दुर्ग/भिलाई: छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति राज्य की अलग पहचान बना रही है. इसका नजारा इस बार राजपथ पर देखने को मिलेगा. गणतंत्र दिवस के दिन राजपथ पर इस बार छत्तीसगढ़ के लोक संगीत का वैभव दिखेगा. बस्तर के कलाकार देश-दुनिया को छत्तीसगढ़ की परंपरा और संस्कृति को वाद्य यंत्रों के माध्यम से रूबरू कराएंगे. इसे लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई है. कलाकार दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं. दिल्ली जाने से पहले कलाकारों ने ETV भारत से कहा, 'बाजा लेके दिल्ली जाबो, गणतंत्र में जम के बजाबो. हमर मन के होए हे सलेक्शन.'
बस्तर के धनकुल वाद्य यंत्र से झूम उठेगा राजपथ
बस्तर में यूं तो अनेक तिज त्योहारों में वाद्य यंत्रों की संस्कृति और परंपरा समाहित है, लेकिन यहां की मुख्य पहचान धनकुल है. यह वाद्य यंत्र काफी अद्भुत है. कलाकार रिखी क्षत्रिय बताते हैं कि इसे सुपा, मचोली, मटकी, छिरणकारी और धनुष-बाण से तैयार किया जाता है. यह बस्तर की सबसे फेमस वाद्य यंत्र है. इस वाद्य यंत्र से हर कोई झूमने पर मजबूर हो जाता है. हमारी कोशिश रहेगी की बस्तर के धनकुल वाद्य से पूरे राजपथ को झूमने पर मजबूर कर दें.
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विश्व प्रसिद्ध दशहरा के मुंडा बाजा की होगी प्रस्तुति
बस्तर की एक और पारंपरिक वाद्य यंत्र है, जिससे कई लोग अनजान हैं. उसे मुंडा बाजा कहा जाता है. बस्तर के विश्व प्रसिद्ध दशहरा उत्सव में जब तक इस बाजे को नहीं बजाया जाएगा, तब तक दंतेश्वरी माता की रथ आगे नहीं बढ़ पाता. मान्यता है कि इसे आज भी 30-40 बघेल परिवारों द्वारा बजाया जाता है. इसकी भी प्रस्तुति राजपथ पर की जाएगी. ताकि दुनिया को बस्तर की संस्कृति और पंरपरा से रू-ब-रू कराया जा सके.
पांच राउंड की कठिन प्रक्रिया के बाद चयन
कलाकार रिखी क्षत्रिय कहते हैं कि दिल्ली के राजपथ में होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह के लिए केवल 12 टीमों का चयन हुआ है. इस झांकी में छत्तीसगढ़ के जनजातीय क्षेत्रों में उपयोग होने वाले वाद्य यंत्रों उनके लोक वाद्यों को उनके सांस्कृतिक परिवेश के साथ प्रदर्शित किया जाएगा. साथ ही झांकी में छत्तीसगढ़ का इतिहास समेत यहां की परंपरा और संस्कृति का बखान किया जाएगा.
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नारायणपुर और सरगुजा की मांदरी मचाएगी धूम
नारायणपुर और सरगुजा की ऐतिहासिक मांदरी वाद्य यंत्र राजपथ में धूम मचाएगी. कलाकार इसके माध्यम से यहां की तीज त्योहारों का बखान करेगी. वहीं दिल्ली के लिए हमारी 12 टीम रवाना होने वाली है. इसमें 4 महिलाएं और 8 पुरुष शामिल हैं. उन्होंने बताया कि राजपथ में हमें 55 सेकंड का समय दिया गया है. जिसमें हम 22 वाद्य यंत्रों की प्रस्तुति देंगे.
इन 22 वाद्य यंत्रों की होगी प्रस्तुति
छत्तीसगढ़ी कलाकरों की ओर से धनकुल, अलगोजा, खंजेरा, नगाड़ा, टासक, बांस बाजा, चिकारा टुड़बुड़ी, हांडक, मिरदिन, मंदिर मांडिया ढोल समेत कुल 22 गानों की प्रस्तुतियां होगी. इसके लिए 22 गानों का चयन किया गया है. समारोह में क्षत्तिय की टीम दक्षिण में बस्तर से लेकर उत्तर में सरजुगा संभाग तक काम करने की योजना बन रही हैं.