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8 साल सिपाही रहे अभिषेक कड़ी मेहनत से बने सैन्य अफसर, परिवार ने कहा-बेटा रत्न है

दुर्ग के खुर्सीपार इलाके के अभिषेक सिंह सेना में अपनी कठिन मेहनत से सिपाही बने. फिर दिन रात मेहनत कर पढ़ाई की. साल 2017 में अफसर की परीक्षा पास की और सेना में अधिकारी बने.

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सेना में अफसर बने दुर्ग के अभिषेक
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Published : Dec 12, 2020, 8:03 PM IST

Updated : Dec 13, 2020, 8:02 AM IST

देहरादून: कौन कहता है कि आसमां में सुराग नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो. दुर्ग के अभिषेक सिंह ने इसे सच साबित कर दिखाया है. तमाम परेशानियों और कमियों से जूझते हुए अभिषेक सेना में अफसर बने हैं.

कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो शख्स पहाड़ से भी बड़े लक्ष्य को हासिल कर सकता है. इसकी मिसाल हैं दुर्ग के खुर्सीपार इलाके के अभिषेक सिंह. पहले अभिषेक सेना में अपनी कठिन मेहनत से सिपाही बने. फिर दिन रात मेहनत कर पढ़ाई कर उन्होंने 2017 में अफसर की परीक्षा पास की और इंडियन मिलिट्री एकेडमी में उनका सेलेक्शन हुआ. सेलेक्शन होने के बाद ट्रेनिंग पास कर वे आज ऑफिसर बन गए हैं.अकादमी के प्रशिक्षण से लोहा बने अभिषेक की कहानी किसी संघर्ष करते हीरो की है जो हरपल संघर्ष से जूझता रहा. वह हार माने बिना अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे और आज सफलता की बुलंदी पर जा पहुंचे हैं.

8 साल सिपाही रहे अभिषेक कड़ी मेहनत से बने सैन्य अफसर

पढ़ें: उत्तराखंड : आईएमए देहरादून में तैयार होते हैं आधुनिक 'अर्जुन-भीम'

कई परेशानियों को पार कर पाई सफलता

अभिषेक ने बढ़ाया छत्तीसगढ़ का मान

अभिषेक बचपन से ही अकेलेपन के शिकार हो गए. जब वह 5 साल के थे तो उनकी माता जी का देहांत हो गया. पिता पेशे से ऑटो ड्राइवर थे. लगातार मेहनत कर अभिषेक को उन्होंने पढ़ाया. अभिषेक थोड़ा बड़े हुए तो अपने पिता का हाथ बढ़ाने के लिए उन्होंने 2012 में सेना ज्वाइन कर ली. उसके बाद अभिषेक ने ठान लिया कि वह सेना में बतौर अधिकारी शामिल होंगे. यहां से अभिषेक की मेहनत और लगन की कहानी शुरू होती है. वह लगातार 8 साल तक मेहनत करते रहे. तब जाकर उन्हें सफलता मिली. जिसके बाद उन्हें सेना में अफसर की वर्दी हासिल हुई है.

पढ़ें: IMA POP : देश को मिले 325 सैन्य अधिकारी, वतनदीप सिद्धू को स्वॉर्ड ऑफ ऑनर

अभिषेक के लिए 12 दिसंबर का का दिन दोहरी खुशी का है. पहली खुशी उनकी मैरिज एनिवर्सरी के रूप में है. तो दूसरी सबसे बड़ी खुशी उनके सेना में अधिकारी बनने की है. अभिषेक के फादर इन लॉ कहते हैं कि उन्हें अनमोल रत्न मिला है जो देश का नाम भी रोशन कर रहा है.

पढ़ें: आईएमए देहरादून : नवोदित सैन्य अफसरों ने कुछ यूं मनाया जश्न

सेना में अफसर बनने के बाद अभिषेक के छोटे भाई को भी अपने पुराने दिन याद आते हैं. जो उन्होंने बेहद गरीबी में बिताए थे. माता के देहांत होने और पिता के काम पर चले जाने के बाद जिंदगी में अकेलेपन को दोनों भाइयों ने महसूस किया अभिषेक के छोटे भाई कहते हैं कि उनके बड़े भाई एक ऐसे इंसान हैं. जो अपने लक्ष्य को हासिल करना बखूबी जानते हैं. आज पूरा परिवार बेहद खुश है.

देहरादून: कौन कहता है कि आसमां में सुराग नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो. दुर्ग के अभिषेक सिंह ने इसे सच साबित कर दिखाया है. तमाम परेशानियों और कमियों से जूझते हुए अभिषेक सेना में अफसर बने हैं.

कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो शख्स पहाड़ से भी बड़े लक्ष्य को हासिल कर सकता है. इसकी मिसाल हैं दुर्ग के खुर्सीपार इलाके के अभिषेक सिंह. पहले अभिषेक सेना में अपनी कठिन मेहनत से सिपाही बने. फिर दिन रात मेहनत कर पढ़ाई कर उन्होंने 2017 में अफसर की परीक्षा पास की और इंडियन मिलिट्री एकेडमी में उनका सेलेक्शन हुआ. सेलेक्शन होने के बाद ट्रेनिंग पास कर वे आज ऑफिसर बन गए हैं.अकादमी के प्रशिक्षण से लोहा बने अभिषेक की कहानी किसी संघर्ष करते हीरो की है जो हरपल संघर्ष से जूझता रहा. वह हार माने बिना अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे और आज सफलता की बुलंदी पर जा पहुंचे हैं.

8 साल सिपाही रहे अभिषेक कड़ी मेहनत से बने सैन्य अफसर

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कई परेशानियों को पार कर पाई सफलता

अभिषेक ने बढ़ाया छत्तीसगढ़ का मान

अभिषेक बचपन से ही अकेलेपन के शिकार हो गए. जब वह 5 साल के थे तो उनकी माता जी का देहांत हो गया. पिता पेशे से ऑटो ड्राइवर थे. लगातार मेहनत कर अभिषेक को उन्होंने पढ़ाया. अभिषेक थोड़ा बड़े हुए तो अपने पिता का हाथ बढ़ाने के लिए उन्होंने 2012 में सेना ज्वाइन कर ली. उसके बाद अभिषेक ने ठान लिया कि वह सेना में बतौर अधिकारी शामिल होंगे. यहां से अभिषेक की मेहनत और लगन की कहानी शुरू होती है. वह लगातार 8 साल तक मेहनत करते रहे. तब जाकर उन्हें सफलता मिली. जिसके बाद उन्हें सेना में अफसर की वर्दी हासिल हुई है.

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अभिषेक के लिए 12 दिसंबर का का दिन दोहरी खुशी का है. पहली खुशी उनकी मैरिज एनिवर्सरी के रूप में है. तो दूसरी सबसे बड़ी खुशी उनके सेना में अधिकारी बनने की है. अभिषेक के फादर इन लॉ कहते हैं कि उन्हें अनमोल रत्न मिला है जो देश का नाम भी रोशन कर रहा है.

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सेना में अफसर बनने के बाद अभिषेक के छोटे भाई को भी अपने पुराने दिन याद आते हैं. जो उन्होंने बेहद गरीबी में बिताए थे. माता के देहांत होने और पिता के काम पर चले जाने के बाद जिंदगी में अकेलेपन को दोनों भाइयों ने महसूस किया अभिषेक के छोटे भाई कहते हैं कि उनके बड़े भाई एक ऐसे इंसान हैं. जो अपने लक्ष्य को हासिल करना बखूबी जानते हैं. आज पूरा परिवार बेहद खुश है.

Last Updated : Dec 13, 2020, 8:02 AM IST
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