धमतरी: प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के लिए 13 नगर निगमों के महापौर पद की आरक्षित सीटों की लिस्ट आ चुकी है. धमतरी जिले का महापौर पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है. वहीं पिछले चुनाव में ये सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित थी.
बीजेपी और कांग्रेस पार्टी समेत शहर के लोग बेसब्री से आरक्षण के इस फैसले के इंतजार में थे. इस फैसले के बाद जहां सामान्य वर्ग के नेताओं के सपने टूट गए हैं, तो वहीं पिछड़ा वर्ग से जुड़े नेताओं की उम्मीदें जाग गईं हैं.
5 साल पहले धमतरी बना था नगर निगम
धमतरी जिला प्रदेश की सबसे पुरानी नगर पालिका रही है और पिछले 5 सालों से ये नगर निगम है. इस तरह से निगम की कुल उम्र 135 साल हो चुकी है. धमतरी निकाय में आज तक कांग्रेस सत्ता पर काबिज नहीं हो सकी है. यहां लगातार शासन करने का रिकॉर्ड पहले जनसंघ और बाद में सिर्फ भाजपा के पास रहा.
2014 में हुआ था पहला चुनाव
- बता दें कि 2014 में पहला निगम चुनाव हुआ था, जो सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुई थी और बीजेपी से अर्चना चौबे चुनाव जीतकर पहली महापौर बनी थीं.
- इसके पहले नगर पालिका में बीजेपी के डॉ.एनपी गुप्ता, ताराचंद हिंदूजा और जानकी पवार अध्यक्ष रहे हैं.
मुलभुत सुविधाओं के लिए अब तक तरस रहा है क्षेत्र
शहरवासियों का कहना है कि, 'सालों बाद भी धमतरी निगम क्षेत्र विकास से पिछड़ा हुआ है.'
⦁ मसलन शहर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग
⦁ ड्रेनेज सिस्टम की कमी
⦁ गोकुल नगर की कमी
⦁ आवारा मवेशी
⦁ ट्रांसपोर्ट नगर की कमी
⦁ नए बस स्टैंड की कमी
⦁ बाग बगीचे की कमी
⦁ अवैध कालोनियां और अवैध निर्माण
⦁ शहर से गायब होते तालाब
⦁ गिरता जलस्तर
उनका कहना है कि, 'ये तमाम समस्याएं जस की तस हैं. लिहाजा ऐसे प्रत्याशी को महापौर की कुर्सी देना चाहते हैं, जिनके पास शहर विकास का अपना एजेंडा हो.'
देखने मिलेगी टक्कर की राजनीति
राजनीति में परिस्थितियां बदलती रहती हैं. इस बार आरक्षण में ओबीसी वर्ग को मौका मिला है और दोनों ही दलों में इससे जुड़े नेताओं की कमी नहीं है, लिहाजा शहर में आरक्षण के बाद यहां सियासत गरमा गई है. वहीं महापौर पद के लिए घमासान देखने को मिल सकता है.