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खबर का असर: 9 महीने बाद पीड़ित परिवार को मिला न्याय, समाज ने किया था बहिष्कार

विधानसभा क्षेत्र पाटन के अरमरी खुर्द गांव के दबंग परिवारों ने 16 सदस्यों के परिवार के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार का फरमान जारी कर दिया था. इस परिवार की गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर के बाहर शौचालय बना लिया.

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Published : Nov 28, 2019, 5:20 PM IST

Updated : Nov 28, 2019, 8:48 PM IST

Effect of news of social boycott in durg
परिवार को मिला न्याय

दुर्ग: ETV भारत की खबर का एक बार फिर असर हुआ है. जिले के पाटन इलाके में एक परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया था. अपना सामाजिक सरोकार निभाते हुए ETV भारत ने पूरे खबर को प्रमुखता से दिखाया. इसके बाद गुरुवार को पुलिस अधिकारियों ने गांव पहुंच ग्रामीणों को समझाइश दी है.

9 महीने बाद पीड़ित परिवार को मिला न्याय

दरअसल, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विधानसभा क्षेत्र पाटन के अरमरी खुर्द गांव के दबंग परिवारों ने 16 सदस्यों के परिवार के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार का फरमान जारी कर दिया था. इस परिवार की गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर के बाहर शौचालय बना लिया. इसकी सजा उस परिवार को सामाजिक बहिष्कार के रूप में मिली. इतना ही नहीं समाज के लोगों ने परिवार पर आर्थिक दंड का भी फरमान जारी कर दिया था.

'गांव के लोग अपने आपको ही कानून मानते हैं'
वहीं मामले में गांव के सरपंच ने भी कहा कि परिवार के साथ जो भी हो रहा है वह सब गलत है. उन्होंने कहा कि चंद लोग अपने आप को गांव का ठेकेदार समझते हैं. राजनीतिक संरक्षण में पल रहे समाज को खोखला करने वाले दकियानूसी विचार अपने को कानून और संविधान से ऊंचा समझते हैं.

गांव के लोगों को SDOP की हिदायत
ETV भारत के खबर दिखाने के बाद पाटन SDOP आकाश राव गिरेपुंजे के और थाना प्रभारी रानीतराई ने गांव पहुंच कर ग्रामीणों के साथ बैठक कर उन्हें समझाइश दी. एसडीओपी ने बताया कि क्षेत्र के 5 दुकानदारों को बुला कर व्यवहार और लेन-देन शुरू करने के निर्देश दिए.

आपसी रिश्ते बरकार रखने की अपील
बता दें कि ETV भारत ने परिवार के गुहार को प्रमुखता से दिखाया था, जिसके बाद जांच टीम गांव पहुंची और गांववालों को समझाइश देकर आपसी रिश्ते बरकार रखने की अपील की, इसे मानते हुए अब गांववाले परिवार के साथ मिलजुल कर रहने की बात कर रहे हैं.

दुर्ग: ETV भारत की खबर का एक बार फिर असर हुआ है. जिले के पाटन इलाके में एक परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया था. अपना सामाजिक सरोकार निभाते हुए ETV भारत ने पूरे खबर को प्रमुखता से दिखाया. इसके बाद गुरुवार को पुलिस अधिकारियों ने गांव पहुंच ग्रामीणों को समझाइश दी है.

9 महीने बाद पीड़ित परिवार को मिला न्याय

दरअसल, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विधानसभा क्षेत्र पाटन के अरमरी खुर्द गांव के दबंग परिवारों ने 16 सदस्यों के परिवार के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार का फरमान जारी कर दिया था. इस परिवार की गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर के बाहर शौचालय बना लिया. इसकी सजा उस परिवार को सामाजिक बहिष्कार के रूप में मिली. इतना ही नहीं समाज के लोगों ने परिवार पर आर्थिक दंड का भी फरमान जारी कर दिया था.

'गांव के लोग अपने आपको ही कानून मानते हैं'
वहीं मामले में गांव के सरपंच ने भी कहा कि परिवार के साथ जो भी हो रहा है वह सब गलत है. उन्होंने कहा कि चंद लोग अपने आप को गांव का ठेकेदार समझते हैं. राजनीतिक संरक्षण में पल रहे समाज को खोखला करने वाले दकियानूसी विचार अपने को कानून और संविधान से ऊंचा समझते हैं.

गांव के लोगों को SDOP की हिदायत
ETV भारत के खबर दिखाने के बाद पाटन SDOP आकाश राव गिरेपुंजे के और थाना प्रभारी रानीतराई ने गांव पहुंच कर ग्रामीणों के साथ बैठक कर उन्हें समझाइश दी. एसडीओपी ने बताया कि क्षेत्र के 5 दुकानदारों को बुला कर व्यवहार और लेन-देन शुरू करने के निर्देश दिए.

आपसी रिश्ते बरकार रखने की अपील
बता दें कि ETV भारत ने परिवार के गुहार को प्रमुखता से दिखाया था, जिसके बाद जांच टीम गांव पहुंची और गांववालों को समझाइश देकर आपसी रिश्ते बरकार रखने की अपील की, इसे मानते हुए अब गांववाले परिवार के साथ मिलजुल कर रहने की बात कर रहे हैं.

Intro:महिलाओ के सम्मान के लिए आई बॉलीवुड की फ़िल्म "टॉयलेट एक प्रेम कथा" ने समाज की दकियानूसी सोंच पर वार कर समाज को बदलने की कोशिश जरूर कि पर आज भी कुरीतियों की जड़े पूरी तरह खत्म नही हो पाई है दुर्ग जिले के एक छोटे से गाँव मे साहू परिवार के लिए "टॉयलेट बनाना एक टार्चर कथा" साबित हो रही है जिसकी वजह से उनका सामाजिक बहिष्कार तक हो गया है।

Body:प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन के तहत एक परिवार को घर के आंगन में शौचालय बनवाने की सजा सामाजिक बहिष्कार तक ले जा सकती है। ये बात आज के दौर में सुनने में अजीब सी जरुर लग सकती है पर यह हकीकत दुर्ग जिले के पाटन ब्लाक के ग्राम रीवागहन की है। जहाँ एक परिवार के 16 सदस्यों को इसकी सजा भुगतनी पड़ रही है। पीड़ित परिवार की सदस्य महिला अरमरी खुर्द पंचायत में पंच भी है। महिला पंच गनेशिया बाई ने अपने बहू बेटियों के सम्मान व बाहर शौच जाने की समस्या के चलते सरकार की योजना में सहभागिता दिखाते हुए शौचालय का निर्माण अपने घर के आंगन में करवाया। जिसको लेकर गाँव के अरुण चंद्राकर,कुंजेश चंद्राकर,शत्रुहन साहू,नरेश यादव,पुरानिक साहू द्वारा आपत्ति की गयी। कि उक्त निर्माण शासकीय भूमि पर कराया गया है। इसे अवैध करार देते हुए पीड़ित परिवार निर्माण को तोड़ने व अर्थदंड भी भुगतने को तैयार रहे। पीड़ित परिवार ने तुगलकी फरमान न मानते हुए अपने हक का रास्ता चुना व प्रशासन की शरण लेते हुए उक्त निर्माण के वैधानिक जांच के लिए गुहार लगाई। जिस पर पटवारी के द्वारा की जाँच भी की गई और शौचालय व गेट का निर्माण पटवारी द्वारा काबिज भूमि के पट्टे पर ही किया जाना बताया गया। प्रशासन की यह रिपोर्ट गाँव के दकियानूसी सोच की हार बन गई तो सरकारी आदेश को धत्ता बत्ता बताते हुए अपने आप को गाँव के हुक्मरान समझने वाले लोगों ने इस पर निजी आपत्ति दर्ज करते हुए इनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया। इसके बाद उन्होंने गाँव में बैठक करके पीड़ित परिवार पर अर्थदंड भी लगा दिया दंड देने के बाद भी इनकी प्रताड़ना कम नही हुयी। गांव के लोगों की बैठक बुला कर इनके साथ किसी भी तरह की बातचीत, लेन- देन का व्यवहार बंद करवा दिया गया और फरमान न मानने वालो पर भी अर्थदंड लगा दिया। साहू परिवार के घर मे अप्रैल माह में बेटी की शादी थी गाँव से संबंध नही होने की वजह से कोई आया गया तो नही उल्टा बारात के आने पर पानी का कनेक्शन भी काट दिया गया पीड़ित परिवार के द्वारा पानी के कनेक्शन के लिए अर्थदंड दिए जाने के बाद ही पानी मिल पाया। मानवता को शर्मशार करने वालो की प्रताड़ना की कहानी यही खत्म नही होती। पीड़ित परिवार के स्कूली बच्चे से भी गाँव में पढाई सम्बंधित कोई भी बातचीत नही करते है अपनी शिक्षा संबंधित समस्या के लिए दुसरे गाँव के बच्चों से मदद लेनी पड़ती है। पीड़ित परिवार की गोद मे खेलने वाले मासूम बच्चों को तो यह तक नही पता कि किस समाज मे उन्हें जन्म लेना पड़ गया है जो पैदा होने के बाद से समाज से बहिष्कृत है। बच्चों को पिलाने के लिए गाय दूध भी निकालने वाला गांव का यादव भी घर नहीं आता। यही नही पीड़ित परिवार का इलाज भी उस क्षेत्र में तैनात चिकित्सक नही करता इस कदर नारकीय जीवन जीने को मजबूर इस परिवार के पास फरियाद लगाने सरकारी दफ्तरों के अलावा कोई चारा ही नही बचा है। पीड़ित परिवार के द्वारा एसपी, कलेक्टर, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री,सांसद समेत कई दरवाजे पर अपनी गुहार लगा चुके है। पर अब तक इस मामले में उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है। बीते दिन मीडिया के द्वारा मामला पुलिस अधीक्षक अजय यादव के संज्ञान में ले जाने के बाद उन्होंने जांच की बात कहते हुए अपने अधिकारियों को मामले में हस्तक्षेप कर कार्यवाही के निर्देश भी दिए जिस पर एसडीओपी पाटन आकाश राव गिरेपुंजे के व थाना प्रभारी रानीतराई गाँव मे पहुंच कर बैठक में ग्रामीणों से जानकारी भी ली।

Conclusion:एसडीओपी ने क्षेत्र के 5 दुकानदारों को बुला कर व्यवहार व लेने देंन शुरू करने के निर्देश दिए वही गाँव के यादव को गाय चराने व दूध निकालने का कार्य जारी रखने की हिदायत दी। पुलिस की पहल से रखी गयी पीड़ित परिवार व गांव वालों के बीच सुलह का कोई रास्ता निकलता नही दिखा। गाँव के सरपंच की माने तो पीड़ित परिवार के साथ जो हो रहा है वह गलत हो रहा है उन्होंने भी इस तरह के अमानवीय व्यवहार की निंदा करते हुए बताया कि चंद लोग अपने आप को गाँव का ठेकेदार समझते है। राजनीतिक के संरक्षण में पल रहे समाज को खोखला करने वाले दकियानूसी विचार अपने को कानून व सँविधान से ऊंचा समझते है। इसलिये पीड़ित परिवार को 9 माह बीतने के बाद भी न्याय नही मिल पा रहा है।
बीते दिनों पूरे देश मे संविधान दिवस मनाया जा रहा था और नागरिक अधिकारों की बातें की जा रही थी तो वही दुर्ग जिले के मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर एक गाँव में पंचायत पर बैठे पीड़ित परिवार अपने टॉयलेट की टार्चर कथा में अपने नागरिक अधिकारों की धज्जियाँ उड़ते देख रहा था, पीड़ित परिवार हाथ जोड़कर समाज मे वापस मिला लेने की गुहार कर रहा था क्योंकि इन्हें बस समाज में सभी के साथ समान हक़ और बराबरी से जीने की चाहत है। साहू परिवार का अपने हक के लिए लड़ने का साहस काबिले तारीफ है और ऐसे साहस को समाज मे प्रोत्साहित भी करना चाहिए। मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, कलेक्टर व एसपी साहब आपके क्षेत्र में लोकतंत्र अपना दम तोड़ रहा है आप इस पर तुरंत एक्शन लेकर कार्यवाही करें। हम आपसे आग्रह करते है ऐसी कुरीतियों के खिलाफ आप अपने हक़ की आवाज़ बुलंद करते रहे और समाज से इस दकियानूसी विचारधारा का अंत करने की पुरजोर कोशिश करें जो आपके लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन करे।

बाईट_गणेशिया साहू,पीड़ित परिवार पंच (साड़ी में)
बाईट_मुस्कान साहू,पीड़ित परिवार स्कूली छात्र (सलवार शूट में)
बाईट_छगन साहू,सरपंच,अरमरी खुर्द (नीला हाफ जैकेट वाला)
बाईट_आकाश राव गिरेपूंजे,एसडीओपी ,पाटन (खाकी वर्दी में )

कोमेन्द्र सोनकर, दुर्ग
Last Updated : Nov 28, 2019, 8:48 PM IST
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