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धमतरी में हाथियों के आतंक से ग्रामीण परेशान, वन विभाग और जिला प्रशासन के खिलाफ खोला मोर्चा

धमतरी में हाथियों के आतंक से ग्रामीण परेशान हो गए है. ग्रामीणों ने वन विभाग और जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ग्रामीणों ने धमतरी कलेक्टर का घेराव किया है. संयुक्त कलेक्टर ने ग्रामीणों का आवेदन लिया. उनका कहना है कि धमतरी जिला हाथियों का कॉरीडोर बनता जा रहा है. इस पर वन विभाग नियंत्रण में जुटा हुआ है.

धमतरी कलेक्टर का घेराव
धमतरी कलेक्टर का घेराव
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Published : Oct 10, 2022, 5:26 PM IST

Updated : Oct 10, 2022, 10:56 PM IST

धमतरी: धमतरी में हाथियों के आतंक से परेशान ग्रामीणों ने वनविभाग और जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. करीब 100 की संख्या में आये लोगों ने कलेक्टोरेट का घेराव किया. बाद में अधिकारियों के आश्वासन के बाद वहां से हटे. बता दें कि धमतरी जिले में बीते डेढ़ साल में हाथियों के हमले में 10 लोगों की जाने चली गई है और लाखों रुपयों की फसल बर्बाद हो चुकी है.

यह भी पढ़ें: नशे में धुत्त पुलिसकर्मियों पर गृह मंत्री ताम्रध्वज की दो टूक, पुलिस हो या कोई भी बख्शा नहीं जायेगा

धमतरी जिले में फिलहाल 36 हाथी घूम रहे है, ये दो झुंड में है. एक झुंड में 2 दंतैल है तो दूसरे में 34 हाथी. इनमें दो दंतैल वाला झुंड ज्यादा खतरनाक है. इन दंतैलो ने बीते डेढ़ साल में 10 लोगों की जान ले ली है. वैसे तो जंगली हाथी इंसानों से दूरी ही रखते है. लेकिन इन दो दंतैलो को कोई इंसान दिख जाए तो ये उसकी जान ही ले लेते है. धमतरी जिले में ही ये दो दंतैल 10 लोगों बेरहमी से मार चुके है. ये दो दंतैल फिलहाल धमतरी फारेस्ट रेंज के अकला डोंगरी इलाके में घूम रहे है. इनकी दहशत के कारण आसपास के गांवों में लोग रातजगा कर रहे हैं और पहरा दे रहे हैं. रात के समय ये हाथी बस्तियो में चले आते है. इसलिए जिनके मकान पक्के है वो छत पर ही सो रहे है.

धमतरी में हाथियों के आतंक से ग्रामीण परेशान

इसके अलावा ये हाथी फसलों को रौंद देते अभी तक हाथियों के रौंदने से बड़े पैमाने पर धान की फसल चौपट हो चुकी है. कई किसानों के खेतों की फेंसिंग ये हाथी तोड़ चुके है. वन विभाग को बतौर मुआवजा लाखों रुपये लोगों को देना पड़ा है. गांवो में लगने वाले साप्ताहिक बाजार पर भी हाथियों की दहशत का असर है. इन बाजारों में बड़ी संख्या में लोग और व्यापारी आते है. इनके पास बेचने के लिए महुआ जैसे वनोपज होते है जिनकी गन्ध से हाथी खिंचे चले आते हैं. इस कारण अब बाजारों से भी लोगों को जल्द लौटने को कहना पड़ रहा है.



वन विभाग हाथियों से बचने के लिए सिर्फ मुनादी और अलर्ट करने तक सीमित है. हाथियों के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए कोई आधुनिक सुविधा नहीं है. किसी भी हाथी को जीपीएस कॉलर नहीं लगाया गया है. इस कारण नजर रखने के लिए वनविभाग की अलग अलग टीमें हाथियों के पीछे चलती रहती है. व्हाटसएप ग्रुप के जरिये लोकेशन अपडेट देती रहती है. हाथी अगर हिंसक घटनाओं को अंजाम देने लगे तो वह अमले के पास कोई चारा नहीं रहता, इन्हीं सब कारणों के चलते ग्रामीणों ने सोमवार को कलेक्ट्रेट परिसर का घेराव किया और प्रदर्शन करते हुए उचित कार्रवाई की मांग की.

वहीं इस सम्बंध में संयुक्त कलेक्टर ने ग्रामीणों का आवेदन लिया. उनका कहना है कि धमतरी जिला हाथियों का कॉरीडोर बनता जा रहा है. इस पर वन विभाग नियंत्रण में जुटा हुआ है.

धमतरी: धमतरी में हाथियों के आतंक से परेशान ग्रामीणों ने वनविभाग और जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. करीब 100 की संख्या में आये लोगों ने कलेक्टोरेट का घेराव किया. बाद में अधिकारियों के आश्वासन के बाद वहां से हटे. बता दें कि धमतरी जिले में बीते डेढ़ साल में हाथियों के हमले में 10 लोगों की जाने चली गई है और लाखों रुपयों की फसल बर्बाद हो चुकी है.

यह भी पढ़ें: नशे में धुत्त पुलिसकर्मियों पर गृह मंत्री ताम्रध्वज की दो टूक, पुलिस हो या कोई भी बख्शा नहीं जायेगा

धमतरी जिले में फिलहाल 36 हाथी घूम रहे है, ये दो झुंड में है. एक झुंड में 2 दंतैल है तो दूसरे में 34 हाथी. इनमें दो दंतैल वाला झुंड ज्यादा खतरनाक है. इन दंतैलो ने बीते डेढ़ साल में 10 लोगों की जान ले ली है. वैसे तो जंगली हाथी इंसानों से दूरी ही रखते है. लेकिन इन दो दंतैलो को कोई इंसान दिख जाए तो ये उसकी जान ही ले लेते है. धमतरी जिले में ही ये दो दंतैल 10 लोगों बेरहमी से मार चुके है. ये दो दंतैल फिलहाल धमतरी फारेस्ट रेंज के अकला डोंगरी इलाके में घूम रहे है. इनकी दहशत के कारण आसपास के गांवों में लोग रातजगा कर रहे हैं और पहरा दे रहे हैं. रात के समय ये हाथी बस्तियो में चले आते है. इसलिए जिनके मकान पक्के है वो छत पर ही सो रहे है.

धमतरी में हाथियों के आतंक से ग्रामीण परेशान

इसके अलावा ये हाथी फसलों को रौंद देते अभी तक हाथियों के रौंदने से बड़े पैमाने पर धान की फसल चौपट हो चुकी है. कई किसानों के खेतों की फेंसिंग ये हाथी तोड़ चुके है. वन विभाग को बतौर मुआवजा लाखों रुपये लोगों को देना पड़ा है. गांवो में लगने वाले साप्ताहिक बाजार पर भी हाथियों की दहशत का असर है. इन बाजारों में बड़ी संख्या में लोग और व्यापारी आते है. इनके पास बेचने के लिए महुआ जैसे वनोपज होते है जिनकी गन्ध से हाथी खिंचे चले आते हैं. इस कारण अब बाजारों से भी लोगों को जल्द लौटने को कहना पड़ रहा है.



वन विभाग हाथियों से बचने के लिए सिर्फ मुनादी और अलर्ट करने तक सीमित है. हाथियों के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए कोई आधुनिक सुविधा नहीं है. किसी भी हाथी को जीपीएस कॉलर नहीं लगाया गया है. इस कारण नजर रखने के लिए वनविभाग की अलग अलग टीमें हाथियों के पीछे चलती रहती है. व्हाटसएप ग्रुप के जरिये लोकेशन अपडेट देती रहती है. हाथी अगर हिंसक घटनाओं को अंजाम देने लगे तो वह अमले के पास कोई चारा नहीं रहता, इन्हीं सब कारणों के चलते ग्रामीणों ने सोमवार को कलेक्ट्रेट परिसर का घेराव किया और प्रदर्शन करते हुए उचित कार्रवाई की मांग की.

वहीं इस सम्बंध में संयुक्त कलेक्टर ने ग्रामीणों का आवेदन लिया. उनका कहना है कि धमतरी जिला हाथियों का कॉरीडोर बनता जा रहा है. इस पर वन विभाग नियंत्रण में जुटा हुआ है.

Last Updated : Oct 10, 2022, 10:56 PM IST
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