धमतरी : कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे को देखते हुए धमतरी में इस साल भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा नहीं निकाली गई. यह पहला मौका है जब 135 साल बाद शहर में रथयात्रा निकालने और भगवान मौसी के घर जाने की परंपरा टूटी है. हालांकि यहां भक्तों को निराश नहीं लौटना पड़ा क्योंकि श्रध्दालुओं के लिए मंदिर के पट खोल दिए गए थे. लेकिन श्रध्दालुओं को दरवाजे के बाहर से ही दर्शन करना पड़ा.
बता दें कि धमतरी शहर में रथयात्रा बड़े उत्साह और उमंग के साथ निकाली जाती है. सालों से इसका आयोजन जगदीश मंदिर ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है. शहर में पहले बैलगाड़ी में रथयात्रा निकाली जाती थी, बाद में रथ बनाकर रथयात्रा निकाली गई.दो साल पहले यहां 15 लाख की लागत से नया रथ का निर्माण हुआ, जिसमें रथयात्रा निकाली जाती है.
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धमतरी शहर के रथ यात्रा का अलग ही आकर्षण है. रथ यात्रा को देखने के लिए शहर के अलावा आसपास के गांव के साथ चारामा, कांकेर, कुरूद, नगरी, मगरलोड, सिहावा से भी काफी संख्या में लोग रथ यात्रा के दिन पहुंचते हैं. जगदीश मंदिर से लेकर ननिहाल बैला बाजार के पास स्थित गोशाला तक लगभग दो किलोमीटर की दूरी को तय करने में लगभग पांच से छह घंटे का समय लग जाता है, भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है.
11 दिन बाद गर्भगृह में किए जाएंगे स्थापित
इस बार कोरोना वायरस संक्रमण के चलते भव्य आयोजन नहीं हो पाया. फिलहाल, भगवान जगन्नाथ को रथयात्रा के नियम के मुताबिक गर्भगृह से बाहर निकाला गया है और 11 दिन बाद फिर से उन्हे गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा.