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पार्टियों की अंदरूनी कलह, निकाय चुनाव में भुगतना पड़ सकता है खामियाजा

धमतरी में नगरी चुनाव को लेकर सियासी हलचल जोरों पर है. कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों में अंदरूनी कलह का माहौल बना हुआ है. इस वजह से प्रत्याशी का चुनाव करना काफी मुश्किल साबित होगा.

धमतरी में नगरी चुनाव को लेकर सियासी हलचल
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Published : Oct 3, 2019, 7:34 AM IST

Updated : Oct 3, 2019, 10:01 AM IST

धमतरीः नगरी निकाय चुनावों को लेकर प्रदेशभर में सभी छोटी-बड़ी पार्टी और निर्दलिय नेता तैयारी में जुट गए हैं. जिले में निकाय चुनाव को लेकर अलग ही सियासी उठापटक चल रही है.

धमतरी में नगरी चुनाव को लेकर सियासी हलचल

कांग्रेस और भाजपा दोनों दलो में अंदरूनी कलह का माहौल बना हुआ है. इस वजह से प्रत्याशी का चुनाव करना काफी मुश्किल साबित होगा. दोनों दलों की कलह बार-बार सार्वजनिक होने लगी है, जिससे चुनाव में खड़े हुए प्रत्याशी को जीतने में काफी रोड़े पैदा कर सकती है.

धमतरी का सियासी इतिहास
धमतरी का राजनीतिक इतिहास काफी पुराना है. यहां नहर सत्याग्रह के लिए गांधी जी 1933 में दौरा किए थे. वहीं जनसंघ के पंढ़रीराव कृदत्त का भी दौर जिले में रहा है. यहां की सियासत में शुक्ल बंधुओं का दबदबा काफी समय तक रहा है, जिससे कांग्रेस का किला मजबूत रहा है. जिले में बीते दो दशकों से पूर्व पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर और वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुरूमुख सिंह होरा ही दो बड़े चेहरे हैं. जिनके इर्द-गिर्द यहां की सियासी शतरंज चलती है.

जिला कांग्रेस का अंदरूनी कलह
निकाय चुनाव को लेकर जिला कांग्रेस कमेटी में लगातार बैठकों का दौर जारी है. पार्टी के खेमों में बंटने से आला नेताओं की आपसी प्रतिस्पर्धा अब रंजिश की शक्ल में बदलती जा रही है. बीते दिनों जिला कांग्रेस के सचिव ने पूर्व विधायक होरा पर मारपीट का आरोप लगाया, जिससे खलबली मच गई थी, लेकिन 24 घंटे के अंदर ही सचिव ने अपने बयान से पलट कर जिलाध्यक्ष पर भड़काने का आरोप लगा दिया. दोनों ओर से बयानबाजी हुई और झगड़ा सुर्खियों में बना रहा. जिला कांग्रेस कमेटी के अंदरूनी कलह को देख प्रभारी मंत्री कवासी लकमा भी उलझ गए और झगड़ा सुलझाने में हार मान गए.

अनुशासित पार्टी का स्लोगन फेल
कुछ दिनों पहले पार्टी के एक कार्यकर्ता ने धमतरी विधायक रंजना साहू के पति पर बीच चौराहे मारपीट करने का आरोप लगाते हुए आला कमान से शिकायत की. साथ ही पुलिस से मामले में शिकायत की गई थी. इससे जाहिर होता है कि भाजपा के अंदर भी सब कुशल मंगल नहीं हैं.

जिले के राजनीति का बुरा दौर
नगरी निकाय चुनाव में अब देखना यह है कि, दोनों ही पार्टियों के अंदरूनी कलह का फायदा किसी अन्य पार्टी या निर्दली प्रत्याशी को मिलती है या झगड़ा निपटाकर चुनाव जीतने की रणनीति तैयार करते हैं. बहरहाल जिले के बुद्धिजीवी वर्ग भी इस स्थिति को धमतरी के सियासी इतिहास का सबसे बुरा दौर मानते हैं.

धमतरीः नगरी निकाय चुनावों को लेकर प्रदेशभर में सभी छोटी-बड़ी पार्टी और निर्दलिय नेता तैयारी में जुट गए हैं. जिले में निकाय चुनाव को लेकर अलग ही सियासी उठापटक चल रही है.

धमतरी में नगरी चुनाव को लेकर सियासी हलचल

कांग्रेस और भाजपा दोनों दलो में अंदरूनी कलह का माहौल बना हुआ है. इस वजह से प्रत्याशी का चुनाव करना काफी मुश्किल साबित होगा. दोनों दलों की कलह बार-बार सार्वजनिक होने लगी है, जिससे चुनाव में खड़े हुए प्रत्याशी को जीतने में काफी रोड़े पैदा कर सकती है.

धमतरी का सियासी इतिहास
धमतरी का राजनीतिक इतिहास काफी पुराना है. यहां नहर सत्याग्रह के लिए गांधी जी 1933 में दौरा किए थे. वहीं जनसंघ के पंढ़रीराव कृदत्त का भी दौर जिले में रहा है. यहां की सियासत में शुक्ल बंधुओं का दबदबा काफी समय तक रहा है, जिससे कांग्रेस का किला मजबूत रहा है. जिले में बीते दो दशकों से पूर्व पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर और वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुरूमुख सिंह होरा ही दो बड़े चेहरे हैं. जिनके इर्द-गिर्द यहां की सियासी शतरंज चलती है.

जिला कांग्रेस का अंदरूनी कलह
निकाय चुनाव को लेकर जिला कांग्रेस कमेटी में लगातार बैठकों का दौर जारी है. पार्टी के खेमों में बंटने से आला नेताओं की आपसी प्रतिस्पर्धा अब रंजिश की शक्ल में बदलती जा रही है. बीते दिनों जिला कांग्रेस के सचिव ने पूर्व विधायक होरा पर मारपीट का आरोप लगाया, जिससे खलबली मच गई थी, लेकिन 24 घंटे के अंदर ही सचिव ने अपने बयान से पलट कर जिलाध्यक्ष पर भड़काने का आरोप लगा दिया. दोनों ओर से बयानबाजी हुई और झगड़ा सुर्खियों में बना रहा. जिला कांग्रेस कमेटी के अंदरूनी कलह को देख प्रभारी मंत्री कवासी लकमा भी उलझ गए और झगड़ा सुलझाने में हार मान गए.

अनुशासित पार्टी का स्लोगन फेल
कुछ दिनों पहले पार्टी के एक कार्यकर्ता ने धमतरी विधायक रंजना साहू के पति पर बीच चौराहे मारपीट करने का आरोप लगाते हुए आला कमान से शिकायत की. साथ ही पुलिस से मामले में शिकायत की गई थी. इससे जाहिर होता है कि भाजपा के अंदर भी सब कुशल मंगल नहीं हैं.

जिले के राजनीति का बुरा दौर
नगरी निकाय चुनाव में अब देखना यह है कि, दोनों ही पार्टियों के अंदरूनी कलह का फायदा किसी अन्य पार्टी या निर्दली प्रत्याशी को मिलती है या झगड़ा निपटाकर चुनाव जीतने की रणनीति तैयार करते हैं. बहरहाल जिले के बुद्धिजीवी वर्ग भी इस स्थिति को धमतरी के सियासी इतिहास का सबसे बुरा दौर मानते हैं.

Intro:धमतरी में निकाय चुनावो के लिये दोनो प्रमुख दल तैयारी कर रहे है.चुनावो में दोनो दलो के अपने मुद्दे होंगे और प्रत्याशी होंगे जो चुनाव के परिणामो पर असर करेंगे.लेकिन शायद पहली बार भाजपा और कांग्रेस के अंदर की कलह भी एक बड़ा कारक बनेगा क्योंकि दोनो दलो की कलह बार बार सार्वजनिक होने लगी है.

Body:धमतरी का राजनीतिक इतिहास काफी पुराना है यहां नहर सत्याग्रह के लिये गांधी जी ने भी 1933 में दौरा किया था.फिर जनसंघ के पंढ़रीराव कृदत्त का भी दौर रहा और फिर शुक्ल बंधुओ का दबदबा.बीते दो दशको से पूर्व पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुरूमुख सिंह होरा ही दो बड़े चेहरे है जिनके इर्द गिर्द सियासत की शतरंज चलती है.कभी यहां भाजपा हावी रही तो कभी कांग्रेस लेकिन अंदरूनी कलह का जो दौर अभी है.शायद पहले कभी नहीं था बात चाहे कांग्रेस की हो या भाजपा की हो.

पहले बात कांग्रेस की करते है निकाय चुनाव के लिये लगातार बैठको का दौर है.टिकटार्थीयो की जोर आजमाईश जारी है.बड़े नेता अपने लोगो को खड़ा करने पूरा जोर लगा रहे है लेकिन खेमो में बंटी कांग्रेस के आला नेताओ की आपसी प्रतिस्पर्धा अब रंजिश की शक्ल लेते जा रही है.बीते दिनो जिला कांग्रेस के सचिव ने पूर्व विधायक होरा पर मारपीट का आरोप लगाया.जिससे खलबली मच गई.मुश्किल से 24 घंटे अंदर ही सचिव ने पलटा खाया और जिला अध्यक्ष पर भड़काने का आरोप लगा दिया.इस बीच दोनो तरफ से बयानबाजी हुई और झगड़ा खबरो की सुर्खिया बना.अब जिले के प्रभारी मंत्री के सामने ही फिर कांग्रेसी उलझ गए और बड़े नेताओ की काबिलियत और नीयत दोनो पर सवाल उठे. प्रतिकार,इजहार,आरोप,इंकार की बाते हुई.मंत्री भी हार खाकर बोले ऐसा ही चला तो बात नही बनेगी.

अनुशासित पार्टी जैसा स्लोगन अब धमतरी भाजपा पर नहीं जंच रहा है.अलग अलग खेमो के बीच रस्साकशी की खबरे चर्चा में जरूर रहती है लेकिन पहली बार मामला चौराहे पर हाथापाई और फिर पुलिस तक भी पहुच गया.विवाद के कंद्र में कोई आम नेता नहीं बल्कि विधायक और उनके पतिदेव थे.दोनो तरफ से मीडिया में बयान बाजी की गई.आला कमान को शिकायते हुई अब कोई इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि सब कुशल मंगल है.

Conclusion:एन निकाय चुनाव के पहले ये हालात सिर्फ ट्रेलर है असल पिक्चर तो चुनाव में दिखेगी.क्योंकि अब ये सवाल नहीं कि कैसे जीतेंगे बल्कि कोशिश ये चल रही है कि कैसे अपने विरोधी को पिक्चर का विलेन बनाया जाए और भले हीरो दूसरे दल का नेता ही क्यों न बन जाए.धमतरी का बुद्धीजीवी वर्ग भी इस स्थिति को खतरनाक मानता है.बहरहाल आगे आगे देखिये क्या होता है लेकिन धमतरी के गौरवशाली राजनीतिक इतिहास का ये सबसे बुरा दौर शुरू हो चुका है.

बाईट_01मोहन लालवानी,जिलाध्यक्ष कांग्रेस
बाईट_02 संतोष हिरवानी,कांग्रेस कार्यकर्ता
बाईट_03 रंजना साहू,विधायक धमतरी
बाईट_04 रामू रोहरा,भाजपा जिलाध्यक्ष
बाईट_05 रंजीत छाबड़ा, वरिष्ठ पत्रकार

रामेश्वर मरकाम,ईटीवी भारत,धमतरी



Last Updated : Oct 3, 2019, 10:01 AM IST

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