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धमतरी: खंडहर में तब्दील हुए बरबांधा जलाशय, बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे किसान

ग्राम पंचायत बरबांधा में लाखों रुपए की लागत से बने जलाशय प्रशासन के उदासीनता के चलते इन दिनों खंडहर में तब्दील हो गए हैं. इस वजह से इलाके के किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा है.

खंडहर में तब्दील हुए बरबांधा जलाशय
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Published : Apr 30, 2019, 12:04 PM IST

Updated : Apr 30, 2019, 1:31 PM IST

धमतरी: जिला मुख्यालय से तकरीबन 100 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत बरबांधा में लाखों रुपए की लागत से बने जलाशय प्रशासन के उदासीनता के चलते इन दिनों खंडहर में तब्दील हो गए हैं. इस वजह से इलाके के किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा है. ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन से गुहार लगाई लेकिन इस ओर कोई पहल नहीं की गई.

खंडहर में तब्दील हुए बरबांधा जलाशय

1500 हेक्टेयर कृषि भूमि की होती थी सिंचाई
दरअसल इलाके में तकरीबन 1500 हेक्टेयर कृषि भूमि को सींचने के उद्देश्य से इस जलाशय का निर्माण कराया गया था. लेकिन 15-20 साल पहले डैम टूट गया, इसके साथ ही इलाके के किसानों के सिंचाई की उम्मीदें भी टूट गई.

खुला मैदान बना जलाशय
मौजूदा वक्त में बरबांधा जलाशय को देखने से ऐसा लगता है कि बांध का अस्तित्व ही खत्म हो चुका हो. ये एक खुले मैदान की तरह लगता है और पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो चुका है. जलाशय में बूंद भर पानी भी नहीं बचा है. आलम ये है कि बरबांधा जलाशय में अब सिर्फ जंगली जानवर और मवेशी ही नजर आते हैं.

तीन साल तक पड़ आकाल
बता दें कि इलाके के बरबांधा, घुरावड़, अमोली, आमगांव, भुरसीडोंगरी और भर्रीपारा गांव के किसानों को लगातार तीन साल तक अकाल का सामना करना पड़ा था. किसानों का कहना है कि वे सेठ, साहूकार और बैंकों से कर्ज लेकर किसानी करते हैं और अकाल की वजह से कर्ज भी अदा नहीं कर पा रहे हैं. इससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो चुकी है. बहरहाल जिला प्रशासन आचार संहिता खत्म होने के बाद सभी बांधों के सर्वे करने और कार्ययोजना बनाने की बात कह रहे हैं.

धमतरी: जिला मुख्यालय से तकरीबन 100 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत बरबांधा में लाखों रुपए की लागत से बने जलाशय प्रशासन के उदासीनता के चलते इन दिनों खंडहर में तब्दील हो गए हैं. इस वजह से इलाके के किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा है. ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन से गुहार लगाई लेकिन इस ओर कोई पहल नहीं की गई.

खंडहर में तब्दील हुए बरबांधा जलाशय

1500 हेक्टेयर कृषि भूमि की होती थी सिंचाई
दरअसल इलाके में तकरीबन 1500 हेक्टेयर कृषि भूमि को सींचने के उद्देश्य से इस जलाशय का निर्माण कराया गया था. लेकिन 15-20 साल पहले डैम टूट गया, इसके साथ ही इलाके के किसानों के सिंचाई की उम्मीदें भी टूट गई.

खुला मैदान बना जलाशय
मौजूदा वक्त में बरबांधा जलाशय को देखने से ऐसा लगता है कि बांध का अस्तित्व ही खत्म हो चुका हो. ये एक खुले मैदान की तरह लगता है और पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो चुका है. जलाशय में बूंद भर पानी भी नहीं बचा है. आलम ये है कि बरबांधा जलाशय में अब सिर्फ जंगली जानवर और मवेशी ही नजर आते हैं.

तीन साल तक पड़ आकाल
बता दें कि इलाके के बरबांधा, घुरावड़, अमोली, आमगांव, भुरसीडोंगरी और भर्रीपारा गांव के किसानों को लगातार तीन साल तक अकाल का सामना करना पड़ा था. किसानों का कहना है कि वे सेठ, साहूकार और बैंकों से कर्ज लेकर किसानी करते हैं और अकाल की वजह से कर्ज भी अदा नहीं कर पा रहे हैं. इससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो चुकी है. बहरहाल जिला प्रशासन आचार संहिता खत्म होने के बाद सभी बांधों के सर्वे करने और कार्ययोजना बनाने की बात कह रहे हैं.

Intro:एंकर....जिला मुख्यालय से तकरीबन 100 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत बरबांधा में लाखों रूपए की लागत से बने जलाशय प्रशासन के उदासीनता के चलते इन दिनों खंडहर में तब्दील हो गई है इस वजह से इलाके के किसान सिंचाई पानी की सुविधाओं वंचित हो रहे है ऐसा नही है कि जलाशय टूट जाने के बाद ग्रामीणों ने इसकी षिकायत न करी हो.ग्रामीणों ने कई बार शासन प्रशासन से गुहार लगाई लेकिन उन्हे आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला.इस जलाशय टूटे 15 से 20 साल बीतने जा रहा है लेकिन प्रशासन अब तक संज्ञान नहीं लिया है जिसका भुगतना क्षेत्र के किसानों को पड़ रहा है.Body:दरअसल इलाके में जब यह जलाषय बना था तो यहां के किसानों के चेहरे में एक उमंग सी छा गई थी क्यांेकि 1500 हेक्टेयर कृषि भूमि सिचिंत होने जा रहा था.लेकिन जब बांध टूटा तो किसानों के उम्मीद भी टूट गई.क्षेत्र के किसानों का कहना है कि बरबांधा जलाशय के पानी लगभग 1500 हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई सुविधाएं मिला करती थी.मौजूदा वक्त मंे बरबांधा जलाशय को देखने से ऐसा लगता है कि बांध का अस्तित्व ही खत्म हो चुका है यह एक खुले मैदान की तरह लग रहा है और खंडहर में तब्दील हो चुका है.वही अब बरबांधा जलाशय नाम का ही रह गया है यहां एक बंूद पानी नही है जबकि बूंद बूंद पानी के लिए इलाके के किसान तरस रहे है.आलम ये है कि बरबांधा जलाशय में अब सिर्फ जंगली जानवर और मवेशी ही नजर आते है.वैसे क्षेत्र के किसान आज भी यह उम्मीद लगाएं बैठे है कि खंडहर में तब्दील हो चुके बांध का मरम्मत होगी और बंजर जमीन फिर से हरा भरा नजर आऐगा.
बता दें कि इलाके के बरबांधा,घुरावड़,अमोली,आमगांव,भुरसीडोंगरी,भर्रीपारा के किसानों को लगातार तीन साल तक अकाल का मुंह देखना पड़ा है किसानों का कहना है कि वह सेठ साहूकार बैंकों से कर्ज लेकर किसानी करते हैं और अकाल की वजह से वे कर्ज भी अदा नहीं कर पाए है.जिससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो चुकी है.बहरहाल जिला प्रषासन आचार संहिता खत्म होने के बाद सभी बांधों के सर्वे करने सहित कार्ययोजना बनाने की बात कह रहे है.
बाईट...सरजू राम मरकाम किसान
बाईट...तारा चाँद कोर्राम किसान
बाईट...देऊ राम मरकाम किसान
बाईट... रजत बंसल कलेक्टर
जय लाल प्रजापति सिहावा (धमतरी ) 8319178303Conclusion:
Last Updated : Apr 30, 2019, 1:31 PM IST
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