धमतरी: छत्तीसगढ़ किसान यूनियन के पदाधिकारी 1 नवंबर से धान खरीदी सहित आठ सूत्रीय मांगों को लेकर गांधी मैदान में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. साथ ही मांगे पूरी नहीं होने पर 9 नवंबर को जेल भरो आंदोलन की चेतावनी दी है.
पदाधिकारियों का कहना है कि छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान प्रदेश है. यहां की जनसंख्या पूरी तरह कृषि पर निर्भर है, लेकिन किसानों को वाजिब दाम नहीं मिल पाता है. उनको उचित कीमत सरकार नहीं दिला पाती है. खुले बाजार में व्यापारी बिना न्यूनतम समर्थन मूल्य के कानून के बिना कैसे किसानों को उचित मूल्य देगा. यूनियन ने सरकार के सामने कई मांगे रखी है.
छत्तीसगढ़ किसान यूनियन की मांग
- किसान यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा कि 1 नवंबर से धान खरीदी प्रारंभ की जाए, जिसमें प्रति एकड़ 24 क्विंटल धान की खरीदी हो.
- खुले बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदी के लिए कानून बने.
- केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि विधायक को निष्प्रभावी बनाने विशेष सत्र बुलाकर प्रस्ताव पारित किया जाए.
- किसानों का 2018-19 के कर्ज माफी का लाभ नहीं मिला है, उनको राज्य सरकार की योजना के अंतर्गत कर्ज माफी मिले.
- रबी फसल में ओलावृष्टि से क्षति हुई किसानों को मुआवजा दिया जाए.
- खरीफ फसल में असमय हुए बारिश के बाद क्षति पर मुआवजा दी जाए.
- पिछले वर्ष के बाकी अंतर राशि को एक साथ दिया जाए और कृषि मोटर पंप के बिजली बिल माफ की जाए.
इस दौरान कांकेर लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद सोहन पोटाई धरना को समर्थन देने पहुंचे, जिन्होंने प्रदेश की भूपेश सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार किसान विरोधी सरकार है. चुनाव से पहले किसानों से जितने भी वादे किए, अभी तक पूरा नहीं हुआ है. किसान छले गए हैं. धरना में प्रदेश संयोजक लीला राम साहू, जिला अध्यक्ष घना राम साहू, महावीर साहू ,सुदर्शन ठाकुर, हनुमान सिन्हा, अंजू साहू, लोकेश्वर, गिरधर साहू, भुनेश्वर कुंजाम तेजराम सेन सहित अन्य पदाधिकारी शामिल हुए.