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SPECIAL: फूलों की खेती कर आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही है महिलाएं, नरवा-गरूवा-घुरवा और बाड़ी योजना बनी वरदान

धमतरी जिले के भटगांव में महिलाएं फूलों की खेती कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. महिला स्व सहायता समूह से जुड़कर महिलाएं सरकार की महत्वाकांक्षी नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम के तहत दो एकड़ की शासकीय भूमि पर सब्जियों के साथ फूलों की भी खेती कर रही हैं.

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फूलों की खेती कर रहीं महिलाएं
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Published : Nov 20, 2020, 10:58 PM IST

धमतरी: जिले में महिला समूहों के जरिए स्वावलंबन और महिला सशक्तिकरण का दौर बदस्तूर जारी है. समूह से जुड़कर महिलाएं ना सिर्फ आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि उन्हें अच्छी खासी आमदनी भी हो रही है. प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम के तहत जिला मुख्यालय से लगे भटगांव की महिलाएं कम समय में न सिर्फ सब्जियों की खेती लेकर आय का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं, बल्कि गेंदा फूल लगाकर और उन्हें बेचकर अपनी आर्थिक गतिविधियों को नई दिशा प्रदान कर रही हैं.

फूलों की खेती कर रहीं महिलाएं

1800 गेंदों के पौधों का रोपण

धमतरी के ग्राम भटगांव में महिला स्व सहायता समूह की ओर से डीएमएफ फंड से दो एकड़ की शासकीय भूमि पर सब्जी और फूलों का उत्पादन किया जा रहा है. समूह की 10 सदस्यीय महिलाओं ने विभिन्न सब्जियों के साथ 1800 से ज्यादा गेंदों के फूलों के पौधे लगाए हैं.

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फूलों की खेती कर रहीं महिलाएं

40 रुपए प्रति किलो गेंदों के फूलों की बिक्री

त्यौहारी सीजन और आगामी शादियों को देखते हुए धमतरी शहर में गेंदे के फूलों की काफी मांग है. समूह की महिलाओं ने बताया कि दो से चार दिन अंतराल में 5 से 10 किलो फूल तोड़ लिया जाता है. जिसे शहर के फूल विक्रेताओं के पास 40 रुपए प्रति किलो की दर से बेचा जाता है. इससे महिलाओं की अच्छी आमदनी हो रही है. महिलाओं ने बताया कि पहले वे रोजी रोटी के लिये खेतों पर कार्य किया करती थीं, लेकिन जब से सुराजी गांव योजना की शुरुआत हुई है प्रशासन और पंचायत की मदद से वे अब आत्मनिर्भर होकर काम कर रही हैं, महिलाओं ने बताया कि शुरू में जो आमदनी हुई उससे उन्होंने पौधे, खाद्य वगैरह समेत दूसरी खेती की सामग्री पर खर्च करना पड़ा, लेकिन अब हो रहे फायदे से वे अच्छा महसूस कर रही हैं.

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फूलों की खेती कर रहीं महिलाएं

पढ़ें- जशपुर: बोकी बना प्रदेश का पहला प्लास्टिक मुक्त ग्राम पंचायत

सब्जियों का भी हो रहा उत्पादन

गेंदों की खेती से पहले यहां समूह की महिलाएं नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम और उद्यानिकी विभाग के सहयोग से बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती करती थीं. जिसमें कुंदरू, टमाटर, भिण्डी, बरबट्टी, गिल्की, करेला, लौकी, लालभाजी, पालक, चैलाई भाजी सब्जी की खेती शामिल है. समूह की महिलाओं के लिए सामूहिक बाड़ी वरदान साबित हुई और आय के साथ-साथ महिलाओं का आत्मसम्मान भी बढ़ा है.

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फूलों की खेती कर रहीं महिलाएं

प्रशासन कर रहा पूरा सहयोग

जिला कलेक्टर जय प्रकाश मौर्य ने बताया कि स्व सहायता का काम बहुत अच्छा है. जिला पंचायत, उद्यानिकी विभाग समेत पूरा प्रशासन उन्हें हर तरह से मदद कर रहा है. इससे महिलाएं स्वावलम्बी के साथ आत्मनिर्भर बन पा रही हैं. आर्थिक रूप से भी सक्षम हो रही हैं.

धमतरी: जिले में महिला समूहों के जरिए स्वावलंबन और महिला सशक्तिकरण का दौर बदस्तूर जारी है. समूह से जुड़कर महिलाएं ना सिर्फ आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि उन्हें अच्छी खासी आमदनी भी हो रही है. प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम के तहत जिला मुख्यालय से लगे भटगांव की महिलाएं कम समय में न सिर्फ सब्जियों की खेती लेकर आय का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं, बल्कि गेंदा फूल लगाकर और उन्हें बेचकर अपनी आर्थिक गतिविधियों को नई दिशा प्रदान कर रही हैं.

फूलों की खेती कर रहीं महिलाएं

1800 गेंदों के पौधों का रोपण

धमतरी के ग्राम भटगांव में महिला स्व सहायता समूह की ओर से डीएमएफ फंड से दो एकड़ की शासकीय भूमि पर सब्जी और फूलों का उत्पादन किया जा रहा है. समूह की 10 सदस्यीय महिलाओं ने विभिन्न सब्जियों के साथ 1800 से ज्यादा गेंदों के फूलों के पौधे लगाए हैं.

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फूलों की खेती कर रहीं महिलाएं

40 रुपए प्रति किलो गेंदों के फूलों की बिक्री

त्यौहारी सीजन और आगामी शादियों को देखते हुए धमतरी शहर में गेंदे के फूलों की काफी मांग है. समूह की महिलाओं ने बताया कि दो से चार दिन अंतराल में 5 से 10 किलो फूल तोड़ लिया जाता है. जिसे शहर के फूल विक्रेताओं के पास 40 रुपए प्रति किलो की दर से बेचा जाता है. इससे महिलाओं की अच्छी आमदनी हो रही है. महिलाओं ने बताया कि पहले वे रोजी रोटी के लिये खेतों पर कार्य किया करती थीं, लेकिन जब से सुराजी गांव योजना की शुरुआत हुई है प्रशासन और पंचायत की मदद से वे अब आत्मनिर्भर होकर काम कर रही हैं, महिलाओं ने बताया कि शुरू में जो आमदनी हुई उससे उन्होंने पौधे, खाद्य वगैरह समेत दूसरी खेती की सामग्री पर खर्च करना पड़ा, लेकिन अब हो रहे फायदे से वे अच्छा महसूस कर रही हैं.

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फूलों की खेती कर रहीं महिलाएं

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सब्जियों का भी हो रहा उत्पादन

गेंदों की खेती से पहले यहां समूह की महिलाएं नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम और उद्यानिकी विभाग के सहयोग से बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती करती थीं. जिसमें कुंदरू, टमाटर, भिण्डी, बरबट्टी, गिल्की, करेला, लौकी, लालभाजी, पालक, चैलाई भाजी सब्जी की खेती शामिल है. समूह की महिलाओं के लिए सामूहिक बाड़ी वरदान साबित हुई और आय के साथ-साथ महिलाओं का आत्मसम्मान भी बढ़ा है.

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फूलों की खेती कर रहीं महिलाएं

प्रशासन कर रहा पूरा सहयोग

जिला कलेक्टर जय प्रकाश मौर्य ने बताया कि स्व सहायता का काम बहुत अच्छा है. जिला पंचायत, उद्यानिकी विभाग समेत पूरा प्रशासन उन्हें हर तरह से मदद कर रहा है. इससे महिलाएं स्वावलम्बी के साथ आत्मनिर्भर बन पा रही हैं. आर्थिक रूप से भी सक्षम हो रही हैं.

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