धमतरी: रोपाई-बियासी के बाद अब किसान अपने खेतों में यूरिया सहित अन्य खादों का छिड़काव कर रहे हैं, ताकि उन्हें ज्यादा से ज्यादा धान का उत्पादन मिल सके, लेकिन इन दिनों बाजार में यूरिया खाद की किल्लत होने से नकद खरीदी करने वाले किसानों को इसकी महंगी कीमत चुकानी पड़ रही है. ऐसे में किसान अब सरकार से खाद की कालाबाजारी पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं.
धमतरी जिले को बंपर धान उत्पादन के लिए जाना जाता है. जहां सभी किसान रासायनिक खाद पर आश्रित हैं. हर साल खरीफ सीजन में धान उत्पादन के लिए सोसायटियों के अलावा बाजार में संचालित कृषि दुकानों के माध्यम से सैकड़ों टन यूरिया और अन्य खादों की बिक्री होती है. इस साल भी रासायनिक खादों के भरोसे किसान धान का उत्पादन कर रहे हैं. खेतों में रासायनिक खाद की बदौलत ही फसल लहलहा रही है. वहीं धान की बाली निकलने से पहले किसान ज्यादा से ज्यादा मात्रा में यूरिया खाद का छिड़काव करना चाहते हैं.
दुकानदार कर रहे हैं खाद की कालाबाजारी
कई किसान खेती की शुरुआत में ही सोसाइटी से खाद का उठाव कर चुके हैं, लेकिन कई ऐसे किसान भी हैं जो नकद बाजार से खाद खरीदते हैं. बताया जा रहा है कि इन दिनों बाजार में यूरिया का दाम 450 रुपये के आसपास है. जबकि यहीं यूरिया सोसाइटी के माध्यम से किसानों को 265 रुपये में मिल जाती है. यानि दुकानदार किसानों से 150 रुपये ज्यादा ले रहे हैं.
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किसानों का कहना है कि खाद की बढ़ी हुई कीमत को लेकर वे काफी परेशान हैं, लेकिन फसल के लिए उन्हें मजबूरन बढ़ी हुई कीमत पर खाद लेना पड़ रहा है, क्योंकि सोसायटियों में खाद के उठाव की लिमिट होती है. इधर, कृषि विभाग के अफसरों का कहना है कि खाद की कालाबाजारी को रोकने के लिए समय-समय पर चेकिंग की जा रही है. अगर इसकी शिकायत मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी.
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कोरोना महामारी के बीच एक तरफ किसान खेतों में उपयोग होने वाले खाद की किल्लत से परेशान हैं, तो वहीं दूसरी तरफ दुकानों पर भी खाद की कालाबाजारी कर दुकानदार ज्यादा दाम पर बेच रहे हैं, जिसकी वजह से किसानों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
छत्तीसगढ़ में खाद की किल्लत
छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर लोग खेती-किसानी पर ही निर्भर हैं. ऐसे में बीज और खाद की कमी होने का असर सीधे तौर पर लोगों के जीवन पर पड़ सकता है. बता दें छत्तीसगढ़ में हाल के दिनों में यूरिया की कमी के कारण किसानों ने शासन-प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया था. सरगुजा जिले में यूरिया की किल्लत पिछले एक महीने से बनी हुई थी. रोज-रोज समितियों के चक्कर लगाकर थक चुके किसानों का आक्रोश इतना भड़क उठा कि उन्होंने यूरिया के लिए सड़क जाम कर दिया था.