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'हम गरीब हैं, हम जंगल बचाने आये हैं, जंगल है तो हमारी जिंदगी है'

नगरी इलाके के जंगलों में लोग अवैध कब्जा कर रहे हैं. जिसपर परसापानी, बटनहर्रा और महामल्ला गांव के बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं सब जंगल को बचाने के लिए जंगलों में ही डेरा डाल दिए हैं. ग्रामीणों ने कहा कि जब तक वे जंगल को अतिक्रमणमुक्त नहीं करा लेंगे, वे लोग जंगल में ही रहेंगे और यहीं खाना बनाकर खाएंगे और जंगलों की निगरानी करेंगे.

जंगलों में लोग अवैध कब्जा कर रहे
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Published : Aug 23, 2019, 9:48 PM IST

धमतरी: नगरी में जंगलों को अतिक्रमण से बचाने के लिए ग्रामीणों ने मोर्चा संभाल लिया है. सैकड़ों ग्रामीणों ने जंगल की जमीन पर अवैध रूप से काबिज लोगों को खदेड़ने ले लिए एक मुहिम चलाई है. ग्रामीणों का कहना है कि जिस जंगल से उन्हें सब कुछ मिलता है, उसे वे उजड़ने नहीं देंगे.

जंगल है तो हमारी जिंदगी है

इधर, वन विभाग भी जंगल को बचाने के लिए कई कदम उठा रहा है. दरअसल, नगरी इलाके के जंगलों में लोग अवैध कब्जा कर रहे हैं. जिसपर परसापानी, बटनहर्रा और महामल्ला गांव के बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं सब जंगल को बचाने के लिए जंगलों में ही डेरा डाल दिए हैं. ग्रामीणों ने कहा कि जब तक वे जंगल को अतिक्रमणमुक्त नहीं करा लेंगे, वे लोग जंगल में ही रहेंगे और यहीं खाना बनाकर खाएंगे और जंगलों की निगरानी करेंगे.

पढ़ें : कोरबा: शहर के चौक-चौराहों पर स्थापित लाखों की मूर्तियों का हाल-बेहाल

'हम गरीब हैं, हम जंगल बचाने आये हैं'
इन दिनों अतिक्रमणकारी नगरी में जंगलों में अवैध कब्जा कर पेड़ों को काटकर, वहां झोपड़ियां बना रहे हैं और धीरे-धीरे जंगल की जमीन पर खेती करना भी शुरू कर दिया है. जिसे रोकने के लिए तीन गांव के लोग एक हो गए हैं और बाहरी लोगों को रोजाना खदेड़ रहे हैं. अपनी जमीन बचाने के लिए यहां के ग्रामीण वनरक्षक बने हुए हैं. ग्रामीण कहते हैं कि कई पुरखों से वे लोग इस जंगल में रह रहे है. जंगल से ही इनका जीवन चलता है. अगर जंगल नहीं बचेंगे तो उनकी जिंदगी खत्म हो जाएगी. मौके पर पहुंची एक महिला ने कहा 'हम गरीब हैं. हम जंगल बचाने आये हैं. जंगल ही हमारी जिंदगी है और जबतक जंगल को सुरक्षित नहीं कर लेंगे वे चैन से नहीं रहेंगे.

धमतरी: नगरी में जंगलों को अतिक्रमण से बचाने के लिए ग्रामीणों ने मोर्चा संभाल लिया है. सैकड़ों ग्रामीणों ने जंगल की जमीन पर अवैध रूप से काबिज लोगों को खदेड़ने ले लिए एक मुहिम चलाई है. ग्रामीणों का कहना है कि जिस जंगल से उन्हें सब कुछ मिलता है, उसे वे उजड़ने नहीं देंगे.

जंगल है तो हमारी जिंदगी है

इधर, वन विभाग भी जंगल को बचाने के लिए कई कदम उठा रहा है. दरअसल, नगरी इलाके के जंगलों में लोग अवैध कब्जा कर रहे हैं. जिसपर परसापानी, बटनहर्रा और महामल्ला गांव के बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं सब जंगल को बचाने के लिए जंगलों में ही डेरा डाल दिए हैं. ग्रामीणों ने कहा कि जब तक वे जंगल को अतिक्रमणमुक्त नहीं करा लेंगे, वे लोग जंगल में ही रहेंगे और यहीं खाना बनाकर खाएंगे और जंगलों की निगरानी करेंगे.

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'हम गरीब हैं, हम जंगल बचाने आये हैं'
इन दिनों अतिक्रमणकारी नगरी में जंगलों में अवैध कब्जा कर पेड़ों को काटकर, वहां झोपड़ियां बना रहे हैं और धीरे-धीरे जंगल की जमीन पर खेती करना भी शुरू कर दिया है. जिसे रोकने के लिए तीन गांव के लोग एक हो गए हैं और बाहरी लोगों को रोजाना खदेड़ रहे हैं. अपनी जमीन बचाने के लिए यहां के ग्रामीण वनरक्षक बने हुए हैं. ग्रामीण कहते हैं कि कई पुरखों से वे लोग इस जंगल में रह रहे है. जंगल से ही इनका जीवन चलता है. अगर जंगल नहीं बचेंगे तो उनकी जिंदगी खत्म हो जाएगी. मौके पर पहुंची एक महिला ने कहा 'हम गरीब हैं. हम जंगल बचाने आये हैं. जंगल ही हमारी जिंदगी है और जबतक जंगल को सुरक्षित नहीं कर लेंगे वे चैन से नहीं रहेंगे.

Intro:स्लग...जंगल बचाने जंगल मे उतरे ग्रामीण

धमतरी के नगरी इलाके में अब जंगलो को अतिक्रमण से बचाने ग्रामीणो ने ही मोर्चा सम्हाल लिया है तीन गावो के सैकड़ो लोगो ने जंगल की जमीन पर अवैध रूप से काबिज लोगो को खदेड़ने की मुहिम चलाई है.लोगो का कहना है कि जिस जंगल से हमें सब कुछ मिलता है उसे उजड़ने नहीं देंगे वहीं वनविभाग भी कानूनी रूप से जंगल बचाने की जंग लड़ रहा है.

धमतरी के नगरी इलाके में आजकल अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है.परसापानी, बटनहर्रा और महामल्ला गांव के बच्चे,बुजुर्ग,महिलाए सब आज कर अपना घर छोड़ कर जंगल को बचाने जंगलो में ही रहने लगे है क्योंकि यहां के जंगलो में बड़े पैमाने पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर रखा है.न सिर्फ कब्जा बल्कि पेड़ो को काटकर वहां झोपड़िया बनाना और खेती करने का काम भी अतिक्रामक लोग कर रहे है.इन्हें रोकने के लिये तीन गांव के लोग एक हो गए है और बाहरी लोगो को रोजाना खदेड़ने का अभियान सा चल पड़ा है. आज यहां का आम ग्रामीण वनरक्षक बन गया है.दरअसल ये लोग कई पुरखो से यहां रहते है जंगलो से ही इनका जीवन चलता है इस कारण जंगल से इनका भावनात्मक रिश्ता भी कायम हो गया है.इनका साफ कहना है कि जंगल है तो हम है हम है तो जगंल है.

वैसे तो ये काम वनविभाग का है कि जंगल को बचाएं लेकिन वनविभाग को सारा काम कानून कायदो के दायरे मे रहकर ही करना पड़ता है.शायद वो कायदे अब नाकाफी साबित हो रहे है. वनविभाग के मुताबिक इस वनमंडल क्षेत्र में जगल पर कब्जा करने वालो के खिलाफ कई मामले दर्ज किये गए है.केस वनविभाग अदालत में लड़ रहा है.

ग्रामीणो की जागरूकता सराहनीय है लेकिन यहां वनविभाग के हाथो को कानूनी मजबूती देना भी जरूरी नजर आता है ताकि ये महकमा इस काम को मुकम्मल कर सके. लोगो को सड़क और जंगल में मोर्चा सम्हालना ही न पड़े क्योंकि जंगल है तो सब है.

बाईट_01 जान बाई ग्रामीण(बैगनी साड़ी)
बाईट_02 गीता बाई ग्रामीण(लाल पटका सिर पर)
बाईट- जोहन नेताम ग्रामीण(सफ़ेद सर्ट)
बाईट- मोहन ग्रामीण
बाईट_05 अमिताभ वाजपेयी,डीएफओ धमतरीBody:जय लाल प्रजापति सिहावा धमतरी 8319178303Conclusion:
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