धमतरी: करीब दो साल से कोरोना संक्रमण के कारण कोई भी प्रमुख और धार्मिक आयोजन नहीं किए गए थे. संक्रमण के नियंत्रित होने की स्थिति को ध्यान में रखकर इस वर्ष नवरात्र पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. धमतरी जिले में नवरात्र की रौनकता देखते ही बन रही है. शहर के ब्राह्मणपारा में विराजित माता दुर्गा की प्रतिमा लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है. क्योंकि यहां सामान्य प्रतिमा की स्थापना नहीं की गई है. बल्कि दुर्गा पंडाल में 4 प्रसिद्ध और अधिष्ठात्री देवियों की छाया मूर्ति की स्थापना की गई है.
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दरअसल धमतरी जिले में अनेक पालनहार देवियां विराजमान हैं. जहां भक्त अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं. नवरात्र में इन देवी मंदिरों का नजारा कुछ और ही रहता है. भक्तों की कतार बस एक झलक माता के दर्शन के लिए होती है. लेकिन ब्राह्मण पारा में एक ही पंडाल में धमतरी की 4 प्रसिद्ध और अधिष्ठात्री देवियों की स्थापना की गयी है, जो चर्चा में बनी हुई है.
यहां पर धमतरी की आराध्य देवी मां विंध्यवासिनी माता, गंगरेल की मां अंगारमोती, रिसाईपारा स्थित मां दंतेश्वरी और शीतला माता की प्रतिमा रखी गई है. इन देवियों को शहर के ब्राह्मणपारा के बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव चौक में मां दुर्गोत्सव समिति ने स्थापित किया है. पंडित और पंडा की देखरेख में माताओं की विशेष आराधना की जा रही है. इन स्थानीय देवियों की झलक पाने दुर्गा पंडाल में श्रद्धालुओं का तांता लग रहा है. हर कोई अपने मोबाइल से तस्वीर और वीडियो उतार रहा है. इसके साथ ही सोशल मीडिया में तस्वीरें शेयर कर रहा है. शहर के दुर्गा पंडाल में इन अधिष्ठात्री देवियों की सुबह शाम आराधना की जा रही है.
दुर्गा समिति के सदस्यों ने बताया कि वे पिछले 25 साल से माता की स्थापना कर रहे हैं. हर साल विशेष और आकर्षक मूर्ति रखने की परंपरा निभा रहे हैं. इस साल समिति के लोगों ने सोचा कि क्यों न इस बार अपने गृह शहर और जिले की अधिष्ठात्री देवियों की स्थापना की जाएं. सभी साथी राजी हुए और शहर की पालनहार देवी विंध्यवासिनी माता, शीतला माता, दंतेश्वरी माता और वनदेवी गंगरेल की अंगारमोती की स्थापना की. समिति के इस प्रयास का लोग सराहना कर रहे हैं. रोज सैकड़ों लोग पंडाल पहुंकर माताओं की तस्वीर उतार रहे हैं. विंध्यवासिनी मंदिर के पुजारी ने कहा कि मां की ख्याति विदेशों तक फैली है. विदेश के लोग भी यहां मनोकामना ज्योत जलवाते हैं. कोई समिति इस तरह स्थानीय देवियों को महत्व देते हुए मूर्ति स्थापना कर रही हो तो ये एक अच्छा धार्मिक प्रयास साबित होगा. भक्तों को दुर्गा पंडाल में ही जिले की प्रमुख देवियों का दर्शन हो पायेगा.