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रायपुर की ओर कूच कर रहे बस्तर के आदिवासी, 'आग का गोला बनेगी बस्तर की चिंगारी': सोहन पोटाई

नगर पंचायत को ग्राम पंचायत बनाने की मांग को लेकर स्थानीय आदिवासी पैदल मार्च (Tribal Foot March) करते हुए रायपुर की ओर कूच रहे हैं. ये आदिवासी 280 किलोमीटर लंबी पदयात्रा कर राजभवन तक पहुंचेगे. जहां वे राज्यपाल से मुलाकात कर अपने संवैधानिक अधिकारों की मांग करेंगे.

Tribals of Bastar traveling towards Raipur
रायपुर की ओर कूच कर रहे बस्तर के आदिवासी
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Published : Oct 9, 2021, 9:33 PM IST

धमतरी: नगर पंचायत को ग्राम पंचायत बनाने की मांग को लेकर स्थानीय आदिवासी पैदल मार्च (Tribal Foot March) करते हुए रायपुर की ओर कूच रहे हैं. ये आदिवासी 280 किलोमीटर लंबी पदयात्रा कर राजभवन तक पहुंचेगे. जहां वे राज्यपाल से मुलाकात कर अपने संवैधानिक अधिकारों की मांग करेंगे. बस्तर के आदिवासियों के इस आंदोलन को अब सर्व आदिवासी समाज ने भी खुलकर समर्थन दिया है. सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष सोहन पोटाई लगातार इस पदयात्रा में शामिल हो रहे हैं.

रायपुर की ओर कूच कर रहे बस्तर के आदिवासी

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संघर्ष समिति का कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार ने अनुसूचित क्षेत्र में नगर पालिका अधिनियम 1961 के तहत ग्राम पंचायतों को नगर पंचायत बनाते समय संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया है. इस मामले में 2017 से लगातार बस्तर नगर पंचायत को ग्राम पंचायत बनाने की मांग की जा रही है. यहां के रहवासी मुख्यमंत्री से लेकर सभी जिम्मेदार अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंप चुके हैं, लेकिन आज तक उनकी मांग पूरी नहीं की गई. जिसकी वजह से आदिवासियों को 280 किलोमीटर पैदल चलकर राज्यपाल से गुहार लगाने जा रहे है.

constitutional post tour
सवैंधानिक पद यात्रा

नेतृत्वकर्ता बुधराम सिंह बघेल ने बताया कि नगर पंचायत बनाने की वजह से इसका असर पांचवी अनुसूची क्षेत्र और उनके पेशा कानूनों पर पड़ रहा है.आदिवासियों के देवी देवता सहित रूढ़ी प्रथाओं का खंडन हो रहा है.इसलिए वे चाहते है कि जैसे उनके पूर्वजों के समय इनका पालन होता रहा है वैसा ही अब हो.उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं की गई तो वे अपना परिवार और पालतू जानवरों को लेकर राजभवन में धरना प्रदर्शन करेंगे.अपना गांव खेत छोड़कर राजभवन में ही डटे रहेंगे.

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सवैंधानिक पद यात्रा

इधर आंदोलन को समर्थन कर रहे सर्व आदिवासी समाज (Sarva Adivasi Samaj) के नेता सोहन पोटाई ने कहा है कि ये बस्तर की चिंगारी है, जो आने वाले दिनों यह आग का गोला बनेगी. क्योंकि पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में सामान्य कानून लागू नहीं होते हैं. लेकिन पूर्ववर्ती सरकार और वर्तमान सरकार ने मनमानी करते हुए इन क्षेत्रों में नगर पंचायत बनाया गया है. इससे स्थानीय लोगों को कोई लाभ नहीं होगा, बल्कि कई सारी समस्याओं का उन्हें सामना करना पडे़गा. ऐसे में सर्वआदिवासी समाज ग्रामीणों के इन संवैधानिक मांगों को लेकर लड़ाई लड़ते रहेगा.

constitutional post tour
सवैंधानिक पद यात्रा

गौरतलब है कि इन पदयात्रियों ने संविधान की किताब अपने हाथ भी रखी है और उसे बस्तर के विधायकों और सांसदों को पढ़ने के लिए कह रहे है ताकि वे उनका दर्द समझे और उनका साथ दें.

धमतरी: नगर पंचायत को ग्राम पंचायत बनाने की मांग को लेकर स्थानीय आदिवासी पैदल मार्च (Tribal Foot March) करते हुए रायपुर की ओर कूच रहे हैं. ये आदिवासी 280 किलोमीटर लंबी पदयात्रा कर राजभवन तक पहुंचेगे. जहां वे राज्यपाल से मुलाकात कर अपने संवैधानिक अधिकारों की मांग करेंगे. बस्तर के आदिवासियों के इस आंदोलन को अब सर्व आदिवासी समाज ने भी खुलकर समर्थन दिया है. सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष सोहन पोटाई लगातार इस पदयात्रा में शामिल हो रहे हैं.

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संघर्ष समिति का कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार ने अनुसूचित क्षेत्र में नगर पालिका अधिनियम 1961 के तहत ग्राम पंचायतों को नगर पंचायत बनाते समय संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया है. इस मामले में 2017 से लगातार बस्तर नगर पंचायत को ग्राम पंचायत बनाने की मांग की जा रही है. यहां के रहवासी मुख्यमंत्री से लेकर सभी जिम्मेदार अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंप चुके हैं, लेकिन आज तक उनकी मांग पूरी नहीं की गई. जिसकी वजह से आदिवासियों को 280 किलोमीटर पैदल चलकर राज्यपाल से गुहार लगाने जा रहे है.

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सवैंधानिक पद यात्रा

नेतृत्वकर्ता बुधराम सिंह बघेल ने बताया कि नगर पंचायत बनाने की वजह से इसका असर पांचवी अनुसूची क्षेत्र और उनके पेशा कानूनों पर पड़ रहा है.आदिवासियों के देवी देवता सहित रूढ़ी प्रथाओं का खंडन हो रहा है.इसलिए वे चाहते है कि जैसे उनके पूर्वजों के समय इनका पालन होता रहा है वैसा ही अब हो.उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं की गई तो वे अपना परिवार और पालतू जानवरों को लेकर राजभवन में धरना प्रदर्शन करेंगे.अपना गांव खेत छोड़कर राजभवन में ही डटे रहेंगे.

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इधर आंदोलन को समर्थन कर रहे सर्व आदिवासी समाज (Sarva Adivasi Samaj) के नेता सोहन पोटाई ने कहा है कि ये बस्तर की चिंगारी है, जो आने वाले दिनों यह आग का गोला बनेगी. क्योंकि पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में सामान्य कानून लागू नहीं होते हैं. लेकिन पूर्ववर्ती सरकार और वर्तमान सरकार ने मनमानी करते हुए इन क्षेत्रों में नगर पंचायत बनाया गया है. इससे स्थानीय लोगों को कोई लाभ नहीं होगा, बल्कि कई सारी समस्याओं का उन्हें सामना करना पडे़गा. ऐसे में सर्वआदिवासी समाज ग्रामीणों के इन संवैधानिक मांगों को लेकर लड़ाई लड़ते रहेगा.

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गौरतलब है कि इन पदयात्रियों ने संविधान की किताब अपने हाथ भी रखी है और उसे बस्तर के विधायकों और सांसदों को पढ़ने के लिए कह रहे है ताकि वे उनका दर्द समझे और उनका साथ दें.

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