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दीया तले अंधेरा: कोरोना की वजह से ठप पड़ा कुम्हारों का काम, छिन गई मुस्कान - धमतरी में कुम्हार परेशान

धमतरी में जहां गर्मी आते ही बाजार मिट्टी के बर्तनों से सज जाता था, वहां इस बार सन्नाटा सा है. लॉकडाउन ने इन कुम्हारों के जीवन को बेरंग कर दिया है और उनके सामने अब खाने-पीने की परेशानी आ खड़ी है. कुम्हारों ने इस संकट को देखते हुए सरकार और प्रशासन से सप्ताह में एक दिन बाजार लगाने की मांग की है, ताकि आने वाले दिनों में उन्हें जीवनयापन करने में कठिनाइयों का सामना करना न पड़े.

potters problems in lockdown
लॉकडाउन से परेशान कुम्हार
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Published : Apr 6, 2020, 1:53 PM IST

धमतरी: कोरोना वायरस के मद्देनजर लगे लॉकडाउन से हर तरफ जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित है. वहीं इस बंदी से अगर सबसे ज्यादा किसी को दिक्कतों का सामना करना पड़ा है, तो वह है मजदूर और रोज कमाकर खाने वाला वर्ग. इस वर्ग में कुम्हार भी आते हैं, आज वो अभाव में जीवन जीने को मजबूर हैं. धमतरी में जहां गर्मी आते ही बाजार मिट्टी के बरतनों से सज जाता था, तो वहीं इस बार सूना पड़ा है. लॉकडाउन ने इन कुम्हारों के जीवन को बेरंग कर दिया है और उनके सामने अब खाने-पीने की परेशानी आ खड़ी है.

दीया तले अंधेरा

मिट्टी के बने बर्तन भारतीय संस्कृति और विभिन्न सभ्यताओं का हिस्सा रहे हैं. गर्मी आते ही मिट्टी के बर्तन बनाने की कला के माहिर कुम्हारों के हाथों की बनी सुराही, घड़े की डिमांड बढ़ जाती है. कुम्हारों के घरों में चाक पर मिट्टी घूमती नजर आती है. मटकी और सुराही बनाते ही हाथों हाथ बिक जाया करते हैं, लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा रहा है. कोरोना संक्रमण की काली छाया इन लोगों पर पड़ी, तो इनका भी कारोबार मंदा हो गया है.

potter facing problem dhamtari
बाजार भेजने के लिए तैयार मटके

घर में जाम पड़े हैं मटके

लॉक डाउन के कारण कुम्हारों के सामने अब रोजी-रोटी का बड़ा संकट सामने आ गया है. कुम्हारों का कहना है कि गर्मी की तैयारी 2 महीने पहले ही शुरू हो जाती है, लेकिन अचानक हुए लॉकडाउन के बाद उन्होंने मटका बना भी कम कर दिया है. बाजार बंद है और लोग अपने घरों में ही कैद हैं, इसलिए मटका बिकना भी मुश्किल हो गया है. जो मटके पहले से बने हैं वह भी घर में ही जाम पड़े हैं. जिस बाजार में वह हमेशा मटके बेचते जाते थे वह बाजार भी बंद है.

potter facing problem dhamtari
कुम्हारों के बनाए बर्तन

वहीं कुम्हारों ने इस संकट को देखते हुए सरकार और प्रशासन से सप्ताह में एक दिन बाजार लगाने की मांग की है, ताकि आने वाले दिनों में उन्हें जीवनयापन करने में कठिनाइयों का सामना करना न पड़े.

potter facing problem dhamtari
मटके को आकार देता कुम्हार

कही खुशी, कहीं गम

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दीया जलाने की अपील के बाद कहीं कुम्हारों के चेहरे पर मुस्कान तो है, लेकिन कई जगह इनके चेहरे में मायूसी देखने को मिली. कहीं एक दिन के लिए बाजार लगे तो कहीं कुम्हार बाजार लगने का इंतजार ही करते रह गए. शासन-प्रशासन इनकी व्यवस्था को लेकर लाख दावे करे लेकिन इनके जीवन की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती हैं.

धमतरी: कोरोना वायरस के मद्देनजर लगे लॉकडाउन से हर तरफ जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित है. वहीं इस बंदी से अगर सबसे ज्यादा किसी को दिक्कतों का सामना करना पड़ा है, तो वह है मजदूर और रोज कमाकर खाने वाला वर्ग. इस वर्ग में कुम्हार भी आते हैं, आज वो अभाव में जीवन जीने को मजबूर हैं. धमतरी में जहां गर्मी आते ही बाजार मिट्टी के बरतनों से सज जाता था, तो वहीं इस बार सूना पड़ा है. लॉकडाउन ने इन कुम्हारों के जीवन को बेरंग कर दिया है और उनके सामने अब खाने-पीने की परेशानी आ खड़ी है.

दीया तले अंधेरा

मिट्टी के बने बर्तन भारतीय संस्कृति और विभिन्न सभ्यताओं का हिस्सा रहे हैं. गर्मी आते ही मिट्टी के बर्तन बनाने की कला के माहिर कुम्हारों के हाथों की बनी सुराही, घड़े की डिमांड बढ़ जाती है. कुम्हारों के घरों में चाक पर मिट्टी घूमती नजर आती है. मटकी और सुराही बनाते ही हाथों हाथ बिक जाया करते हैं, लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा रहा है. कोरोना संक्रमण की काली छाया इन लोगों पर पड़ी, तो इनका भी कारोबार मंदा हो गया है.

potter facing problem dhamtari
बाजार भेजने के लिए तैयार मटके

घर में जाम पड़े हैं मटके

लॉक डाउन के कारण कुम्हारों के सामने अब रोजी-रोटी का बड़ा संकट सामने आ गया है. कुम्हारों का कहना है कि गर्मी की तैयारी 2 महीने पहले ही शुरू हो जाती है, लेकिन अचानक हुए लॉकडाउन के बाद उन्होंने मटका बना भी कम कर दिया है. बाजार बंद है और लोग अपने घरों में ही कैद हैं, इसलिए मटका बिकना भी मुश्किल हो गया है. जो मटके पहले से बने हैं वह भी घर में ही जाम पड़े हैं. जिस बाजार में वह हमेशा मटके बेचते जाते थे वह बाजार भी बंद है.

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कुम्हारों के बनाए बर्तन

वहीं कुम्हारों ने इस संकट को देखते हुए सरकार और प्रशासन से सप्ताह में एक दिन बाजार लगाने की मांग की है, ताकि आने वाले दिनों में उन्हें जीवनयापन करने में कठिनाइयों का सामना करना न पड़े.

potter facing problem dhamtari
मटके को आकार देता कुम्हार

कही खुशी, कहीं गम

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दीया जलाने की अपील के बाद कहीं कुम्हारों के चेहरे पर मुस्कान तो है, लेकिन कई जगह इनके चेहरे में मायूसी देखने को मिली. कहीं एक दिन के लिए बाजार लगे तो कहीं कुम्हार बाजार लगने का इंतजार ही करते रह गए. शासन-प्रशासन इनकी व्यवस्था को लेकर लाख दावे करे लेकिन इनके जीवन की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती हैं.

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