दुर्ग: छत्तीसगढ़ में 1 नवंबर से धान तिहार की शुरुआत हो गई है. हालांकि चुनाव और नए सरकार के इंतजार में किसानों ने धान बेचने का काम शुरू नहीं किया था. हालांकि अब छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बन चुकी है. इसके बाद किसान लगातार धान खरीदी केन्द्र पहुंच कर धान बेच रहे हैं.
करोड़ों का चावल घोटाला: इस बीच दुर्ग जिले में राइस मिलरों की मनमानी का मामला सामने आया है. दुर्ग जिले के 54 राइस मिलरों ने सरकार से धान तो लिया लेकिन कस्टम मिलिंग की करोड़ों रुपए के चावल को समय पर जमा नहीं किया. यही कारण है कि सरकार को इससे भारी नुकसान हुआ है. इस मामले में नोटिस जारी कर विपणन विभाग राज्य शासन के अगले आदेश का इंतजार कर रहा है.
सरकार को झेलना पड़ रहा करोड़ों का नुकसान: दरअसल, राइस मिलरों की मनमानी को रोकने के लिए दुर्ग जिला विपणन विभाग ने उसका कस्टम मिलिंग का अनुबंध खत्म करने का निर्णय लिया है. इस बारे में दुर्ग जिला विपणन अधिकारी भौमिक बघेल ने बताया कि, "जिले में वर्ष 22-23 में कस्टम मिलिंग के लिए 151 राइस मिलरो का पंजीयन किया गया था. अनुबंध के अनुसार मिले धान के एवज में हर एक राइस मिलरो को 1 क्विंटल अरवा धान के बदले 67 किलो चावल और 1 क्विंटल उसना धान के बदले 68 किलो चावल जमा करना था. इस पर 54 राइस मिलरों ने शुक्रवार तक 19000 मैट्रिक टन चावल जमा ही नहीं किए हैं. इससे शासन को 72 करोड़ 84 लाख रुपए नुकसान झेलना पड़ रहा है."
ये है नियम: नियम के अनुसार तय समय सीमा के अन्दर राइस मिलरों को चावल जमा करना अनिवार्य होता है. चावल जमा नहीं करने पर प्रशासन उन पर उचित कार्रवाई करने के साथ उनका पंजीयन नये सत्र के कस्टम मिलिंग के लिए नहीं करता है. जिले में राइस मिलर्स ने 70 प्रतिशत या उससे अधिक चावल जमा किया है. केवल उसी के साथ कस्टम मिलिंग का अनुबंद किया जाएगा. शेष के साथ अनुबंध समाप्त कर दिया जाएगा.
बता दें कि दुर्ग में साल 23-24 के लिए 1 नवंबर से लेकर अब तक 161785 मैट्रिक टन धान की खरीदी हुई है. 107118 मैट्रिक टन धान के लिए डीओ जारी किया जा चुका है. इसमें से 70643 मिट्रिक टन धान का उठाव हो चुका है. शेष 36475 मैट्रिक टन धान अभी भी धान उपार्जन केन्द्रों में खुले आसमान में पड़ा है.