धमतरी: पांच साल पहले पिता ने दुनिया को अलविदा कह दिया. बीमारी से आठ महीने पहले मां का साया भी सिर से उठ गया. गांव में तालाब किनारे सरकारी जमीन पर रह रहे भाई-बहन के पास अपनी छत तक नहीं है. बेसहारा भाई-बहन कई बार प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन किसी ने अभी तक दोनों की सुध नहीं ली. बताते हैं इन बेसहारों को न तो सरकार की कोई योजना का लाभ मिल रहा है और न ही किसी सामाजिक संगठनों ने इनकी मदद के लिए कुछ किया है.
रानीगांव में रहने वाले भाई-बहन छोटी उम्र में ही मां-बाप का साया छिन जाने के बाद अनाथ हो गए हैं. हालांकि 19 साल की राधिका अपने 4 साल छोटे भाई परमेश्वर की परिवरिश का जिम्मा उठा रही है. राधिका ने अपने भाई की पढ़ाई के लिए खुद की पढ़ाई की कुर्बानी दे दी है. वो हर रोज मजदूरी कर खाना जुटाती है और अपने भाई को पढ़ाई के लिए भेज रही है. राधिका का सपना है कि उसका भाई पढ़-लिखकर एक अधिकारी बने.
जिला प्रशासन ने उठाया बीड़ा
भाई-बहन के लाचारी की खबर जब महिला जनपद सदस्य को लगी तब उसने दोनों की मदद का बीड़ा उठाया. जनपद सदस्य ने जिला प्रशासन से दोनों की मदद के लिए गुहार लगाई है. कलेक्टर ने राधिका और परमेश्वर को सभी सरकारी योजनाओं का हर संभव लाभ दिलाने का आश्वसन भी दिया है.