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शहर सरकार: धमतरी नगर निगम OBC के लिए आरक्षित, किसी के सपने टूटे, किसी को उम्मीद - धमतरी महापौर आरक्षित

धमतरी जिले का महापौर पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है.

नगर निगम धमतरी
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Published : Sep 18, 2019, 4:31 PM IST

Updated : Sep 18, 2019, 6:17 PM IST

धमतरी: प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के लिए 13 नगर निगमों के महापौर पद की आरक्षित सीटों की लिस्ट आ चुकी है. धमतरी जिले का महापौर पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है. वहीं पिछले चुनाव में ये सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित थी.

धमतरी नगर निगम OBC के लिए आरक्षित

बीजेपी और कांग्रेस पार्टी समेत शहर के लोग बेसब्री से आरक्षण के इस फैसले के इंतजार में थे. इस फैसले के बाद जहां सामान्य वर्ग के नेताओं के सपने टूट गए हैं, तो वहीं पिछड़ा वर्ग से जुड़े नेताओं की उम्मीदें जाग गईं हैं.

5 साल पहले धमतरी बना था नगर निगम
धमतरी जिला प्रदेश की सबसे पुरानी नगर पालिका रही है और पिछले 5 सालों से ये नगर निगम है. इस तरह से निगम की कुल उम्र 135 साल हो चुकी है. धमतरी निकाय में आज तक कांग्रेस सत्ता पर काबिज नहीं हो सकी है. यहां लगातार शासन करने का रिकॉर्ड पहले जनसंघ और बाद में सिर्फ भाजपा के पास रहा.

2014 में हुआ था पहला चुनाव

  • बता दें कि 2014 में पहला निगम चुनाव हुआ था, जो सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुई थी और बीजेपी से अर्चना चौबे चुनाव जीतकर पहली महापौर बनी थीं.
  • इसके पहले नगर पालिका में बीजेपी के डॉ.एनपी गुप्ता, ताराचंद हिंदूजा और जानकी पवार अध्यक्ष रहे हैं.

मुलभुत सुविधाओं के लिए अब तक तरस रहा है क्षेत्र

शहरवासियों का कहना है कि, 'सालों बाद भी धमतरी निगम क्षेत्र विकास से पिछड़ा हुआ है.'
⦁ मसलन शहर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग
⦁ ड्रेनेज सिस्टम की कमी
⦁ गोकुल नगर की कमी
⦁ आवारा मवेशी
⦁ ट्रांसपोर्ट नगर की कमी
⦁ नए बस स्टैंड की कमी
⦁ बाग बगीचे की कमी
⦁ अवैध कालोनियां और अवैध निर्माण
⦁ शहर से गायब होते तालाब
⦁ गिरता जलस्तर
उनका कहना है कि, 'ये तमाम समस्याएं जस की तस हैं. लिहाजा ऐसे प्रत्याशी को महापौर की कुर्सी देना चाहते हैं, जिनके पास शहर विकास का अपना एजेंडा हो.'

देखने मिलेगी टक्कर की राजनीति
राजनीति में परिस्थितियां बदलती रहती हैं. इस बार आरक्षण में ओबीसी वर्ग को मौका मिला है और दोनों ही दलों में इससे जुड़े नेताओं की कमी नहीं है, लिहाजा शहर में आरक्षण के बाद यहां सियासत गरमा गई है. वहीं महापौर पद के लिए घमासान देखने को मिल सकता है.

धमतरी: प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के लिए 13 नगर निगमों के महापौर पद की आरक्षित सीटों की लिस्ट आ चुकी है. धमतरी जिले का महापौर पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है. वहीं पिछले चुनाव में ये सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित थी.

धमतरी नगर निगम OBC के लिए आरक्षित

बीजेपी और कांग्रेस पार्टी समेत शहर के लोग बेसब्री से आरक्षण के इस फैसले के इंतजार में थे. इस फैसले के बाद जहां सामान्य वर्ग के नेताओं के सपने टूट गए हैं, तो वहीं पिछड़ा वर्ग से जुड़े नेताओं की उम्मीदें जाग गईं हैं.

5 साल पहले धमतरी बना था नगर निगम
धमतरी जिला प्रदेश की सबसे पुरानी नगर पालिका रही है और पिछले 5 सालों से ये नगर निगम है. इस तरह से निगम की कुल उम्र 135 साल हो चुकी है. धमतरी निकाय में आज तक कांग्रेस सत्ता पर काबिज नहीं हो सकी है. यहां लगातार शासन करने का रिकॉर्ड पहले जनसंघ और बाद में सिर्फ भाजपा के पास रहा.

2014 में हुआ था पहला चुनाव

  • बता दें कि 2014 में पहला निगम चुनाव हुआ था, जो सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुई थी और बीजेपी से अर्चना चौबे चुनाव जीतकर पहली महापौर बनी थीं.
  • इसके पहले नगर पालिका में बीजेपी के डॉ.एनपी गुप्ता, ताराचंद हिंदूजा और जानकी पवार अध्यक्ष रहे हैं.

मुलभुत सुविधाओं के लिए अब तक तरस रहा है क्षेत्र

शहरवासियों का कहना है कि, 'सालों बाद भी धमतरी निगम क्षेत्र विकास से पिछड़ा हुआ है.'
⦁ मसलन शहर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग
⦁ ड्रेनेज सिस्टम की कमी
⦁ गोकुल नगर की कमी
⦁ आवारा मवेशी
⦁ ट्रांसपोर्ट नगर की कमी
⦁ नए बस स्टैंड की कमी
⦁ बाग बगीचे की कमी
⦁ अवैध कालोनियां और अवैध निर्माण
⦁ शहर से गायब होते तालाब
⦁ गिरता जलस्तर
उनका कहना है कि, 'ये तमाम समस्याएं जस की तस हैं. लिहाजा ऐसे प्रत्याशी को महापौर की कुर्सी देना चाहते हैं, जिनके पास शहर विकास का अपना एजेंडा हो.'

देखने मिलेगी टक्कर की राजनीति
राजनीति में परिस्थितियां बदलती रहती हैं. इस बार आरक्षण में ओबीसी वर्ग को मौका मिला है और दोनों ही दलों में इससे जुड़े नेताओं की कमी नहीं है, लिहाजा शहर में आरक्षण के बाद यहां सियासत गरमा गई है. वहीं महापौर पद के लिए घमासान देखने को मिल सकता है.

Intro:नगर निगम धमतरी के महापौर पद अब अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो गया है जबकि पिछले चुनाव में ये सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित था.बीजेपी कांग्रेस सहित शहर के तमाम लोग बेसब्री से आरक्षण के इस पल का इंतजार में थे.आरक्षण के इस फैसले बाद जहां सामान्य वर्ग के नेताओ के सपने टूट गए है तो वही पिछड़ा वर्ग से जुड़े नेताओं के उम्मीदे जग गई है.




Body:धमतरी प्रदेश की सबसे पुरानी नगरपालिका रही है और पिछले 5 साल से ये नगर निगम है इस तरह निगम की कुल उम्र 135 साल हो चुकी है प्रदेश में भले ही कई दशकों तक कांग्रेस का सत्ता रही लेकिन धमतरी निकाय में आज तक कांग्रेस सत्ता पर
काबिज नही हो सकी है.यहां लगातार शासन करने का रिकॉर्ड पहले जनसंघ और बाद में सिर्फ भाजपा के पास है.

बता दे कि 2014 में पहला निगम चुनाव हुआ था जो सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुई थी और बीजेपी से अर्चना चौबे चुनाव जीतकर पहली महापौर बनी.इसके पहले नगरपालिका में बीजेपी के डॉ.एनपी गुप्ता,ताराचंद हिंदूजा,जानकी पवार अध्यक्ष रहे है.राजनीति में परिस्थितियां बदलती रहती है इस बार आरक्षण में ओबीसी वर्ग को मौका मिला है और दोनों ही दलों में इससे जुड़े नेताओं की कमी नहीं है लिहाजा शहर में आरक्षण के बाद यहां सियासत गरमा गई है वही महापौर पद के लिए घमासान देखने को मिल सकता है.

शहर के वाशिंदों का कहना है कि सालो बाद भी धमतरी निगम क्षेत्र विकास से पिछड़ा हुआ है मसलन शहर में रेन वाटर ड्रेनेज सिस्टम की कमी,गोकुल नगर की कमी,आवारा मवेशी, ट्रांसपोर्ट नगर की कमी,नए बस स्टैंड की कमी,बाग बगीचे की कमी,अवैध कालोनी,अवैध निर्माण,शहर से गायब होते तालाब,गिरता जलस्तर ये सारी समस्याएं जस के तस है.लिहाजा ऐसे प्रत्याशी को महापौर कुर्सी देना चाहते है जिनके पास शहर विकास का अपना एजेंडा हो.


Conclusion:धमतरी में भाजपा ऐतिहासिक रूप से लगातार यहां सत्ता में है तो वहीं इस बार कांग्रेस विधानसभा जैसे परिणाम की उम्मीद में है इससे यह तो तय है कि चुनाव बेहद दिलचस्प और कांटे की टक्कर वाले होंगे.इधर भाजपा और कांग्रेस निगम आरक्षण के बाद दोनों ही पार्टी के पास पर्याप्त प्रत्याशी होने और अपने अपने जीत के दावे कर रहे है.

बाईट_01 चेतन हिंदूजा, युवा भाजपा नेता
बाईट_02 राजेश पांडेय,पार्षद
बाईट_03 मितेश जैन,स्थानीय नागरिक
बाईट_04 कविन्द्र जैन, भाजपा प्रवक्ता
बाईट_05 मोहन लालवानी,जिलाध्यक्ष कांग्रेस

रामेश्वर मरकाम,ईटीवी भारत,धमतरी

Last Updated : Sep 18, 2019, 6:17 PM IST
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