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धमतरी : 135 साल बाद टूटी परंपरा, कोरोना के कारण नहीं निकाली गई रथयात्रा

कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से धमतरी में इस साल भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा नहीं निकाली गई. यह पहला मौका है जब 135 साल बाद शहर में रथयात्रा निकालने और भगवान मौसी के घर जाने की परंपरा टूटी है.

Rath Yatra dhamtari
नहीं निकाली गई रथयात्रा
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Published : Jun 23, 2020, 7:55 PM IST

धमतरी : कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे को देखते हुए धमतरी में इस साल भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा नहीं निकाली गई. यह पहला मौका है जब 135 साल बाद शहर में रथयात्रा निकालने और भगवान मौसी के घर जाने की परंपरा टूटी है. हालांकि यहां भक्तों को निराश नहीं लौटना पड़ा क्योंकि श्रध्दालुओं के लिए मंदिर के पट खोल दिए गए थे. लेकिन श्रध्दालुओं को दरवाजे के बाहर से ही दर्शन करना पड़ा.

धमतरी में नहीं निकली रथयत्रा
कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट के बीच हुई बातचीत के बाद रथयात्रा को स्थगित कर दिया गया था. वही मंदिर के पट बंद करने का निर्णय भी लिया गया था, लेकिन लोगों की मांग को देखते हुए मुख्य द्वार को खोलकर जाली लगा दिया गया था ताकि कोई अंदर प्रवेश न कर सके.

बता दें कि धमतरी शहर में रथयात्रा बड़े उत्साह और उमंग के साथ निकाली जाती है. सालों से इसका आयोजन जगदीश मंदिर ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है. शहर में पहले बैलगाड़ी में रथयात्रा निकाली जाती थी, बाद में रथ बनाकर रथयात्रा निकाली गई.दो साल पहले यहां 15 लाख की लागत से नया रथ का निर्माण हुआ, जिसमें रथयात्रा निकाली जाती है.

पढ़ें-गुदड़ी के लाल: आर्थिक परेशानियों को हराकर पान की दुकान चलाने वाले का बेटा बना टॉपर

धमतरी शहर के रथ यात्रा का अलग ही आकर्षण है. रथ यात्रा को देखने के लिए शहर के अलावा आसपास के गांव के साथ चारामा, कांकेर, कुरूद, नगरी, मगरलोड, सिहावा से भी काफी संख्या में लोग रथ यात्रा के दिन पहुंचते हैं. जगदीश मंदिर से लेकर ननिहाल बैला बाजार के पास स्थित गोशाला तक लगभग दो किलोमीटर की दूरी को तय करने में लगभग पांच से छह घंटे का समय लग जाता है, भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है.

11 दिन बाद गर्भगृह में किए जाएंगे स्थापित

इस बार कोरोना वायरस संक्रमण के चलते भव्य आयोजन नहीं हो पाया. फिलहाल, भगवान जगन्नाथ को रथयात्रा के नियम के मुताबिक गर्भगृह से बाहर निकाला गया है और 11 दिन बाद फिर से उन्हे गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा.

धमतरी : कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे को देखते हुए धमतरी में इस साल भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा नहीं निकाली गई. यह पहला मौका है जब 135 साल बाद शहर में रथयात्रा निकालने और भगवान मौसी के घर जाने की परंपरा टूटी है. हालांकि यहां भक्तों को निराश नहीं लौटना पड़ा क्योंकि श्रध्दालुओं के लिए मंदिर के पट खोल दिए गए थे. लेकिन श्रध्दालुओं को दरवाजे के बाहर से ही दर्शन करना पड़ा.

धमतरी में नहीं निकली रथयत्रा
कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट के बीच हुई बातचीत के बाद रथयात्रा को स्थगित कर दिया गया था. वही मंदिर के पट बंद करने का निर्णय भी लिया गया था, लेकिन लोगों की मांग को देखते हुए मुख्य द्वार को खोलकर जाली लगा दिया गया था ताकि कोई अंदर प्रवेश न कर सके.

बता दें कि धमतरी शहर में रथयात्रा बड़े उत्साह और उमंग के साथ निकाली जाती है. सालों से इसका आयोजन जगदीश मंदिर ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है. शहर में पहले बैलगाड़ी में रथयात्रा निकाली जाती थी, बाद में रथ बनाकर रथयात्रा निकाली गई.दो साल पहले यहां 15 लाख की लागत से नया रथ का निर्माण हुआ, जिसमें रथयात्रा निकाली जाती है.

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धमतरी शहर के रथ यात्रा का अलग ही आकर्षण है. रथ यात्रा को देखने के लिए शहर के अलावा आसपास के गांव के साथ चारामा, कांकेर, कुरूद, नगरी, मगरलोड, सिहावा से भी काफी संख्या में लोग रथ यात्रा के दिन पहुंचते हैं. जगदीश मंदिर से लेकर ननिहाल बैला बाजार के पास स्थित गोशाला तक लगभग दो किलोमीटर की दूरी को तय करने में लगभग पांच से छह घंटे का समय लग जाता है, भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है.

11 दिन बाद गर्भगृह में किए जाएंगे स्थापित

इस बार कोरोना वायरस संक्रमण के चलते भव्य आयोजन नहीं हो पाया. फिलहाल, भगवान जगन्नाथ को रथयात्रा के नियम के मुताबिक गर्भगृह से बाहर निकाला गया है और 11 दिन बाद फिर से उन्हे गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा.

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