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धमतरी : गांजा तस्करी का गेट-वे बना जिले का बॉर्डर, आंकड़े कर देंगे हैरान

छत्तीसगढ़ को बस्तर, आंध्रप्रदेश, ओडिशा और तेलंगाना से जोड़ने वाली सड़क एनएच-30 पर आए दिन गांजे की तस्करी होती रहती है. यहां तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही है.

गांजा
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Published : Dec 5, 2019, 1:20 PM IST

Updated : Dec 5, 2019, 2:30 PM IST

धमतरी : जिले को ओडिशा राज्य से जोड़ने वाली सड़क गांजा तस्करों की फेवरेट सड़क बन चुकी है. बीते तीन साल में इस रास्ते से सवा तीन करोड़ का गांजा पकड़ा जा चुका है, लेकिन तस्करी का खेल रुकने का नाम नहीं ले रहा है. इसके पीछे सीमा पर नक्सली सक्रियता और ओडिशा पुलिस की लापरवाही एक बड़ा कारण है, लिहाजा ये रूट गांजे का गेट वे बना हुआ है.

गांजा तस्करी का गेट-वे बना जिले का बॉर्डर

छत्तीसगढ़ को बस्तर, आंध्रप्रदेश, ओडिशा और तेलंगाना से जोड़ने वाला सड़क एनएच-30 धमतरी से होकर गुजरता है. धमतरी जिले का एक छोर एनएच 30 पर है तो दूसरा सीधे ओडिशा राज्य से जुड़ा हुआ है. दो राज्यो की सीमाएं जहां मिलती हैं वो धुर नक्सल प्रभावित इलाका है और इसी इलाके से होकर हर साल करोड़ों का गांजा ओडिशा से निकलकर आधे देश में तस्करी किया जाता है. घने जंगल, सूनी सपाट चौड़ी सड़कें तस्करों को सहुलियत देने वाली हैं. बीते तीन साल के आंकड़े देखें तो तस्करी का ग्राफ हैरान कर देने वाला है.

आंकड़े

  • साल 2017 में गांजा तस्करी के 30 प्रकरण दर्ज किए गए थे. इसमें 53 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इसमें कुल 15 क्विंटल 12 किलो गांजा जब्त किया गया, जब्त गांजे की कीमत एक करोड़ 33 लाख 29 हजार आंकी गई है.
  • साल 2018 में 36 प्रकरण दर्ज हुए थे. इस मामले में 62 तस्कर को गिरफ्तार किया था. इसमें कुल 11 क्विंटल 66 किलो गांजा जब्त हुआ था. जब्त गांजे की कीमत 62 लाख 78 हजार आंकी गई.
  • साल 2019 में अब तक 6 प्रकरण दर्ज हो चुके हैं और इन मामलों में 9 तस्करों की गिरफ्तार हुई है. वहीं 2 क्विंटल 61 किलो गांजा जब्त हुआ है, जिसकी कीमत एक करोड़ 30 लाख रुपए बताई जा रही है.

तमाम आंकड़े बताते हैं कि, धमतरी पुलिस की लगातार कार्रवाई के बाद भी तस्करी का ये काला कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा है. पुलिस खुद भी मानती है कि गांजे की ओडिशा में खेती होती है और धमतरी ओडिशा सीमा से लगा हुआ है. इसी कारण गांजा तस्कर इस रास्ते से ज्यादा तस्करी करते हैं. पुलिस की कार्रवाई की इसलिए भी बढ़ी है कि क्योंकि इस रास्ते में नक्सलवाद के कारण बोराई से लेकर धमतरी तक कई नए थाने खुले हैं, जहां औचक जांच में तस्कर पकड़े जाते हैं.

स्टाफ की कमी
धमतरी का आखिरी थाना बोराई है. इसके बाद ओडिशा राज्य लग जाता है. जहां पहला थाना कुंदई है. कुंदई थाने को एक बार नक्सली लूट कर जला चुके हैं, जिसके बाद से इस थाने को ओडिशा पुलिस ने लो प्रोफाइल रखा हुआ है. यहां न पर्याप्त स्टाफ है न जरूरी सुविधा, लिहाजा तस्करों पर अंकुश नहीं लगाया जा सका है.

धमतरी : जिले को ओडिशा राज्य से जोड़ने वाली सड़क गांजा तस्करों की फेवरेट सड़क बन चुकी है. बीते तीन साल में इस रास्ते से सवा तीन करोड़ का गांजा पकड़ा जा चुका है, लेकिन तस्करी का खेल रुकने का नाम नहीं ले रहा है. इसके पीछे सीमा पर नक्सली सक्रियता और ओडिशा पुलिस की लापरवाही एक बड़ा कारण है, लिहाजा ये रूट गांजे का गेट वे बना हुआ है.

गांजा तस्करी का गेट-वे बना जिले का बॉर्डर

छत्तीसगढ़ को बस्तर, आंध्रप्रदेश, ओडिशा और तेलंगाना से जोड़ने वाला सड़क एनएच-30 धमतरी से होकर गुजरता है. धमतरी जिले का एक छोर एनएच 30 पर है तो दूसरा सीधे ओडिशा राज्य से जुड़ा हुआ है. दो राज्यो की सीमाएं जहां मिलती हैं वो धुर नक्सल प्रभावित इलाका है और इसी इलाके से होकर हर साल करोड़ों का गांजा ओडिशा से निकलकर आधे देश में तस्करी किया जाता है. घने जंगल, सूनी सपाट चौड़ी सड़कें तस्करों को सहुलियत देने वाली हैं. बीते तीन साल के आंकड़े देखें तो तस्करी का ग्राफ हैरान कर देने वाला है.

आंकड़े

  • साल 2017 में गांजा तस्करी के 30 प्रकरण दर्ज किए गए थे. इसमें 53 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इसमें कुल 15 क्विंटल 12 किलो गांजा जब्त किया गया, जब्त गांजे की कीमत एक करोड़ 33 लाख 29 हजार आंकी गई है.
  • साल 2018 में 36 प्रकरण दर्ज हुए थे. इस मामले में 62 तस्कर को गिरफ्तार किया था. इसमें कुल 11 क्विंटल 66 किलो गांजा जब्त हुआ था. जब्त गांजे की कीमत 62 लाख 78 हजार आंकी गई.
  • साल 2019 में अब तक 6 प्रकरण दर्ज हो चुके हैं और इन मामलों में 9 तस्करों की गिरफ्तार हुई है. वहीं 2 क्विंटल 61 किलो गांजा जब्त हुआ है, जिसकी कीमत एक करोड़ 30 लाख रुपए बताई जा रही है.

तमाम आंकड़े बताते हैं कि, धमतरी पुलिस की लगातार कार्रवाई के बाद भी तस्करी का ये काला कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा है. पुलिस खुद भी मानती है कि गांजे की ओडिशा में खेती होती है और धमतरी ओडिशा सीमा से लगा हुआ है. इसी कारण गांजा तस्कर इस रास्ते से ज्यादा तस्करी करते हैं. पुलिस की कार्रवाई की इसलिए भी बढ़ी है कि क्योंकि इस रास्ते में नक्सलवाद के कारण बोराई से लेकर धमतरी तक कई नए थाने खुले हैं, जहां औचक जांच में तस्कर पकड़े जाते हैं.

स्टाफ की कमी
धमतरी का आखिरी थाना बोराई है. इसके बाद ओडिशा राज्य लग जाता है. जहां पहला थाना कुंदई है. कुंदई थाने को एक बार नक्सली लूट कर जला चुके हैं, जिसके बाद से इस थाने को ओडिशा पुलिस ने लो प्रोफाइल रखा हुआ है. यहां न पर्याप्त स्टाफ है न जरूरी सुविधा, लिहाजा तस्करों पर अंकुश नहीं लगाया जा सका है.

Intro:धमतरी जिले से ओडिशा राज्य को जोड़ना वाली सड़क गांजा तस्करों की फेवरेट सड़क बन चुकी है.बीते तीन साल में इस रास्ते से सवा तीन करोड़ का गांजा पकड़ा जा चुका है लेकिन ये तस्करी रूकने का नाम नहीं ले रही है.सीमा पर नक्सली सक्रियता और ओडिशा पुलिस की लापरवाही भी एक बड़ा कारण है कि ये रूट गांजे का गेट वे बना हुआ है.

Body:छत्तीसगढ़ को बस्तर और आंध्रप्रदेश तेलंगाना से जोड़ने वाला सड़क एनएच-30 धमतरी से होकर गुजरता है धमतरी जिले का एक छोर एनएच 30 पर है तो दूसरा सीधे ओडिशा राज्य से जुड़ा हुआ है.दो राज्यो की सीमाएं जहां मिलती वो धूर नक्सल प्रभावित इलाका है और इसी इलाके से होकर हर साल करोड़ो का गांजा ओडिशा से निकल कर आधे देश में तस्करी किया जाता है.घने जंगल सूनी सपाट चौड़ी सड़कें तस्करो को सहुलियत देने वाली है बीते तीन साल के आंकड़े देखे तो तस्करी का ग्राफ हैरान करता है.

वर्ष 2017 में गांजा तस्करी के 30 प्रकरण दर्ज हुए.कुल 15 क्विंटल 12 किलो क्विंटल गाजा जब्त किया गया जिसकी कीमत एक करोड़ 33 लाख 29 हजार आंकी गई.कुल 53 लोगो पर अपराध कायम हुआ.वही वर्ष-2018 में भी 36 तस्करी पकड़ी गई और 11क्विंटल 66 किलो गांजा जब्त हुआ.इस मामले में 62 तस्कर गिरफ्तार हुए जब्त गांजे की कीमत 62 लाख 78 हजार आंकी गई.वर्ष-2019 में अब तक 6 प्रकरण दर्ज हो चुके है और इस मामले में 9 गिरफ्तार हुए वही 2 क्विंटल 61 किलो गांजा जब्त हुआ जिसकी कीमत करीब एक करोड़ 30 लाख होती है.

तमाम आंकड़े बताते हैं कि धमतरी पुलिस की इतनी कार्रवाई के बाद भी तस्करी है कि लगातार चल ही रही है.पुलिस खुद भी मानती है कि गांजे की ओडिशा में खेती होती है और धमतरी क्योंकि ओडिशा सीमा से लगा हुआ है.इसी कारण गांजा तस्कर इस रास्ते से ज्यादा तस्करी करते है.पुलिस की कार्रवाई की तादात इसलिये भी बढ़ी है कि क्योंकि इस रास्ते में नक्सलवाद के कारण बोराई से लेकर धमतरी तक कई नये थाने खुले है जहां औचक जांच में तस्कर पकड़े जाते है.

Conclusion:वैसे धमतरी में आखिरी थाना बोराई है इसके बाद ओडिशा राज्य लग जाता है जहां पहला थाना कुंदई है कुंदई थानो को एक बार नक्सली लूट कर जला चुके है जिसके बाद से इस थाने को ओडिशा पुलिस ने लो प्रोफाईल रखा हुआ है यहां न पर्याप्त स्टाफ है न जरूरी सुविधा.पुलिस चाहे तो भी तस्करो की धरपकड़ के लिये वो सक्षम नहीं है.

बाईट_मनीषा ठाकुर रावटे,एएसपी धमतरी

रामेश्वर मरकाम,ईटीवी भारत,धमतरी

Last Updated : Dec 5, 2019, 2:30 PM IST
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