धमतरीः नगरी निकाय चुनावों को लेकर प्रदेशभर में सभी छोटी-बड़ी पार्टी और निर्दलिय नेता तैयारी में जुट गए हैं. जिले में निकाय चुनाव को लेकर अलग ही सियासी उठापटक चल रही है.
कांग्रेस और भाजपा दोनों दलो में अंदरूनी कलह का माहौल बना हुआ है. इस वजह से प्रत्याशी का चुनाव करना काफी मुश्किल साबित होगा. दोनों दलों की कलह बार-बार सार्वजनिक होने लगी है, जिससे चुनाव में खड़े हुए प्रत्याशी को जीतने में काफी रोड़े पैदा कर सकती है.
धमतरी का सियासी इतिहास
धमतरी का राजनीतिक इतिहास काफी पुराना है. यहां नहर सत्याग्रह के लिए गांधी जी 1933 में दौरा किए थे. वहीं जनसंघ के पंढ़रीराव कृदत्त का भी दौर जिले में रहा है. यहां की सियासत में शुक्ल बंधुओं का दबदबा काफी समय तक रहा है, जिससे कांग्रेस का किला मजबूत रहा है. जिले में बीते दो दशकों से पूर्व पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर और वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुरूमुख सिंह होरा ही दो बड़े चेहरे हैं. जिनके इर्द-गिर्द यहां की सियासी शतरंज चलती है.
जिला कांग्रेस का अंदरूनी कलह
निकाय चुनाव को लेकर जिला कांग्रेस कमेटी में लगातार बैठकों का दौर जारी है. पार्टी के खेमों में बंटने से आला नेताओं की आपसी प्रतिस्पर्धा अब रंजिश की शक्ल में बदलती जा रही है. बीते दिनों जिला कांग्रेस के सचिव ने पूर्व विधायक होरा पर मारपीट का आरोप लगाया, जिससे खलबली मच गई थी, लेकिन 24 घंटे के अंदर ही सचिव ने अपने बयान से पलट कर जिलाध्यक्ष पर भड़काने का आरोप लगा दिया. दोनों ओर से बयानबाजी हुई और झगड़ा सुर्खियों में बना रहा. जिला कांग्रेस कमेटी के अंदरूनी कलह को देख प्रभारी मंत्री कवासी लकमा भी उलझ गए और झगड़ा सुलझाने में हार मान गए.
अनुशासित पार्टी का स्लोगन फेल
कुछ दिनों पहले पार्टी के एक कार्यकर्ता ने धमतरी विधायक रंजना साहू के पति पर बीच चौराहे मारपीट करने का आरोप लगाते हुए आला कमान से शिकायत की. साथ ही पुलिस से मामले में शिकायत की गई थी. इससे जाहिर होता है कि भाजपा के अंदर भी सब कुशल मंगल नहीं हैं.
जिले के राजनीति का बुरा दौर
नगरी निकाय चुनाव में अब देखना यह है कि, दोनों ही पार्टियों के अंदरूनी कलह का फायदा किसी अन्य पार्टी या निर्दली प्रत्याशी को मिलती है या झगड़ा निपटाकर चुनाव जीतने की रणनीति तैयार करते हैं. बहरहाल जिले के बुद्धिजीवी वर्ग भी इस स्थिति को धमतरी के सियासी इतिहास का सबसे बुरा दौर मानते हैं.