दंतेवाड़ा : 52 शक्तिपीठों में से एक मां दंतेश्वरी के दरबार में हमेशा भक्तों का तांता लगा रहता है. दंतेश्वरी मंदिर के पीछे कई पौराणिक कहानियां और परंपराएं प्रचलित है. बस्तर का दशहरा पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त है. 45 दिनों तक चलने वाले इस दशहरे में देश-विदेश से हजारों की संख्या में मेहमान बस्तर पहुंचते हैं. सैलानियों की बढ़ती संख्या के साथ ही मंदिर ट्रस्ट को आमदनी अच्छी हो रही है. दंतेश्वरी ट्रस्ट के पास तकरीबन 22 हेक्टेयर की जमीन है. जहां से हर साल मंदिर को 3 लाख रुपये का किराया आता है.
चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन मां दंतेश्वरी की विशेष पूजा
छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा रहा है. बस्तर दशहरा के दौरान नृत्य, ढोल- नगाड़े और व्यंजनों का सैलानी भरपूर आनंद उठाते हैं. हर साल बढ़ते पर्यटकों की वजह से मंदिर ट्रस्ट को आमदनी काफी हो रही है. दंतेश्वरी मंदिर के प्रधान पुजारी हरेंद्र राज बताते हैं कि यह मंदिर 500 साल से भी पुराना है और मान्यता के अनुसार मां दंतेश्वरी के दरबार में जो भी भक्त आते हैं, उनकी मनोकामना मां दंतेश्वरी जरूर पूरी करती है. सैलानी दूर-दूर से देवी मां के दर्शन करने यहां पहुंचते हैं.
2 लाख का आता है किराया
टेंपल कमेटी सैलानियों को आसपास के क्षेत्रों में भ्रमण करवाती है, जिससे मंदिर ट्रस्ट को अच्छी-खासी आमदनी होती है. मां दंतेश्वरी की प्रॉपर्टी विभिन्न जगहों पर बिखरी पड़ी है. इसका पूरा अनुमान लगा पाना मुश्किल है.जमीन कटेकल्याण, जगदलपुर, बारसूर और भी बहुत- सी जगहों पर है. दंतेवाड़ा में मां दंतेश्वरी की जमीन पर दुकान भी निर्मित की गई है. जिससे मंदिर को साल में लगभग डेढ़ से दो लाख किराया आता है.
कमेटी बनाकर जल्द निर्धारण किया जाएगा किराया
टेंपल कमेटी के सदस्य प्रशासन के अधिकारी एसडीएम अविनाश मिश्रा ने बताया कि दंतेश्वरी माई की लैंड प्रॉपर्टी बहुत-सी जगह पर है. बहुत सी जगह अभी खाली पड़ी हुई है. कुछ जगहों को हमने किराए पर दिया है. 22 हेक्टेयर का लैंड प्रॉपर्टी है. इस प्रॉपर्टी से सालाना 3 लाख की इनकम मिलती है, जो ट्रस्ट में जमा की जाती है. दंतेश्वरी मंदिर में खिचड़ी काउंटर है और नवरात्र में जो जोत जलाई जाती है. उससे भी मंदिर को इनकम मिलता है. किराया निर्धारण को लेकर टेंपल कमेटी ने बहुत जल्दी एक नई कमेटी तैयार कर दुकानों का किराया निर्धारण किया जाएगा. दंतेश्वरी मंदिर के आसपास संचालित धर्मशाला, खिचड़ी काउंटर, मंगल भवन और मंदिर के आसपास क्षेत्रों का भी किराया दंतेश्वरी टेंपल को जाता है.