ETV Bharat / state

भक्ति और शक्ति का संगम है मां अंगारमोती का दरबार, यहां पूरी होती है भक्तों की हर मुराद

author img

By

Published : Oct 8, 2019, 11:51 AM IST

आज हम आपको लेकर चलेंगे धमतरी की खूबसूरत वादियों में विराजी मां अंगारमोती के दरबार. मां का यह मंदिर अपने अनोखे चमत्कार और मान्याताओं के लिए जाना जाता है.

मां अंगारमोती का दरबार यहां पूरी होती है भक्तों की हर मुराद

धमतरी: दंडकारण्य का प्रवेशद्वार कहे जाने वाले धमतरी में देवियों का हमेशा से ही वास रहा है. भक्ति और शक्ति के इस सगंम में कई चमत्कार भी होते रहते हैं. कहा जाता है कि इस सिद्धपीठ से कोई श्रद्धालु निराश होकर नहीं लौटता. यही वजह है कि हर नवरात्र में आस्था की ज्योत जलाने दूरदराज के लोग यहां पहुंचते हैं. हम बात कर रहे हैं गंगरेल की खूबसूरत वादियों के बीच विराजमान माता अंगारमोती की.

मां अंगारमोती का दरबार यहां पूरी होती है भक्तों की हर मुराद

अंगारा ऋषि की पुत्री हैं मां अंगारमाता
धमतरी में गंगरेल के पहाड़ों के बीच मौजूद मां अंगारमोती का ये दरबार बीते 600 साल के इतिहास को अपने अंदर समेटे हुए है. 1972 में जब जब बांध का निर्माण हो रहा था, उस समय पूरा गांव डूब गया इसके बाद, भक्तों ने नदी के किनारे माता का दरबार बना दिया. मान्यता के अनुसार माता अंगारमोती ऋषि अंगारा की पुत्री हैं और इस वजह से इनका नाम अंगारमोती पड़ा. पुजारी की माने तो सभी वनदेवियों की बहन मानी जाने वाली इस मां को शुरू से ही खुली वादियां ही पसंद हैं. ऐसी मान्यता है कि, इनके चमत्कार से कई नि:संतान महिलाओं की गोद भरी है.

महिलाएं बिना पल्लू लिए करती हैं पूजा
आपने हर मंदिरों में महिलाओं को सिर में पल्लू रखे देखा होगा, लेकिन इस मंदिर में महिलाएं बिना पल्लू लिए शीश नवाकर अपनी मां से प्रार्थना करती हैं. लोगों का कहना है कि, उन्होंने इस दरबार में माता की शक्ति को कई बार महसूस किया है. भक्तों का कहना है कि मां अंगारमोती दरबार में आए भक्तों को मां खाली हाथ नहीं भेजती हैं.

धमतरी: दंडकारण्य का प्रवेशद्वार कहे जाने वाले धमतरी में देवियों का हमेशा से ही वास रहा है. भक्ति और शक्ति के इस सगंम में कई चमत्कार भी होते रहते हैं. कहा जाता है कि इस सिद्धपीठ से कोई श्रद्धालु निराश होकर नहीं लौटता. यही वजह है कि हर नवरात्र में आस्था की ज्योत जलाने दूरदराज के लोग यहां पहुंचते हैं. हम बात कर रहे हैं गंगरेल की खूबसूरत वादियों के बीच विराजमान माता अंगारमोती की.

मां अंगारमोती का दरबार यहां पूरी होती है भक्तों की हर मुराद

अंगारा ऋषि की पुत्री हैं मां अंगारमाता
धमतरी में गंगरेल के पहाड़ों के बीच मौजूद मां अंगारमोती का ये दरबार बीते 600 साल के इतिहास को अपने अंदर समेटे हुए है. 1972 में जब जब बांध का निर्माण हो रहा था, उस समय पूरा गांव डूब गया इसके बाद, भक्तों ने नदी के किनारे माता का दरबार बना दिया. मान्यता के अनुसार माता अंगारमोती ऋषि अंगारा की पुत्री हैं और इस वजह से इनका नाम अंगारमोती पड़ा. पुजारी की माने तो सभी वनदेवियों की बहन मानी जाने वाली इस मां को शुरू से ही खुली वादियां ही पसंद हैं. ऐसी मान्यता है कि, इनके चमत्कार से कई नि:संतान महिलाओं की गोद भरी है.

महिलाएं बिना पल्लू लिए करती हैं पूजा
आपने हर मंदिरों में महिलाओं को सिर में पल्लू रखे देखा होगा, लेकिन इस मंदिर में महिलाएं बिना पल्लू लिए शीश नवाकर अपनी मां से प्रार्थना करती हैं. लोगों का कहना है कि, उन्होंने इस दरबार में माता की शक्ति को कई बार महसूस किया है. भक्तों का कहना है कि मां अंगारमोती दरबार में आए भक्तों को मां खाली हाथ नहीं भेजती हैं.

Intro:दण्कारण्य का प्रवेशद्धार कहे जाने वाले धमतरी इलाके मे देवी शक्तियो का हमेशा से ही वास रहा है पर गंगरेल की हसीनवादियो मे विराजमान अंगारमोती माता की महिमा ही निराली है.नवरात्र के पावन पर्व मे लोग माता की भक्ति के रंग मे डूबे हुए नजर आते है और इस दरबार मे हर रोज आस्था का सैलाब उमड़ पड़ता है.नवरुपो मे पूजे जाने जाने वाली माता का यह रुप यथा नाम तथा गुणो वाली है जो सदियो से इलाके की रक्षा करते आ रही है.शक्ति और भक्ति के इस सगंम मे कई चमत्कार भी होते रहते है कहा जाता है कि इस सिद्धपीठ से कोई श्रृद्धालु निराश नही लौटता.यही वजह है कि हर नवरात्र मे आस्था की ज्योत जलाने इलाके के अलावा दूरदराज के लोगो का यहां तांता लग जाता है.

Body:धमतरी मे गगंरेल के पहाड़ों बीच मे विराजित माॅ अंगारमोती का यह भव्य दरबार बीते 6 सौ सालो के इतिहास को अपने अन्दर समेटे हुए है.जब माता दुर्गा का यह रुप अब डूबान मे आ चूके चवरगाॅव के बीहड़ मे स्वंय प्रकट हुई और अपने प्रभाव से पूरे इलाके को आलौकित कर दिया.जब 1972 मे बाॅध बनने से पूरा गाॅव डूब गया तो भक्तो ने नदी के किनारे माता का दरबार बना दिया.तब से इस दरबार मे आस्था की ज्योत जलने का सिलसिला शूरु हुआ जो आज तक जारी है.मान्यता के मुताबिक सबकी मनोकामना पूरी करने वाली अंगारा श्रृषि की पुत्री है जिसके चलते इसका नाम अंगारमोती पडा.यह माता अपने नाम के खुश होने पर भक्तो की झोली भर देती है वही नाराज होने पर उन्हे मनाना मुश्किल हो जाता है.पुजारी की माने तो सभी वनदेवियो की बहन माने जाने वाली इस माॅ को शुरु से ही खुली वादियां ही पसन्द है जिसके चमत्कार से कई निस्तान महिलाओ की गोद भरी है.

तब से लेकर आज तक इस दरबार मे लोगो ने माता के शक्ति को कई बार अहसास किया है जिसके चलते अपनी जिन्दगी मे उजियारा लाने महिलाऐ बिना पल्लू सिर पर ढाके इस मन्दिर मे शीश नवाकर अपनी मनोकामना पूरी करती है.

Conclusion:वैसे तो इस दरबार मे सालभर घन्टियो की आवाज गूॅजने का सिलसिला नही रुकता पर नवरात्र के खास मौके पर पूरा माहौल माता के भक्तो का मेला लग जाता है और माॅ अंगारमोती अपने भक्तो की खाली झोली भर देती है जो सुख और सुकुन की तलाश मे यॅहा हाजिरी लगाते है.

बाईट_01 बहुर सिंह,पुजारी(पीली शर्ट में)
बाईट_02 श्रद्धालु महिला
बाईट_03 कन्ना राव,श्रद्धालु (बुजुर्ग)
बाईट_04 राजू सोनी,श्रद्धालु(टी शर्ट में)
बाईट_05 खूबलाल ध्रुव,युवा श्रद्धालु

रामेश्वर मरकाम,ईटीवी भारत,धमतरी
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.