धमतरी: विज्ञान ने जहां लोगों को कई वरदान दिए हैं, तो वहीं इसके कुछ अभिशाप भी सामने आए हैं. प्रदूषण एक ऐसा ही एक अभिशाप है, जो विज्ञान की कोख से जन्मा है और जिसे सहने के लिए लोग मजबूर है. राइस मिल भी विज्ञान के उन अविष्कारों में से एक है, जिसने सहूलियत देने के साथ-साथ लोगों दिक्कत भी बढ़ाई है. जिले में राइस मिलों ने उद्योग, रोजगार और व्यापार के अवसर जरूर बढ़ाए हैं, लेकिन इसकी कीमत यहां के लोग अपनी और अपने परिवार की सेहत को नुकसान पहुंचाकर चुका रहे हैं.
राइस मिल से निकला प्रदूषण यहां की हवा में जहर घोल रहा है और राइस मिलों का गंदा पानी फाइलेरिया जैसे गंभीर रोगों का कारण बन रहा है. वहीं राइस मिल की चिमनी से निकला राखड़ वाला धुआं लोगों की आंख और फेफड़ों के लिए खतरा बन गया है.
धमतरी में 300 से ज्यादा राइस मिल
बता दें कि पूरे जिले में कुल 300 से ज्यादा राइस मिलें हैं. इनमें से 40 फीसदी उसना राइस की मिलें हैं, जो साल भर चलती हैं. कस्टम मीलिंग के समय सभी राइस मिलें रात-दिन चलती है. सिर्फ धमतरी शहर में ही लगभग 80 राइस मिलें संचालित हैं. उसना राइस मिलों से जो गंदा पानी निकलता है, उसका नियमानुसार ट्रीटमेंट भी नहीं किया जाता. इस गंदे पानी से दलदल बनता है. इस दलदल में फाइलेरिया के मच्छर पनपते हैं जो राइस मिलों के आसपास की बस्तियों में फाइलेरिया की बीमारी फैलाते हैं.
डॉक्टर के पास हर रोज पहुंचते हैं 50 मरीज
सामान्य दिनों में रोजाना आंख के एक डॉक्टर के पास आधा दर्जन लोग रोज आंखों से राखड़ निकलवाने जाते है. यहां लगभग 50 लोग रोज राइस मिलों से निकले राखड़ का शिकार होते हैं और कई लोगों की आंखों में हमेशा के लिए दिक्कत हो चुकी है.
लोगों को है भविष्य की चिंता
धमतरी में राइस मिलों की संख्या दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है, जो आगे भी बढ़ती रहेगी. जाहिर है इससे समस्या कई गुना बढ़ेगी. धमतरी के लोग इस खतरे से परेशान होने के साथ ही अपने भविष्य को लेकर चिंतित भी हैं.