धमतरी: जिला मुख्यालय से तकरीबन 100 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत बरबांधा में लाखों रुपए की लागत से बने जलाशय प्रशासन के उदासीनता के चलते इन दिनों खंडहर में तब्दील हो गए हैं. इस वजह से इलाके के किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा है. ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन से गुहार लगाई लेकिन इस ओर कोई पहल नहीं की गई.
1500 हेक्टेयर कृषि भूमि की होती थी सिंचाई
दरअसल इलाके में तकरीबन 1500 हेक्टेयर कृषि भूमि को सींचने के उद्देश्य से इस जलाशय का निर्माण कराया गया था. लेकिन 15-20 साल पहले डैम टूट गया, इसके साथ ही इलाके के किसानों के सिंचाई की उम्मीदें भी टूट गई.
खुला मैदान बना जलाशय
मौजूदा वक्त में बरबांधा जलाशय को देखने से ऐसा लगता है कि बांध का अस्तित्व ही खत्म हो चुका हो. ये एक खुले मैदान की तरह लगता है और पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो चुका है. जलाशय में बूंद भर पानी भी नहीं बचा है. आलम ये है कि बरबांधा जलाशय में अब सिर्फ जंगली जानवर और मवेशी ही नजर आते हैं.
तीन साल तक पड़ आकाल
बता दें कि इलाके के बरबांधा, घुरावड़, अमोली, आमगांव, भुरसीडोंगरी और भर्रीपारा गांव के किसानों को लगातार तीन साल तक अकाल का सामना करना पड़ा था. किसानों का कहना है कि वे सेठ, साहूकार और बैंकों से कर्ज लेकर किसानी करते हैं और अकाल की वजह से कर्ज भी अदा नहीं कर पा रहे हैं. इससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो चुकी है. बहरहाल जिला प्रशासन आचार संहिता खत्म होने के बाद सभी बांधों के सर्वे करने और कार्ययोजना बनाने की बात कह रहे हैं.