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बीमारी का 'घर' बनी राइस मिल, डॉक्टर के पास हर रोज पहुंच रहे 50 मरीज

राइस मिलों से निकले गंदे पानी की वजह से जिल में फाइलेरिया जैसी बिमारी फैल रही है. चिमनी से निकला राखड़ वाला धुआं लोगों की आंखों के लिए खतरा बन गया है.

बीमारी का 'घर' बनी राइस मिल, डॉक्टर के पास हर रोज पहुंच रहे 50 मरीज
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Published : Aug 11, 2019, 7:17 PM IST

धमतरी: विज्ञान ने जहां लोगों को कई वरदान दिए हैं, तो वहीं इसके कुछ अभिशाप भी सामने आए हैं. प्रदूषण एक ऐसा ही एक अभिशाप है, जो विज्ञान की कोख से जन्मा है और जिसे सहने के लिए लोग मजबूर है. राइस मिल भी विज्ञान के उन अविष्कारों में से एक है, जिसने सहूलियत देने के साथ-साथ लोगों दिक्कत भी बढ़ाई है. जिले में राइस मिलों ने उद्योग, रोजगार और व्यापार के अवसर जरूर बढ़ाए हैं, लेकिन इसकी कीमत यहां के लोग अपनी और अपने परिवार की सेहत को नुकसान पहुंचाकर चुका रहे हैं.

बीमारी का 'घर' बनी राइस मिल, डॉक्टर के पास हर रोज पहुंच रहे 50 मरीज

राइस मिल से निकला प्रदूषण यहां की हवा में जहर घोल रहा है और राइस मिलों का गंदा पानी फाइलेरिया जैसे गंभीर रोगों का कारण बन रहा है. वहीं राइस मिल की चिमनी से निकला राखड़ वाला धुआं लोगों की आंख और फेफड़ों के लिए खतरा बन गया है.

धमतरी में 300 से ज्यादा राइस मिल
बता दें कि पूरे जिले में कुल 300 से ज्यादा राइस मिलें हैं. इनमें से 40 फीसदी उसना राइस की मिलें हैं, जो साल भर चलती हैं. कस्टम मीलिंग के समय सभी राइस मिलें रात-दिन चलती है. सिर्फ धमतरी शहर में ही लगभग 80 राइस मिलें संचालित हैं. उसना राइस मिलों से जो गंदा पानी निकलता है, उसका नियमानुसार ट्रीटमेंट भी नहीं किया जाता. इस गंदे पानी से दलदल बनता है. इस दलदल में फाइलेरिया के मच्छर पनपते हैं जो राइस मिलों के आसपास की बस्तियों में फाइलेरिया की बीमारी फैलाते हैं.

डॉक्टर के पास हर रोज पहुंचते हैं 50 मरीज
सामान्य दिनों में रोजाना आंख के एक डॉक्टर के पास आधा दर्जन लोग रोज आंखों से राखड़ निकलवाने जाते है. यहां लगभग 50 लोग रोज राइस मिलों से निकले राखड़ का शिकार होते हैं और कई लोगों की आंखों में हमेशा के लिए दिक्कत हो चुकी है.

लोगों को है भविष्य की चिंता
धमतरी में राइस मिलों की संख्या दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है, जो आगे भी बढ़ती रहेगी. जाहिर है इससे समस्या कई गुना बढ़ेगी. धमतरी के लोग इस खतरे से परेशान होने के साथ ही अपने भविष्य को लेकर चिंतित भी हैं.

धमतरी: विज्ञान ने जहां लोगों को कई वरदान दिए हैं, तो वहीं इसके कुछ अभिशाप भी सामने आए हैं. प्रदूषण एक ऐसा ही एक अभिशाप है, जो विज्ञान की कोख से जन्मा है और जिसे सहने के लिए लोग मजबूर है. राइस मिल भी विज्ञान के उन अविष्कारों में से एक है, जिसने सहूलियत देने के साथ-साथ लोगों दिक्कत भी बढ़ाई है. जिले में राइस मिलों ने उद्योग, रोजगार और व्यापार के अवसर जरूर बढ़ाए हैं, लेकिन इसकी कीमत यहां के लोग अपनी और अपने परिवार की सेहत को नुकसान पहुंचाकर चुका रहे हैं.

बीमारी का 'घर' बनी राइस मिल, डॉक्टर के पास हर रोज पहुंच रहे 50 मरीज

राइस मिल से निकला प्रदूषण यहां की हवा में जहर घोल रहा है और राइस मिलों का गंदा पानी फाइलेरिया जैसे गंभीर रोगों का कारण बन रहा है. वहीं राइस मिल की चिमनी से निकला राखड़ वाला धुआं लोगों की आंख और फेफड़ों के लिए खतरा बन गया है.

धमतरी में 300 से ज्यादा राइस मिल
बता दें कि पूरे जिले में कुल 300 से ज्यादा राइस मिलें हैं. इनमें से 40 फीसदी उसना राइस की मिलें हैं, जो साल भर चलती हैं. कस्टम मीलिंग के समय सभी राइस मिलें रात-दिन चलती है. सिर्फ धमतरी शहर में ही लगभग 80 राइस मिलें संचालित हैं. उसना राइस मिलों से जो गंदा पानी निकलता है, उसका नियमानुसार ट्रीटमेंट भी नहीं किया जाता. इस गंदे पानी से दलदल बनता है. इस दलदल में फाइलेरिया के मच्छर पनपते हैं जो राइस मिलों के आसपास की बस्तियों में फाइलेरिया की बीमारी फैलाते हैं.

डॉक्टर के पास हर रोज पहुंचते हैं 50 मरीज
सामान्य दिनों में रोजाना आंख के एक डॉक्टर के पास आधा दर्जन लोग रोज आंखों से राखड़ निकलवाने जाते है. यहां लगभग 50 लोग रोज राइस मिलों से निकले राखड़ का शिकार होते हैं और कई लोगों की आंखों में हमेशा के लिए दिक्कत हो चुकी है.

लोगों को है भविष्य की चिंता
धमतरी में राइस मिलों की संख्या दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है, जो आगे भी बढ़ती रहेगी. जाहिर है इससे समस्या कई गुना बढ़ेगी. धमतरी के लोग इस खतरे से परेशान होने के साथ ही अपने भविष्य को लेकर चिंतित भी हैं.

Intro:धमतरी जिले में राइस मिलों ने उद्योग, रोजगार और व्यापार के अवसर जरूर बढ़ाए है लेकिन इसकी कीमत यहां के लोग अपनी और अपने परिवार की सेहत से चुका रहे हैं.राइस मिल से निकला प्रदूषण यहां की हवा में जहर घोल रहा है और राइस मिलों का गंदा पानी फाइलेरिया जैसे गंभीर रोगों का कारण बन रहा है.वहीं राइस मिल की चिमनी से निकला राखड़ वाला धुआं लोगों की आंखों के लिए खतरा बन गया है.

Body:बता दे कि पूरे जिले में कुल 300 से ज्यादा राइस मिलें हैं.इनमें से 40 फीसदी उसना राइस मिलें हैं, जो साल भर चलती हैं. कस्टम मीलिंग के समय सभी राइस मिलें रात-दिन चलती है.सिर्फ धमतरी शहर में ही लगभग 80 राइस मिले संचालित है.उसना राइस मिलों से जो गंदा पानी निकलता है, उसका नियमानुसार ट्रीटमेंट भी नहीं किया जाता.इस गंदे पानी से दलदल बनता है.इस दलदल में फाइलेरिया के मच्छर फैलते हैं जो राइस मिलों के आसपास की बस्ति‍यों में फाइलेरिया फैलाते हैं.
सामान्य दिनों में रोजाना आंख के एक डाक्टर के पास आधा दर्जन लोग रोज आंखों से राखड़ निकलवाने जाते है.रोज लगभग 50 लोग इन राइस मिलों से निकले राखड़ का शिकार होते हैं.कई मामलों में लोगों की आंखों में हमेशा के लिए समस्या हो चुकी है.

धमतरी में राइस मिलों की संख्या दिनोदिन बढ़ते ही जा रही है जो आगे और भी बढ़ेगी.जाहिर है इससे समस्या कई गुना बढ़ेगी.धमतरी के लोग इस खतरे से परेशान तो है वही भविष्य को लेकर चिंतित भी हैं.पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने पर धारा 133 के तहत कार्रवाई बनती है कई बार शिकायतें की गईं, लेकिन आज तक किसी भी राइस मिल को सील करने की कार्रवाई नहीं की गई है. समझा जा सकता है कि राइस मिलों पर प्रशासन इस कदर मेहरबान क्यों है.

Conclusion:अब जरूरत इस बात की है कि बीमारी और जहर उगलने वाले इन राइस मिलों पर लगाम कसी जाए नही तो लोगों का जीवन इसी तरह नर्क बना रहेगा.

बाईट_01 सीता राम यादव,स्थानीय
बाईट_02 फिरोज खान,स्थानीय
बाईट_03 रजत बंसल,कलेक्टर धमतरी

रामेश्वर मरकाम,ईटीवी भारत,धमतरी
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