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धमतरी: नक्सलियों से ही नहीं मोबाइल के खराब नेटवर्क से भी यहां जूझते हैं जवान, निकाली ऐसी तरकीब - मोबाइल नेटवर्क

जवान देश की सुरक्षा के लिए अपने-अपने घरों से दूर रहते हैं. आज के युग में मोबाइल बातचीत करने का जरिया है. लेकिन कई जगह पर घने जंगलों और नकस्लियों के कारण नेटवर्क ही नहीं मिलता. ऐसे में ये जवान कैसे अपने परिजन से बात करने के लिए नेटवर्क का भी तोड़ निकाल लिए.

नेटवर्क का तोड़
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Published : May 5, 2019, 9:53 AM IST

धमतरी: रिजर्व फारेस्ट इलाकों में नक्सलियों से जंग के लिए बने पुलिस कैम्प में मोबाइल नेटवर्क एक बड़ी समस्या है. इन कैम्पों में आज भी जवान अपने परिवार या दूसरों से बात करने के लिए अजीबो-गरीब तरीका अपनाते हैं. जवान पुराने मोजे, रस्सी और पेड़ से जुगाड़ बना कर इसका तोड़ निकाला है.

नेटवर्क का तोड़

जवानों का एक कैम्प धमतरी के सिहावा इलाके में फैले सीतानदी रिजर्व फारेस्ट के बीच स्थित है. बता दें कि यह कैम्प अंग्रेजों ने बनवाया था, जो एक रेस्ट हाउस में संचालित हो रहा है. जहां से इन जवानों को नक्सलियों के खिलाफ जारी युद्ध को कमांड किया जाता है.

नक्सली तोड़ देते हैं नेटवर्क
जाहिर है इस कैम्प में बड़ी संख्या में जवान तैनात रहते हैं. जवानों को मोबाइल नेटवर्क सर्च करने में पसीने छूट जाते हैं. घने जंगल, शहर से दूर इस जगह किसी भी मोबाइल सर्विस की पहुंच नहीं है.

ऐसे करते हैं जवान अपने परिवार से बात
नक्सलियों से जंग के बीच इन जवानों को अपने परिवार की याद भी आती है और परिवार वाले भी खैरियत रोजाना जानना चाहते है. लेकिन नेटवर्क नहीं होने से संपर्क करना बड़ी मुश्किल हो जाती है. जिसका तोड़ यहां के जवानों ने पुराने मोजे, रस्सी और पेड़ की मदद से निकाला है.

सीतानदी कैम्प के सबसे ऊंचे पेड़ पर पुराने मोजे में मोबाइल डाल कर रस्सी के सहारे ऊंचाई पर टांग दिया जाता है. ताकि नेटवर्क मिल सके. इस बीच अगर नेटवर्क पकड़ ले तो जवानों को ब्लूटूथ डिवाइस से बात करनी पड़ती है.

इधर पुलिस विभाग के आलाधिकारियों का दावा है कि, लगातार मोबाइल टावर लगवाने के प्रयास किए जा रहे है.

धमतरी: रिजर्व फारेस्ट इलाकों में नक्सलियों से जंग के लिए बने पुलिस कैम्प में मोबाइल नेटवर्क एक बड़ी समस्या है. इन कैम्पों में आज भी जवान अपने परिवार या दूसरों से बात करने के लिए अजीबो-गरीब तरीका अपनाते हैं. जवान पुराने मोजे, रस्सी और पेड़ से जुगाड़ बना कर इसका तोड़ निकाला है.

नेटवर्क का तोड़

जवानों का एक कैम्प धमतरी के सिहावा इलाके में फैले सीतानदी रिजर्व फारेस्ट के बीच स्थित है. बता दें कि यह कैम्प अंग्रेजों ने बनवाया था, जो एक रेस्ट हाउस में संचालित हो रहा है. जहां से इन जवानों को नक्सलियों के खिलाफ जारी युद्ध को कमांड किया जाता है.

नक्सली तोड़ देते हैं नेटवर्क
जाहिर है इस कैम्प में बड़ी संख्या में जवान तैनात रहते हैं. जवानों को मोबाइल नेटवर्क सर्च करने में पसीने छूट जाते हैं. घने जंगल, शहर से दूर इस जगह किसी भी मोबाइल सर्विस की पहुंच नहीं है.

ऐसे करते हैं जवान अपने परिवार से बात
नक्सलियों से जंग के बीच इन जवानों को अपने परिवार की याद भी आती है और परिवार वाले भी खैरियत रोजाना जानना चाहते है. लेकिन नेटवर्क नहीं होने से संपर्क करना बड़ी मुश्किल हो जाती है. जिसका तोड़ यहां के जवानों ने पुराने मोजे, रस्सी और पेड़ की मदद से निकाला है.

सीतानदी कैम्प के सबसे ऊंचे पेड़ पर पुराने मोजे में मोबाइल डाल कर रस्सी के सहारे ऊंचाई पर टांग दिया जाता है. ताकि नेटवर्क मिल सके. इस बीच अगर नेटवर्क पकड़ ले तो जवानों को ब्लूटूथ डिवाइस से बात करनी पड़ती है.

इधर पुलिस विभाग के आलाधिकारियों का दावा है कि, लगातार मोबाइल टावर लगवाने के प्रयास किए जा रहे है.

Intro:एंकर......धमतरी के रिजर्व फारेस्ट इलाको में नक्सलियो से जंग के लिए बने पुलिस कैम्प मे मोबाइल नेटवर्क एक बड़ी समस्या है.इन कैम्पों में आज भी जवान अपने परिवार या दूसरों से बात करने के लिए अजीबोगरीब तरीका अपनाते है ये जवान पुराने मोजे,रस्सी और पेड़ से जुगाड़ बना कर इसका तोड़ निकाला है.Body:जवानों का एक कैम्प धमतरी के सिहावा इलाके में फैले सीतानदी रिजर्व फारेस्ट के बीच स्थित है.बता दे कि यह कैम्प अंग्रेजो द्वारा बनाए गए एक रेस्ट हाउस में संचालित हो रहा है.जहाँ से इन जवानों को नक्सलयो के खिलाफ जारी युद्ध को कमांड किया जाता है.जाहिर है इस कैम्प में बड़ी संख्या में जवान तैनात रहते है और इस इलाके में नक्सल नेटवर्क को तोड़ने ओर खत्म करने में भी माहिर हो चुके है.लेकिन मौजूदा वक्त में इन्ही जवानों को मोबाइल नेटवर्क सर्च करने में पसीने छूट जाते है.बीहड़ घना जंगल,शहर से दूर इस जगह किसी भी मोबाइल सर्विस की पहुच नही है.

माओवादियों से जंग के बीच इन जवानों को अपने परिवार की याद भी आती है और परिवार वाले भी खैरियत रोजाना जानना चाहते है लेकिन नेटवर्क नही होने से संपर्क करना बड़ी चुनौती बन गई थी. जिसका तोड़ यहा के जवानों ने पुराने मोजे रस्सी और पेड़ की मदद से निकाला है.सीतानदी कैम्प के सबसे ऊंचे पेड़ पर पुराने मोजे में मोबाइल डाल कर रस्सी के सहारे ऊंचाई पर टांग दिया जाता है ताकि नेटवर्क मिल सके.इस बीच अगर नेटवर्क पकड़ ले तो जवानों को ब्लूटूथ डिवाइस से बात करनी पड़ती है.

इधर पुलिस विभाग के आलाधिकारियों का दावा है कि लगातार मोबाइल टावर लगवाने के प्रयास किए जा रहे है



बाइट-के पी चंदेल,एएसपी धमतरी
जय लाल प्रजापति सिहावा ( धमतरी ) 8319178303Conclusion:
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