भिलाई: भिलाई की लता ने अपने मेहनत और संघर्ष से स्वसहायता समूह की शुरुआत की. आज इस समूह के माध्यम से ये अन्य महिलाओं को रोजगार मुहैया करा रही हैं. साथ ही अन्य महिलाओं को सिलाई प्रशिक्षण दे सबल बना रही है.भिलाई वार्ड 35 बैकुंठ धाम निवासी लता लोधी ने अपने आर्थिक स्थिति से संघर्ष की शुरुआत आज से 25 साल पहले की थी.अपने माता पिता के साथ रहते हुए अपने दो बच्चों का पालन पोषण (Bhilai Lata started Lata womens selfhelp group with her struggle) किया.
बच्चों के स्कूल के कपड़े सिलकर बढ़ी आगे: लता की जब आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी तो अपने बच्चों के कपड़े सिलने लगी. सिलाई मशीन घर में ही थी तो जो थोड़ा बहुत सीखा खुद से सीखा. बच्चों के स्कूल के कपड़े बनाएं. फिर धीरे-धीरे आस-पड़ोस के बच्चों के कपड़े सिलने शुरू कर दिए. लता के बच्चे के.एच मेमोरियल स्कूल में पढ़ते थे. धीरे-धीरे स्कूल के अन्य बच्चों के भी कपड़े सिलने लगी. एक समय ऐसा आया कि पूरे स्कूल के बच्चों का ड्रेस सिलने का अवसर मिला. ये अवसर लता के लिए किसी चुनौती से कम न था. हालांकि लता ने अपना काम पूरा किया.
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लता स्व-सहायता समूह का किया निर्माण: प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र के माध्यम से लता ने 3.50 लाख का लोन लिया और अपने काम को आगे बढ़ाया. साथ में 10 से 15 महिलाओं को काम भी दिया. काम का दायरा बढ़ा तो अपने जैसे अन्य महिलाओं से संपर्क भी हुआ. जिसके बाद लता महिला स्व-सहायता समूह का गठन किया, जिसके जरिए अब तक लगभग 150 महिला एवं युवतियों को सिलाई, कढ़ाई, मेहंदी और डिजाइनिंग का कोर्स करवाया. ये सभी महिलाएं अपने-अपने क्षेत्र में काम कर रही है. वर्तमान में उनके चार बैच चल रहे हैं, जिनमें प्रत्येक बैच में 10 से 15 युवतियां उनकी देख-रेख में ट्रेनिंग ले रही है. अब लता का बड़ा लड़का इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है. छोटा बेटा बीए की पढ़ाई कर रहा है. उनके संघर्ष और विपरीत परिस्थितियों में भी अपने हौसलों से नई ऊंचाइयों को छूने वाली लता लोधी की कहानी उनके जैसी अनेक महिलाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है.