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मिलिए गांधी जी के साथ जेल जाने वाले 101 साल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी से - 71वां गणतंत्र दिवस का अवसर

ETV भारत ने 72वां गणतंत्र दिवस के अवसर पर आजादी की लड़ाई लड़ने वाले 101 साल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अभय साहू से खास बातचीत की है. उन्होंने आजादी के आंदोलनों को याद किया. अभय ने बताया कि काफी वक्त उन्होंने जेल में गांधी जी के साथ गुजारा था.

गांधी जी के साथ जेल जाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
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Published : Jan 25, 2021, 2:32 AM IST

Updated : Jan 25, 2021, 12:05 PM IST

दुर्ग: देश 26 जनवरी को 72वां गणतंत्र दिवस मनाएगा. आज हम जिस मुकाम पर खड़े हैं, उसके लिए कई क्रांतिकारी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपनी शहादत दी है. आजादी की इस लड़ाई में छत्तीसगढ़ के लोगों ने भी अहम भूमिका निभाई थी. कहा जाता है कि दुर्ग का पाटन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का गढ़ था. यहां से बड़ी संख्या में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने गांधी जी के साथ आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था.

गांधी जी के साथ जेल जाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी

आज कुछ गिने चुने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ही जीवित बचे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने आजादी के उगते सूरज को सलाम करने वाले पाटन ब्लॉक के तरीघाट निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अभय साहू से खास बातचीत की है. अभय साहू अपने जीवन के 100 साल पूरे कर चुके हैं. आजादी के आंदोलन के दौरान अभय गांधी जी के साथ जेल भी गए थे. ETV भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने उन दिनों को याद किया है.

पढ़ें: SPECIAL: विकास की राह देख रहा है स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का गांव, कोई नहीं सुध लेने वाला

गांधी जी के साथ गए थे जेल

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अभय साहू ने बताया कि जब आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी, उस समय महात्मा गांधी दुर्ग आए थे. एक आंदोलन के दौरान हमारी गिरफ्तारी हो गई थी. उस समय गांधी जी को भी जेल हुई थी. उसमें उनके साथ हमें भी जेल में डाल दिया गया था. उस वक्त पुलिस स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ बहुत बुरा बर्ताव करती थी.

कई आंदोलनों में खाई लाठियां

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कहते हैं कि उस दौर में पुलिस बहुत ज्यादा सख्त थी. अक्सर आंदोलनों में लाठियां बरसाती थी, ताकि आंदोलन को समाप्त किया जा सके. वे बताते हैं कि पुलिस बहुत ज्यादा प्रताड़ित करती थी. कई बार पुलिस की लाठियां भी खाई है. जब गांधी जी के साथ जेल हुआ था तो लम्बा समय उनके साथ बिताने का मौका भी मिला था. इसके साथ ही दिल्ली, मुम्बई, गुजरात समेत अनेक राज्यों में गांधी जी के नेतृत्व में होने वाले आंदोलनों में शामिल हुए थे.

पढ़ें: बापू की जयंती पर याद आए छत्तीसगढ़ के गांधी

ऐसी राजनीति देखने मिलेगी कभी नहीं सोचे थे

उन्होंने कहा कि हमने कभी नहीं सोंचा था कि इस तरह की राजनीति देखने को मिलेगा. बहुत सी घटनाएं हो रहीं हैं. कई तरह के आंदोलन हो रहे हैं. इसमें बड़ी संख्या में लोग हिस्सा तो ले रहे हैं, लेकिन आंदोलनों में कई लोगों की मौत भी हो रही है. इस तरह की राजनीति की कल्पना हमने कभी नहीं की थी. जो इन दिनों देखने को मिल रही है. हमारे समय में ऐसा कुछ नहीं था.

पढ़ें: पद्मश्री महादेव प्रसाद पांडेय की यादें, ETV भारत पर सुनाया था अटल जी से जुड़ा किस्सा

युवाओं को गांधी के विचारों से जुड़ना चाहिए

देश के युवाओं को अभय साहू ने नसीहत दी है. उन्होंने कहा कि देश को यदि बचाना है तो युवाओं को गांधी जी के विचारों से जुड़ना चाहिए. पहले गांधी जी जिस भजन को सुना करते थे, उसे हम आज भी सुनते हैं. युवाओं को भी इसे सुनना चाहिए. इसके साथ ही गायों की रक्षा भी करनी चाहिए. साथ ही हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई को मिलकर देश की भलाई के लिए काम करना चाहिए. क्योंकि कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है. हम सबको मिल जुलकर रहना चाहिए.

दुर्ग: देश 26 जनवरी को 72वां गणतंत्र दिवस मनाएगा. आज हम जिस मुकाम पर खड़े हैं, उसके लिए कई क्रांतिकारी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपनी शहादत दी है. आजादी की इस लड़ाई में छत्तीसगढ़ के लोगों ने भी अहम भूमिका निभाई थी. कहा जाता है कि दुर्ग का पाटन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का गढ़ था. यहां से बड़ी संख्या में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने गांधी जी के साथ आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था.

गांधी जी के साथ जेल जाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी

आज कुछ गिने चुने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ही जीवित बचे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने आजादी के उगते सूरज को सलाम करने वाले पाटन ब्लॉक के तरीघाट निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अभय साहू से खास बातचीत की है. अभय साहू अपने जीवन के 100 साल पूरे कर चुके हैं. आजादी के आंदोलन के दौरान अभय गांधी जी के साथ जेल भी गए थे. ETV भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने उन दिनों को याद किया है.

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गांधी जी के साथ गए थे जेल

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अभय साहू ने बताया कि जब आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी, उस समय महात्मा गांधी दुर्ग आए थे. एक आंदोलन के दौरान हमारी गिरफ्तारी हो गई थी. उस समय गांधी जी को भी जेल हुई थी. उसमें उनके साथ हमें भी जेल में डाल दिया गया था. उस वक्त पुलिस स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ बहुत बुरा बर्ताव करती थी.

कई आंदोलनों में खाई लाठियां

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कहते हैं कि उस दौर में पुलिस बहुत ज्यादा सख्त थी. अक्सर आंदोलनों में लाठियां बरसाती थी, ताकि आंदोलन को समाप्त किया जा सके. वे बताते हैं कि पुलिस बहुत ज्यादा प्रताड़ित करती थी. कई बार पुलिस की लाठियां भी खाई है. जब गांधी जी के साथ जेल हुआ था तो लम्बा समय उनके साथ बिताने का मौका भी मिला था. इसके साथ ही दिल्ली, मुम्बई, गुजरात समेत अनेक राज्यों में गांधी जी के नेतृत्व में होने वाले आंदोलनों में शामिल हुए थे.

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ऐसी राजनीति देखने मिलेगी कभी नहीं सोचे थे

उन्होंने कहा कि हमने कभी नहीं सोंचा था कि इस तरह की राजनीति देखने को मिलेगा. बहुत सी घटनाएं हो रहीं हैं. कई तरह के आंदोलन हो रहे हैं. इसमें बड़ी संख्या में लोग हिस्सा तो ले रहे हैं, लेकिन आंदोलनों में कई लोगों की मौत भी हो रही है. इस तरह की राजनीति की कल्पना हमने कभी नहीं की थी. जो इन दिनों देखने को मिल रही है. हमारे समय में ऐसा कुछ नहीं था.

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युवाओं को गांधी के विचारों से जुड़ना चाहिए

देश के युवाओं को अभय साहू ने नसीहत दी है. उन्होंने कहा कि देश को यदि बचाना है तो युवाओं को गांधी जी के विचारों से जुड़ना चाहिए. पहले गांधी जी जिस भजन को सुना करते थे, उसे हम आज भी सुनते हैं. युवाओं को भी इसे सुनना चाहिए. इसके साथ ही गायों की रक्षा भी करनी चाहिए. साथ ही हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई को मिलकर देश की भलाई के लिए काम करना चाहिए. क्योंकि कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है. हम सबको मिल जुलकर रहना चाहिए.

Last Updated : Jan 25, 2021, 12:05 PM IST
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