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धमतरी में सड़क की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीण

कोई जिम्मेदार इन समस्याओं को निदान के लिए सामने नही आता और जिम्मेदारी खुद पर नहीं लेता.सोमवार को

Villagers reached collectorate demanding road in Dhamtari
धमतरी में सड़क की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीण
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Published : Sep 13, 2021, 10:51 PM IST

धमतरी: शासन भले ही बड़े-बड़े दावे क्यों ना कर रहा हो लेकिन जमीनी हकीकत तो क्यों और ही है. धमतरी के नगरी क्षेत्र में पड़ने वाले चंदनबाहरा गांव (Chandanbahra Village) के पीड़ित ग्रामीण एक बार फिर अपनी सालों पुरानी मांग को लेकर कलेक्टर दफ्तर पहुंचे. ग्रामीण कई वर्षों पुरानी मांग यानी पक्की सड़क के लिए आवाज बुलंद कर रहे हैं. लेकिन अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीणों की मांग को हमेशा नजरअंदाज किया है. ग्रामीणों का कहना है कि स्वीकृति के बाद भी उन्हें सड़क निर्माण के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं.

Villagers reached to give memorandum
ज्ञापन देने पहुंचे ग्रामीण

दरअसल धमतरी जिले के अंतिम छोर पर गरियाबंद के सीमा से लगे अतिसंवेदनशील नक्सल प्रभावित क्षेत्र, ग्राम चंदनबाहरा (Village Chandanbahra) का है. जहां ग्रामीणों को बारिश के मौसम में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ग्रामीण बताते हैं कि घने जंगल के बीच उबड़-खाबड़ और कीचड़ से भरा कच्चा रास्ता इस गांव का एक मात्र मार्ग है. जहां पर चार पहिया, दो पहिया वाहन तो दूर, पैदल चलना भी दूभर हो जाता है.

कीचड़ से सनी बदहाल कच्ची सड़क के चलते बरसात के दिनों में यहां के ग्रामीणों को राशन से लेकर स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य सुविधाओं के लिए जूझना पड़ता है. ब्लॉक मुख्यालय (Block Headquarters) नगर से 9 किमी की दूरी पर बसे ग्राम पंचायत फरसिया के आश्रित ग्राम चंदनबाहरा की स्थिति दयनीय है.

कांकेर: श्रमदान से ग्रामीणों ने खुद ही बना ली अपनी राह

जहां की आबादी तकरीबन तीन सौ है. ग्रामीण बताते हैं कि बच्चों को पढ़ाई लिए गांव से बाहर जाना पड़ता है. लेकिन इन दिनों सुनसान जंगल के बीच दलदल से लथपथ कच्ची सड़क पर साइकिल तो दूर पैदल चलना भी किसी चुनौती से भरा काम नही है. ग्रामीणों को राशन से लेकर स्वास्थ्य और अन्य जरुरी कामों के लिए ब्लॉक मुख्यालय के लिए इसी मार्ग से होकर जाना होता है. जिसके लिए उन्हें काफी परेशानी होती है. सड़क निर्माण की स्वीकृति होने के बाद भी उन्हें दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे है. ग्रामीणों का आरोप है कि सड़क निर्माण में फॉरेस्ट विभाग बाधा उत्पन्न कर रहा है.

इस मामले में डिप्टी कलेक्टर डीसी बंजारे (Deputy Collector DC Banjare) का कहना है कि जर्जर सड़क की शिकायत मिली है. डीएफओ को इस सम्बन्ध में लिखा गया है अगर स्वीकृत हो जाता है तो रोड़ का निर्माण किया जाएगा. चाहे सड़क को फॉरेस्ट वालों को ही क्यों ही ना बनाना पड़े.

धमतरी: शासन भले ही बड़े-बड़े दावे क्यों ना कर रहा हो लेकिन जमीनी हकीकत तो क्यों और ही है. धमतरी के नगरी क्षेत्र में पड़ने वाले चंदनबाहरा गांव (Chandanbahra Village) के पीड़ित ग्रामीण एक बार फिर अपनी सालों पुरानी मांग को लेकर कलेक्टर दफ्तर पहुंचे. ग्रामीण कई वर्षों पुरानी मांग यानी पक्की सड़क के लिए आवाज बुलंद कर रहे हैं. लेकिन अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीणों की मांग को हमेशा नजरअंदाज किया है. ग्रामीणों का कहना है कि स्वीकृति के बाद भी उन्हें सड़क निर्माण के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं.

Villagers reached to give memorandum
ज्ञापन देने पहुंचे ग्रामीण

दरअसल धमतरी जिले के अंतिम छोर पर गरियाबंद के सीमा से लगे अतिसंवेदनशील नक्सल प्रभावित क्षेत्र, ग्राम चंदनबाहरा (Village Chandanbahra) का है. जहां ग्रामीणों को बारिश के मौसम में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ग्रामीण बताते हैं कि घने जंगल के बीच उबड़-खाबड़ और कीचड़ से भरा कच्चा रास्ता इस गांव का एक मात्र मार्ग है. जहां पर चार पहिया, दो पहिया वाहन तो दूर, पैदल चलना भी दूभर हो जाता है.

कीचड़ से सनी बदहाल कच्ची सड़क के चलते बरसात के दिनों में यहां के ग्रामीणों को राशन से लेकर स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य सुविधाओं के लिए जूझना पड़ता है. ब्लॉक मुख्यालय (Block Headquarters) नगर से 9 किमी की दूरी पर बसे ग्राम पंचायत फरसिया के आश्रित ग्राम चंदनबाहरा की स्थिति दयनीय है.

कांकेर: श्रमदान से ग्रामीणों ने खुद ही बना ली अपनी राह

जहां की आबादी तकरीबन तीन सौ है. ग्रामीण बताते हैं कि बच्चों को पढ़ाई लिए गांव से बाहर जाना पड़ता है. लेकिन इन दिनों सुनसान जंगल के बीच दलदल से लथपथ कच्ची सड़क पर साइकिल तो दूर पैदल चलना भी किसी चुनौती से भरा काम नही है. ग्रामीणों को राशन से लेकर स्वास्थ्य और अन्य जरुरी कामों के लिए ब्लॉक मुख्यालय के लिए इसी मार्ग से होकर जाना होता है. जिसके लिए उन्हें काफी परेशानी होती है. सड़क निर्माण की स्वीकृति होने के बाद भी उन्हें दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे है. ग्रामीणों का आरोप है कि सड़क निर्माण में फॉरेस्ट विभाग बाधा उत्पन्न कर रहा है.

इस मामले में डिप्टी कलेक्टर डीसी बंजारे (Deputy Collector DC Banjare) का कहना है कि जर्जर सड़क की शिकायत मिली है. डीएफओ को इस सम्बन्ध में लिखा गया है अगर स्वीकृत हो जाता है तो रोड़ का निर्माण किया जाएगा. चाहे सड़क को फॉरेस्ट वालों को ही क्यों ही ना बनाना पड़े.

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