथ महिलाओं को दे रही है रोजगार

अमिता कुमार अपनी संस्था में लगभग 20 से 25 वर्ष की महिलाओं को रोजगार देकर पैड्स बनाने का कार्य कर रही हैं. संस्था में काम करने वाली संगीता साहू ने बताया कि, 7 महीने से संस्था में काम कर रही हैं. प्रति दिन 150 से 160 पैड्स तैयार करते हैं अमिता ने कई छात्रों को भी इस कार्य मे रखा है.अमिता कुमार ने बताया कि, राज्य सरकार इस पैड्स को अनिवार्य रूप से सभी जिले के शासकीय अस्पतालों में लागू किया जाए जो स्थानीय महिलाओं के द्वारा निर्माण कर रहे है. इससे लोकल फोर वोकल को बढ़ावा मिलेगा.

दुर्ग: आपने वह फ़िल्म तो देखी होगी जिसमें अभिनेता अक्षय कुमार पैडमैन के किरदार निभाते नजर आए हैं. लेकिन वह फिल्मी दुनिया की बात थी हम आपको रीयल दुनिया के एक ऐसी महिला पैड वुमेन से मिलवाने जा रहे हैं जिनकी कहानी पैडमैन फिल्म नहीं बल्कि हकीकत है. छत्तीसगढ़ में मैटरनिटी पैड्स और पोस्टमार्टम पैड्स के बार में कम लोग ही जानते हैं. डिलीवरी के वक्त अत्यधिक ब्लीडिंग होने की वजह से यह पैड्स इस्तेमाल किया जाता है. छत्तीसगढ़ में पोस्टमार्टम पैड्स बनाया जाए.

ऐसा कम लोगों ने ही सोचा होगा. लेकिन दुर्ग की अमिता ने पोस्टमार्टम पैड्स बनाने की ठानी. उन्होंने इसके लिए कोयंबटूर में रहने वाले अरुणाचलम से मुलाकात की और पैड्स बनाने के गुर सीखे.अरुणाचलम केरल के गांधीग्राम इंस्टिट्यूट डिंडीगुल में ट्रेनिंग देते हैं. वहां से प्रशिक्षण पाने के बाद अमिता ने मैटरनिटी पैड्स बनाना शुरू (Amita started making maternity pads in Chhattisgarh) किया.

यह भी पढ़ेंः नक्सलियों ने छीन लिया था सर से पिता का साया...आज बस्तर की बेटी लिपि मेश्राम बनीं मिस इंडिया

नागपुर से मशीन लाकर की शुरुआत

अमिता ने मैटरनिटी पैड्स के लिए नागपुर से अल्ट्रा वायलेट मशीन मंगवाई. उसे खुद असेंबल किया. अमिता के पास पूंजी भी नहीं थी. उन्होंने लोन लेकर सेटअप खड़ा किया. इस तरह मैटरनिटी पैड्स बनाने का कारखाना शुरू हो गया.अमिता कुमार बताती है कि एनजीओ अतुल समाज सेवी संस्थान ने आदिम जाति विभाग के गर्ल्स हॉस्टल की लड़कियों के लिए उन्हें सेनेटरी यूनिट तैयार करने का प्रस्ताव दिया था. जिसे स्वीकार करते हुए अम्बागढ़के सेनेटरी पैड का पहला प्रोजेक्ट उन्होंने शुरू किया. उसके बाद मैटरनिटी पैड्स निर्माण का कार्य भी किया. अब उनके प्रोडक्ट शासकीय अस्पतालों और प्राइवेट संस्थाओ के साथ साथ दुर्ग के पाटन, धरसींवा और तिल्दा में भी सप्लाई की जा रही है. मैटरनिटी पैड्स नॉर्मल पैड्स की तुलना में ज्यादा बड़ा और सॉफ्ट होता है. ताकि महिलाओं को इचिंग और इंफेक्शन न हो सके. अमिता जिस नाम से यह उद्योग चलाती है उसका नाम कुमार ग्रुप है. उन्होंने अपने बेटे के नाम पर लोन लेकर इस बिजनेस को शुरू किया.

अमिता महिला उत्थान के साथ साथ महिलाओं को दे रही है रोजगार

अमिता कुमार अपनी संस्था में लगभग 20 से 25 वर्ष की महिलाओं को रोजगार देकर पैड्स बनाने का कार्य कर रही हैं. संस्था में काम करने वाली संगीता साहू ने बताया कि, 7 महीने से संस्था में काम कर रही हैं. प्रति दिन 150 से 160 पैड्स तैयार करते हैं अमिता ने कई छात्रों को भी इस कार्य मे रखा है.अमिता कुमार ने बताया कि, राज्य सरकार इस पैड्स को अनिवार्य रूप से सभी जिले के शासकीय अस्पतालों में लागू किया जाए जो स्थानीय महिलाओं के द्वारा निर्माण कर रहे है. इससे लोकल फोर वोकल को बढ़ावा मिलेगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.