भिलाई: दुर्ग में पार्ट टाइम जॉब के नाम पर ठगी हुई है. यहां ज्यादा कमीशन के झांसे में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर आ गया. जालसाजों ने शुरुआती काम के बाद भरोसा जीतने के लिए पीड़ित को एक लाख सात हजार 950 रुपए का कमीशन भी दिया था. इसके बाद ज्यादा कमीशन के लिए रुपए निवेश करने की बात कहकर उससे कुल 35 लाख एक हजार 16 रुपए की ठगी कर ली. घटना की शिकायत पर स्मृति नगर पुलिस ने आरोपित के खिलाफ धोखाधड़ी और अमानत में खयानत की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की है.
इस तरह जालसाजों के झांसे में आया साॅफ्टवेयर इंजीनियर: चौहान ग्रीन वैली निवासी शिकायतकर्ता प्रतीक मजूमदार पुणे की एक कंपनीं में साॅफ्टवेयर इंजीनियर है. कोरोना काल के बाद से वह वर्क फ्रॉम होम काम कर रहा है. नौ मई 2023 को शिकायतकर्ता को टेलीग्राम पर एक मैसेज आया. उस नंबर पर चैट करने पर आरोपित ने अपना नाम अक्षय देव बताया और उसने प्रतीक से बताया कि वह कंपनी में काम करता है. कंपनी के होटलों को ऑनलाइन रेटिंग देने पर उसे अच्छा कमीशन मिल सकता है. जालसाज की बातों में आकर शिकायतकर्ता प्रतीक मजूमदार ने उस कंपनी के होटलों को रेटिंग दी तो आरोपितों ने कमीशन के रूप में उसे एक लाख सात हजार 950 रुपए उसके खाते में भेजे. इससे शिकायतकर्ता को कंपनी पर भरोसा हो गया.
पार्ट टाइम जाॅब कर डेढ़ लाख कमाने का दिया लालच: जालसाज ने प्रतीक को कंपनी का एजेंट बनकर काम करने का प्रपोजल दिया और पार्ट टाइम जाॅब कर कंपनी का ऑनलाइन प्लेटफार्म पर प्रचार करने पर 50 हजार से डेढ़ लाख रुपए तक का कमीशन मिलने की बात कही. इसके बाद शिकायतकर्ता ने आरोपितों के बताए हुए वेबसाइट पर जाकर होटलों को रेटिंग देना शुरू किया. इसी बीच जालसाज ने कहा कि यदि वह कंपनी शेयर लेकर निवेश करता है तो उसे और ज्यादा कमीशन मिलेगा. इस पर न शिकायतकर्ता ने जालसाज की बातें में आकर 11 अप्रैल से आठ मई के बीच उसके बताए हुए खाते पर कुल 20 लाख 50 हजार 664 रुपए जमा किए और काम करने लगा.
पार्ट टाइम जॉब ऑफर करने के बाद बनाया शिकार: ज्यादा कमीशन देने के नाम पर रुपए जमा कराकर कुल राशि और कमीशन मिलकर 32 लाख 76 हजार 445 रुपए की राशि का भुगतान बना. इसे लेने के लिए प्रतीक मजूमदार ने फार्म भरा तो कंपनी की ओर से कमीशन की राशि का आधा करीब 16 लाख 38 हजार 222 रुपए जमा करने के लिए कहा गया. इस पर प्रतीक ने कंपनी के डायरेक्टर शुभम श्रीवास्तव से फोन पर बात की. फिर निदेशक ने उसे जमा की जाने वाली राशि में दो लाख रुपए की छूट देते हुए बाकी के रुपए जमा करने को कहा. आरोपियों की बातों में आकर प्रतीक ने 19 मई तक अलग अलग खातों में 14 लाख 50 हजार 352 जमा किए.
14 लाख जमा करने के बाद भी नहीं मिला कमीशन: 14 लाख 50 हजार 352 रुपए जमा करने के बाद भी प्रतीक को कमीशन नहीं मिला. उसका फाॅर्म भी रिजेक्ट कर दिया गया. कारण बताया गया कि उसने कमीशन निकालने की प्रक्रिया को निर्धारित 48 घंटे के भीतर पूरा नहीं किया. हालांकि कंपनी की वेबसाइट पर ऐसी किसी बात का जिक्र नहीं था.
फिर से रकम की मांग होने पर दर्ज कराई ठगी की शिकायत: फाॅर्म रिजेक्ट होने के बाद कंपनी की ओर से शिकायतकर्ता से फिर से 21 लाख 84 हजार 36 रुपए की मांग की गई. इस पर प्रतीक मजूमदार को ठगी का अहसास हुआ. उसने नामी कंपनी की अधिकृत वेबसाइट पर सर्च किया तो उसे जानकारी हुई कि वो फर्जी कंपनी के शातिरों का वो शिकार हो गया. इसके बाद उसने शिकायत की, जिसके आधार पर आरोपितों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर स्मृति नगर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है.
कैसे दर्ज करें साइबर ठगी की शिकायत: गृह मंत्रालय ने साइबर ठगी को रोकने के लिए हेल्पलाइन नंबर 155260 जारी किया है. इस पर साइबर ठगी की शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार होने वाला कोई भी व्यक्ति इस नंबर पर काॅल करके शिकायत कर सकता है. मंत्रालय के पोर्टल https://cybercrime.gov.in/ पर जाकर भी साइबर ठगी की शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.
साइबर ठगी में शुरू के 3 घंटे अहम: साइबर ठगी होने पर जितनी जल्दी आप शिकायत करेंगे, रिकवरी के चांस उतने ज्यादा होगे. साइबर ठगी में शुरू के 2 से तीन घंटे काफी अहम होते हैं. जैसे ही आप ऑनलाइन ठगी की शिकायत करते हैं, साइबर टीम अलर्ट हो जाती है. टीम सबसे पहले बैंक से संपर्क करती है और जिस अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हुए हैं, बैंक उसे होल्ड पर डाल देता है. इससे होता ये है कि जिसने भी धोखाधड़ी की वो आपके पैसों का ट्रांजैक्शन नहीं कर पाता है और पैसों की रिकवरी के चांसेस बन जाते हैं.