ETV Bharat / state

इस गांव में है समस्याओं का अंबार, पानी नहीं 'जहर' पी रहे हैं यहां के ग्रामीण

author img

By

Published : Jul 1, 2019, 10:06 PM IST

सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद वनाचंल इलाकों में हालात जस के तस बने हुए हैं. वनाचंल के कई गांवों में लोग अभी भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.

समस्याओं का अंबार

धमतरी : राज्य सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे कर रही है. योजनाएं चला रही है. योजनाओं को सफल बनाने के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही है, फिर भी कई गांव विकास से कोसों दूर हैं. ऐसी ही एक कहानी है धमतरी जिले के एकावरी गांव की, जहां के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.

समस्याओं का अंबार

विकास के लिए तरसती आंखें

कहने के लिए तो ये गांव है, लेकिन समस्याओं की वजह से गांव के लोगों में खुशी नहीं और चेहरे पर चमक नहीं. विकास के लिए इनकी आंखें तरस रही हैं. योजनाओं की चाह में आखें पथरा गई हैं. फिर भी इनके अंदर विकास की उम्मीद है, आशा की किरण जगी हुई है. उन्हें उम्मीद है कि उनके सपने साकार होंगे. गांव में विकास की गंगा बहेगी. उनकी आने वाली पीढ़ि खुशहाल होगी.

पानी के रूप में 'जहर'
इनके अंदर दौलत, शौहरत, बंगला, गाड़ी और बड़े आदमी बनने की चाह नहीं, बल्कि इनके अंदर पक्की सड़क की चाह है, लेकिन महकमें को शायद ये मंजूर नहीं. गांव में पीने का पानी नहीं है. कहने के लिए हैंडपंप, तो है पर पानी की जगह 'जहर' उगल रहा है. लोग आयरनयुक्त पानी पीने को मजबूर हैं. कुछ नल तो सूख गए हैं, तो कुछ पानी के रूप में 'जहर' उगल रहे हैं. जीवन चलाने के लिए मजबूरी में लोग अपनी प्यास बुझा रहे हैं.

पढ़ें: SPECIAL: छग का अमृत कुंड, इसका पानी अंग्रेजों से लेकर अटलजी तक ने आखिर क्यों पीया

हर पल मौत के साए में जिदंगी

हां, गांव में कहने के लिए तो सौर उर्जा योजना है, पर बिजली मयस्सर नहीं. जिस रफ्तार से गांव में रौशनी दिखी थी, उसी स्पीड से वह गांव को अंधेरा कर गई. शाम ढलते ही गांव में अंधेरा छा जाता है. गांव में जाने के लिए कच्ची पगडंडी है, जिसमें पता ही नहीं चलता कि रास्ते में गड्ढा है या गडढे में रास्ता. नदी पार करने के लिए पुल तक नहीं है. हर पल मौत के साए में जिदंगी गुजरती है. कई ग्रामीण बारिश में हादसे का शिकार भी हो चुके हैं.

खाली आश्वासन लगा हाथ
हालांकि ग्रामीणों ने इस संबंध में प्रशासन से कई मर्तबा गुहार लगायी, लेकिन उनकी पुकार किसी ने नहीं सुनी, हाथ लगा तो सिर्फ खाली आश्वासन. अब कलेक्टर साहब के आश्वासन के बाद ग्रामीणों में उम्मीद की नई किरण जगी है, जो कब पूरी होगी, वह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

धमतरी : राज्य सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे कर रही है. योजनाएं चला रही है. योजनाओं को सफल बनाने के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही है, फिर भी कई गांव विकास से कोसों दूर हैं. ऐसी ही एक कहानी है धमतरी जिले के एकावरी गांव की, जहां के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.

समस्याओं का अंबार

विकास के लिए तरसती आंखें

कहने के लिए तो ये गांव है, लेकिन समस्याओं की वजह से गांव के लोगों में खुशी नहीं और चेहरे पर चमक नहीं. विकास के लिए इनकी आंखें तरस रही हैं. योजनाओं की चाह में आखें पथरा गई हैं. फिर भी इनके अंदर विकास की उम्मीद है, आशा की किरण जगी हुई है. उन्हें उम्मीद है कि उनके सपने साकार होंगे. गांव में विकास की गंगा बहेगी. उनकी आने वाली पीढ़ि खुशहाल होगी.

पानी के रूप में 'जहर'
इनके अंदर दौलत, शौहरत, बंगला, गाड़ी और बड़े आदमी बनने की चाह नहीं, बल्कि इनके अंदर पक्की सड़क की चाह है, लेकिन महकमें को शायद ये मंजूर नहीं. गांव में पीने का पानी नहीं है. कहने के लिए हैंडपंप, तो है पर पानी की जगह 'जहर' उगल रहा है. लोग आयरनयुक्त पानी पीने को मजबूर हैं. कुछ नल तो सूख गए हैं, तो कुछ पानी के रूप में 'जहर' उगल रहे हैं. जीवन चलाने के लिए मजबूरी में लोग अपनी प्यास बुझा रहे हैं.

पढ़ें: SPECIAL: छग का अमृत कुंड, इसका पानी अंग्रेजों से लेकर अटलजी तक ने आखिर क्यों पीया

हर पल मौत के साए में जिदंगी

हां, गांव में कहने के लिए तो सौर उर्जा योजना है, पर बिजली मयस्सर नहीं. जिस रफ्तार से गांव में रौशनी दिखी थी, उसी स्पीड से वह गांव को अंधेरा कर गई. शाम ढलते ही गांव में अंधेरा छा जाता है. गांव में जाने के लिए कच्ची पगडंडी है, जिसमें पता ही नहीं चलता कि रास्ते में गड्ढा है या गडढे में रास्ता. नदी पार करने के लिए पुल तक नहीं है. हर पल मौत के साए में जिदंगी गुजरती है. कई ग्रामीण बारिश में हादसे का शिकार भी हो चुके हैं.

खाली आश्वासन लगा हाथ
हालांकि ग्रामीणों ने इस संबंध में प्रशासन से कई मर्तबा गुहार लगायी, लेकिन उनकी पुकार किसी ने नहीं सुनी, हाथ लगा तो सिर्फ खाली आश्वासन. अब कलेक्टर साहब के आश्वासन के बाद ग्रामीणों में उम्मीद की नई किरण जगी है, जो कब पूरी होगी, वह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

Intro:

एंकर.....सरकार के तमाम कोशिशों के बावजूद वनाचंल इलाको में हालात जस के तस बने हुए है.वनाचंल के कई गांवो में लोग अभी भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे है.ऐसा हाल धमतरी जिले से तकरीबन 110 किलोमीटर दूर में बसे एकावरी गांव का भी है.

एकावरी सीतानदी अभ्यारण क्षेत्र में आने वाला वह गांव है जहां आज भी पक्की सड़के नही बन पाई.ग्रामीण आज भी कच्ची सड़क से होकर आना जाना करते है जिसमें कई बार जान का खतरा भी होता है.सौर उर्जा योजना के जरिये गांव में बिजली तो पहुंच गई है लेकिन यहां बिजली ज्यादातर बंद ही रहती है.इसके आलावा गांव में मोबाईल नेटवर्क भी एक बड़ी समस्या है.अगर कोई बीमार पड़ जाए तो बड़ी मुसीबत पैदा हो जाती है.एम्बूलेंस तक सूचनाएं नही पहुंच पाती.

वैसे तो गांव में नलकूप है पर उसमें भी आरयन युक्त निकलता है जो पीने लायक नही है लेकिन मजबूरी में लोग आयरन युक्त पानी पीने के लिए मजबूर है.स्कूली बच्चे भी इसी पानी को पी रहे है.

इस गांव में जाने के लिए कच्चे पगडंडी रास्ते से नदी नाला पार करके जाना पड़ता है.लिहाजा बीहड़ जंगल में होने के कारण यहां प्रशासनिक अमला बहुत ही कम पहुंचते है.जिससे इन ग्रामीणों को अपना समस्या का समाधान करने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.इलाके के ग्रामीण कई बार शासन प्रशासन से पुल पुलिया बिजली मूलभूत सुविधाओं के बारे में गुहार लगा चुके हैं लेकिन आश्वासन के अलावा उनको कुछ नहीं मिलता.ग्रामीणों का कहना है कि सालों बीत गए तब भी यही स्थिति थी जो आज है.
बाईट.....पुनीत राम नेताम ग्रामीण
बाईट..संतोष नेताम शिक्षक
बाईट....रजत बंसल कलेक्टरBody:जय लाल प्रजापति सिहावा धमतरी 8319178303Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.