धमतरी: सर्व आदिवासी समाज ने अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. आदिवासी समाज ने अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा और समस्याओं को लेकर रैली निकाली. जिसके बाद धमतरी कलेक्ट्रोरेट कार्यालय का घेराव किया. आदिवासी समाज ने 24 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा है. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में आदिवासी समाज के महिला लोगव मौजूद रहे. वहीं सुरक्षा के मद्देनजर बड़ी संख्या में पुलिस के जवान तैनात रहे.
"समाज अपने संवैधानिक अधिकार से वंचित": सर्व आदिवासी समाज कहना है कि "अपने संवैधानिक एवं नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा और अन्य समस्याओं को लेकर पिछले कई वर्षों से वे शासन-प्रशासन से निवेदन कर रहे हैं. लेकिन कोई सकारात्मक पहल सरकार या स्थानीय स्तर पर नहीं किया गया है.जिसके कारण अपनी बात रखने के लिए उनके द्वारा कई दफा लोकतांत्रिक तरीके से धरना प्रदर्शन किया गया. आदिवासियों का कहना है कि "आज भी प्रदेश के बहुसंख्यक आदिवासी समाज अपने संवैधानिक अधिकार से वंचित हैं."
समाज प्रमुखों ने लगाए गंभीर आरोप: समाज प्रमुखों का कहना है कि "सर्व आदिवासी समाज द्वारा 21 सूत्रीय मांग पत्र पर सभी समाज प्रमुख और वर्तमान सरकार के अधिकतर विधायक और मंत्रियों का भी हस्ताक्षर है. पहले के सरकार और वर्तमान के सरकार में बहुसंख्यक आदिवासी विधायक है. इसके बावजूद आदिवासी समाज के किसी भी संवैधानिक अधिकार की मांग एवं प्रताड़ना में कोई भी निराकरण आज तक नहीं हुआ है."
21 सूत्रीय मांगों को लेकर दिया ज्ञापन: सर्व आदिवासी समाज के कुछ ज्वलंत समस्याएं है. जिनमें प्रमुख रूप से 32 प्रतिशत आरक्षण, सिगलेर कांड में दोषियों पर कार्रवाई और मृतक ग्रामीणों के परिजनों को उचित मुआवजा, एडसमेटा, सारकेगुड़ा, ताड़मेटला घटनाओं के न्यायिक जांच भी शामिल है. उनका आरोप है कि सभी एनकाउंटर फर्जी पाये जाने के बाद भी दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर दण्डात्मक कार्रवाई नहीं हुई. साथ ही बस्तर में नक्सल समस्या का स्थायी समाधान निकालने की मांग भी शामिल है. इसके साथ ही शासकीय पदों के पदोन्नति में आरक्षण लागू करने सहित शासकीय नौकरी में आरक्षण लागू करने की भी मांग की गई है.
सर्व आदिवासी समाज ने इन तमाम मुद्दों पर सरकार और प्रशासन से तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है. मांग पूरी नहीं होने पर शासन के समक्ष मामले को रखने की बीत सर्व आदिवासी समाज कर रही है.