दुर्ग : इन दिनों जिस चीज ने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचा वो टमाटर है. टमाटर की अहमियत लोगों को तब पता चल रही है जब बाजार में इसकी शॉर्टेज है. छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा टमाटर जशपुर और दुर्ग जिले में उगाए जाते हैं.बावजूद इसके गर्मियों से लेकर सितंबर तक कोई भी किसान टमाटर की पैदावार नहीं करता.क्योंकि अधिक गर्मी और बारिश के कारण टमाटर की फसल प्रभावित होती है.जिसके कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है.वहीं यदि मौसम मेहरबान रहा तो इतनी मात्रा में टमाटर मंडियो में आ जाता है कि किसान के लिए उसकी लागत निकाल पाना भी मुश्किल होता है.
दुर्ग सब्जी मंडी में सब्जियों के दाम में लगी आग : दुर्ग जिले की बात करें तो मौसम में आए बदलाव और फिर बारिश के कारण सब्जियों के रेट आसमान छू रहे हैं. जिन सब्जियों को आम आदमी 20 रुपए से लेकर 50 रुपए के बीच लिया करता था. उन सब्जियों के लिए अब दोगुनी से तिगुनी कीमत जनता को चुकानी पड़ रही है.वहीं टमाटर ने तो सारे रिकॉर्ड को तोड़ते हुए सौ का आंकड़ा पार कर रखा है.
क्यों है टमाटर महंगा ?: अमूमन मई से लेकर सितंबर तक कोई भी किसान टमाटर नहीं उगाता.लेकिन यदि कोई टमाटर उगाता भी है तो उसे एक कैरेट के पीछे 25 से 30 रुपए ही मिलते हैं.क्योंकि पांच रुपए प्रति किलो के हिसाब से मजदूरी और ट्रांसपोर्टेशन में 15 से 20 रुपए का खर्च होते हैं.दोनों खर्चों को जोड़े तो प्रति किलो 55 से 60 रुपए किसानों को पड़ता है.इसके बाद जब टमाटर रिटेल मार्केट में आता है तो 80 से 100 रुपए किलो के हिसाब से बिकता है.
तीन कैटेगरी में बिकता है टमाटर : बाजार में तीन कैटेगरी के टमाटर बिकते हैं. ऑफ सीजन में इनकी क्वॉलिटी के हिसाब से रेट तय किए जाते हैं. जैसे ए कैटेगिरी का टमाटर बाजार में 150 से 200 प्रति किलो तक बिक रहा है.वहीं बी कैटेगिरी 120 से 150 और सी कैटेगिरी 80 रुपए से लेकर 100 रुपए के बीच बिकता है. लेकिन सी कैटेगिरी का टमाटर लेने में भी आम आदमी के पसीने छूट रहे हैं.
160 रुपए किलो बाजार में बिक रहा है टमाटर.मैं सिर्फ पचास रुपए का ही ले पाता हूं.टमाटर को लोगों को छोड़ देना चाहिए.चना,मटर और पनीर लोगों को खाना चाहिए.क्योंकि एक किलो टमाटर लेगा इंसान तो बाकी सब्जी ले ही नहीं पाएगा. गरीब लोग तो टमाटर की तरफ देख नहीं रहे होंगे. -सूरज सोनकर, आम नागरिक
वहीं किसानों की माने तो लोकल बाजार में सब्जियां इसलिए मंहगी हैं क्योंकि आवक कम है.
गर्मियों में सब्जी की पैदावार न्यून हो जाती है. दुर्ग जिले में टमाटर की खेती सबसे ज्यादा होती है. टमाटर की खेती के लिए अधिकतम तापमान 35 डिग्री का टेंपरेचर होना जरुरी है. लेकिन गर्मी के सीजन में तापमान 35 से कई डिग्री ऊपर चले जाता है. इसलिए टमाटर की खेती और सब्जियों की खेती में इसका बड़ा असर होता है. टमाटर के रेट इसलिए लगातार बढ़ते हैं. -संतोष, किसान
टमाटर की कीमतों ने फिर पकड़ी रफ्तार, कीमत 200 के पार |
महंगे टमाटर का गृहणियों ने निकाला तोड़, खटाई से कर रही भरपाई |
रसगुल्ले और लड्डू को टमाटर ने किया फेल, मिठाई के काउंटर में बना ली जगह |
वहीं सब्जी का व्यापार करने वालों का कहना है कि टमाटर लोकल मार्केट में नहीं है.बाहर से इम्पोर्ट करना पड़ रहा है इसलिए सब्जियों के साथ साथ टमाटर भी महंगा है.
बारिश के कारण सब्जी की बाड़ियों में पानी घुस चुका है इसलिए सब्जी नहीं टूट रही है आधे से ज्यादा किसानों की फसल बर्बाद हो गई है.वर्तमान में लोकल स्तर पर टमाटर नहीं आ रहे हैं. फिलहाल टमाटर बेंगलुरु और आनंदपुर आ रहे हैं.जिसके कारण टमाटर का रेट आसमान छू रहा है. -हरिओम सोनी, सब्जी विक्रेता
लोकल बाड़ी से आवक नहीं होने के कारण सब्जियां और टमाटर बाहर से आ रहे हैं. जिससे मनमाने रेट में सब्जियां और टमाटर बिकने लगी है. जब लोकल बाड़ी में टमाटर की आवक और पैदावार शुरू हो जाएगी तो इससे टमाटर का रेट नीचे गिरेगा.