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Rakshabandhan Special: छत्तीसगढ़ में देसी राखी का क्रेज, देश ही नहीं विदेश में भी बढ़ी डिमांड, जानिए गोबर से बनी राखी क्यों है खास ? - desi rakhi in chhattisgarh

Rakshabandhan Special:छत्तीसगढ़ में देसी राखी का क्रेज बढ़ा है. स्वसहायता समूह की महिलाएं इन राखियों को बना रही हैं. छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरे कई राज्यों के लोग इसकी डिमांड कर रहे हैं. विदेशों में भी ये राखी भेजा गया है.

desi rakhi in chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में देसी राखी
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Published : Aug 13, 2023, 9:24 PM IST

छत्तीसगढ़ में देसी राखी का ट्रेंड

दुर्ग: रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाई को राखी बांध कर उसके लंबे उम्र की कामना करती है. वहीं, भाई अपनी बहन की जीवनभर रक्षा का संकल्प लेता है. रक्षाबंधन के दिन बांधी जाने वाली राखी काफी महत्वपूर्ण होती है. इन दिनों बाजारों में हर तरह के राखी का ट्रेड हैं. बहन अपने भाई को खास राखी बांधती हैं. यही कारण है कि बाजारों में भी खास तरीके के राखी हर साल बिकती है.

गोबर से बनी राखी की डिमांड बढ़ी: इस बार छत्तीसगढ़ के बाजारों में गोबर से बनी देसी राखी का चलन बढ़ा है. गौठानों में इन दिनों गोबर की राखी काफी मात्रा में बनाई जा रही है. लोगों में इसकी डिमांड भी काफी अधिक है. दरअसल, दुर्ग के पुलगांव स्थित हमर गौठान में कल्याणम महिला एवं सहायता समूह की ओर से इस साल गोबर की राखियां बनाई जा रही है. इस राखी की प्रदेश और देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी डिमांड है. लोग काफी मात्रा में विदेश से इस राखी को ऑर्डर कर रहे हैं.

जानिए क्यों है ये राखी खास ? :गोबर की राखी कई मायनों में खास है. क्योंकि इस राखी से पर्यावरण प्रदूषित नहीं होता. अगर इस राखी को कोई जमीन पर फेंक भी दे तो ये राखी जमीन और हमारे आसपास के वातावरण को दूषित नहीं करेगा.बल्कि गोबर की राखी जमीन में जाकर जमीन को भी फायदा ही पहुंचाएगी. इसलिए ये राखी काफी खास है.

ये राखियां पूरी तरह इको फ्रेंडली है. इसमें गोबर,औषधियुक्त पौधों के रस, मौली धागा और हल्के रंगों का इस्तेमाल किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों में इसकी डिमांड है. विदेश से भी ऑर्डर मिल रहा है. -गायत्री डोटे, संचालिका कल्याणम महिला एवं सहायता समूह

रक्षाबंधन 2022: फौजी भाइयों के हाथों में सजेगी गोबर की राखी, फिर यूं बन जाएगा पौधा
छठ पूजा में यहां गोबर के दीयों से हुआ दीपदान
Cow Dung Paint: सरगुजा संभाग में पहली बार शुरू हुई गोबर से पेंट बनाने की यूनिट

गोबर की राखी ऐसे की जाती है तैयार: गोबर से बनी राखियों में गोबर का पाउडर, मुल्तानी मिट्टी, इमली का बीज मिलाया जाता है. फिर उसे सांचे में डालकर आकार दिया जाता है. इसके बाद उस पर पेंटिंग की जाती है. फिर मौली धागे से उसे तैयार कर फाइनल लुक दिया जाता है. इस राखी को बारिश से पहले से ही बनाना शुरू कर दिया जाता है, ताकि राखी से पहले स्टॉक पूरा रहे.

विदेश से भी आ चुके हैं गोबर की राखी के ऑर्डर: समूह की मानें तो राजस्थान, मुंबई, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के अलावा सिंगापुर से भी राखी का ऑर्डर आ चुका है. अब तक 5 हजार राखियां बिक चुकी है. हर दिन हजारों की तादाद में ऑर्डर मिलता है. गोबर से बनी राखियां 10 रुपए से लेकर 100 रुपये तक में बिक रही है. हर रोज लगभग 500 रखियां बनाए जा रहे है. इन राखियों पर श्री, ओम, गणेश, स्वास्तिक का आकार उकेरा जा रहा है.

छत्तीसगढ़ में देसी राखी का ट्रेंड

दुर्ग: रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाई को राखी बांध कर उसके लंबे उम्र की कामना करती है. वहीं, भाई अपनी बहन की जीवनभर रक्षा का संकल्प लेता है. रक्षाबंधन के दिन बांधी जाने वाली राखी काफी महत्वपूर्ण होती है. इन दिनों बाजारों में हर तरह के राखी का ट्रेड हैं. बहन अपने भाई को खास राखी बांधती हैं. यही कारण है कि बाजारों में भी खास तरीके के राखी हर साल बिकती है.

गोबर से बनी राखी की डिमांड बढ़ी: इस बार छत्तीसगढ़ के बाजारों में गोबर से बनी देसी राखी का चलन बढ़ा है. गौठानों में इन दिनों गोबर की राखी काफी मात्रा में बनाई जा रही है. लोगों में इसकी डिमांड भी काफी अधिक है. दरअसल, दुर्ग के पुलगांव स्थित हमर गौठान में कल्याणम महिला एवं सहायता समूह की ओर से इस साल गोबर की राखियां बनाई जा रही है. इस राखी की प्रदेश और देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी डिमांड है. लोग काफी मात्रा में विदेश से इस राखी को ऑर्डर कर रहे हैं.

जानिए क्यों है ये राखी खास ? :गोबर की राखी कई मायनों में खास है. क्योंकि इस राखी से पर्यावरण प्रदूषित नहीं होता. अगर इस राखी को कोई जमीन पर फेंक भी दे तो ये राखी जमीन और हमारे आसपास के वातावरण को दूषित नहीं करेगा.बल्कि गोबर की राखी जमीन में जाकर जमीन को भी फायदा ही पहुंचाएगी. इसलिए ये राखी काफी खास है.

ये राखियां पूरी तरह इको फ्रेंडली है. इसमें गोबर,औषधियुक्त पौधों के रस, मौली धागा और हल्के रंगों का इस्तेमाल किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों में इसकी डिमांड है. विदेश से भी ऑर्डर मिल रहा है. -गायत्री डोटे, संचालिका कल्याणम महिला एवं सहायता समूह

रक्षाबंधन 2022: फौजी भाइयों के हाथों में सजेगी गोबर की राखी, फिर यूं बन जाएगा पौधा
छठ पूजा में यहां गोबर के दीयों से हुआ दीपदान
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गोबर की राखी ऐसे की जाती है तैयार: गोबर से बनी राखियों में गोबर का पाउडर, मुल्तानी मिट्टी, इमली का बीज मिलाया जाता है. फिर उसे सांचे में डालकर आकार दिया जाता है. इसके बाद उस पर पेंटिंग की जाती है. फिर मौली धागे से उसे तैयार कर फाइनल लुक दिया जाता है. इस राखी को बारिश से पहले से ही बनाना शुरू कर दिया जाता है, ताकि राखी से पहले स्टॉक पूरा रहे.

विदेश से भी आ चुके हैं गोबर की राखी के ऑर्डर: समूह की मानें तो राजस्थान, मुंबई, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के अलावा सिंगापुर से भी राखी का ऑर्डर आ चुका है. अब तक 5 हजार राखियां बिक चुकी है. हर दिन हजारों की तादाद में ऑर्डर मिलता है. गोबर से बनी राखियां 10 रुपए से लेकर 100 रुपये तक में बिक रही है. हर रोज लगभग 500 रखियां बनाए जा रहे है. इन राखियों पर श्री, ओम, गणेश, स्वास्तिक का आकार उकेरा जा रहा है.

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