धमतरी: धमतरी की रहने वाली दिव्यांग चंचल और रजनी जोशी के बुलंद हौसले के आगे ऊंचे पहाड़ के उबड़ खाबड़ रास्ते फीके पड़ गए. मजबूत इरादा लेकर एवरेस्ट को फतह करने निकली चंचल ने आखिरकार माउंट एवरेस्ट बेस कैम्प में पहुंचकर यह साबित कर दिया कि, दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो कोई भी मुश्किल किसी को रोक नहीं सकती. दरअसल राज्य के 9 पर्वतारोही 10 दिन में 5364 मीटर की चढ़ाई पूरी कर माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचे और यहां सभी ने राजगीत अरपा पैरी के धार गीत गाया. इस टीम में चार दिव्यांग पर्वतारोही और एक ट्रांसजेंडर हैं.टीम में शामिल सबसे कम उम्र यानी 14 साल की चंचल सोनी ने बैसाखी और बुलंद हौसले के दम पर बेस कैंप फतह किया.
माउंट एवरेस्ट का बेस कैंप फतह किया: कृत्रिम पैर और लो विजन से जूझ रही रजनी भी मजबूत इच्छाशक्ति और छड़ी से ऊबड़-खाबड़ रास्ते पार कर यहां पहुंची.छड़ी और मजबूत इच्छाशक्ति से बर्फीली पहाड़ियों पर चढ़ाई की. कई बार लड़खड़ाई पर चढ़ती रही और बेस कैंप पहुंचने के बाद कृत्रिम पैर और बैसाखी हवा में लहराते हुए उन्होंने खुशी जाहिर की. बताया जा रहा है कि चंचल सोनी का बचपन से एक पैर नहीं है. उन्होंने पहाड़ों पर चढ़ाई बैसाखी की मदद से की.
मजबूत इरादों की माउंट एवरेस्ट की चोटियों तक उड़ान, चंचल सोनी और रजनी जोशी के जज्बे को देखेगी दुनिया
माउंट एवरेस्ट फतह करना आसान नहीं था: बताया जा रहा है कि, चंचल 12 साल की उम्र से ही व्हीलचेयर बास्केटबॉल प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही है.वहीं ट्रैकिंग के लिए एक साल से वह पैदल चलने की प्रैक्टिस कर रही थी. इसके लिए रोजाना रूद्री से गंगरेल डैम तक यानी लगभग 12 किलोमीटर पैदल चलती थी.कई बार वह आसपास के जंगल और पहाड़ों पर भी ट्रैकिंग करने गई थी. चंचल एक पैर से डांस भी करती हैं. 21 साल की पैरा जूडो खिलाड़ी रजनी जोशी लो विजन से जूझ रही हैं.चढ़ाई के दौरान स्नोफॉल हुआ, बर्फीली पहाड़ियों पर चढ़ते वक्त कई बार स्टिक फिसली,पैर भी लड़खड़ाई लेकिन रजनी ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने मुकाम हासिल किया. बहरहाल एवरेस्ट के बेस कैम्प फतह के बाद चंचल और रजनी अपने साथियों के साथ 12 मई को रायपुर पहुंचेगी.उसके बाद वह पर्वतारोहण के लिए एग्जाम देंगे.