धमतरी: छत्तीसगढ़ अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए विख्यात है. यहां लोक संगीत, नृत्य, खानपान, रहन-सहन और पारंपरिक कलाकृति की अगल ही पहचान है. यहां के लोगों को बांस से कलाकृति बनाने की कला विरासत में मिली है. खेत-खलिहान से लेकर घर-आंगन तक सभी काम में बांस से बनी वस्तुओं का प्रयोग होता है. खासकर विवाह और त्योहारों में ऐसी वस्तुओं का प्रयोग अधिक होता है. हालांकि बदलते दौर के साथ-साथ बांस से बनीं सामग्रियां बाजार से लुप्त होती जा रही हैं. अब तो कई लोगों के घरों में भी ऐसे वस्तुएं देखने को नहीं मिल रहे हैं. लेकिन कई ऐसे लोग भी हैं, जो आज भी इस कला को जीवंत रखने का प्रयास कर (Bamboo art in dhamtari) रहे हैं.
बांस कला को जीवंत रखने का प्रयास
धमतरी जिले में विलुप्त होती जा रही बांस कला को जीवंत करने का अनूठा प्रयास किया जा रहा (bamboo art economic benefits Women in Dhamtari) है. पारंगत लोगों को एक मंच पर लाने की मुहिम चलायी जा रही है. सरकार की महत्वाकांक्षी योजना हैंडीक्राफ्ट टेक्निकल ट्रेनिंग प्रोग्राम बांस से कलाकृति के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने एक प्लेटफार्म दिया जा रहा है.
बांस से बनी चीजें बढ़ाती थी घर की शोभा
प्राचीन समय में बांस की बनी चीजें घर की शोभा बढ़ाती थीं. लोग अपने दैनिक उपयोग में बांस से बनी चीजों का उपयोग करते थे. इतना ही नहीं घर को सजाने-संवारने के लिए भी बांस की चीजें उपयोग में लाते थे. बाजारों में भी अब बांस से बनी चीजें कम मिलती हैं और अगर मिलती भी हैं तो अधिक कीमत पर. यही कारण है कि आम लोग इनकी खरीदी नहीं कर पाते.
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ग्रामीण बढ़-चढ़कर सीख रहे बांस कला
बांस कला ग्रामीण क्षेत्र की अनूठी कला है. ग्रामीण बांस से कलात्मक वस्तुएं बनाने में महारत रखते थे. नई पीढ़ी इससे दूर होती जा रही है. हालांकि मौजूदा समय में बांस का स्थान प्लास्टिक ने ले लिया है. अब घरों में और अन्य स्थानों पर प्लास्टिक से बनी वस्तुएं उपयोग की जा रही हैं. बांस कला विलुप्त होती जा रही है. इसके तहत धमतरी की महिलाएं बांस से विभिन्न तरह की वस्तुएं बना रही हैं.
दो माह की ट्रेनिंग ले रहीं महिलाएं
इस विषय में महिलाओं का कहना है कि 2 महीने की ट्रेनिंग चल रही है. इसके तहत उन्हें कुछ पैसे भी दिये जा रहे हैं. बांस से वह सजावट सामग्री के साथ-साथ उपयोगी वस्तुएं बना रही हैं. सरकार के माध्यम से महत्वाकांक्षी योजना हैंडीक्राफ्ट टेक्निकल ट्रेनिंग प्रोग्राम बांस शिल्प के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने को एक प्लेटफार्म दिया जा रहा है. धमतरी के मुजगहन में महिलाओं को ट्रेनिंग दिया जा रहा है. जहां आसपास की महिलाएं पहुंच रही हैं.
यूं जीवंत रहेगी बांस कला
यहां से निर्मित वस्तुओं की बिक्री सरकारी कार्यक्रमों में लगने वाले स्थानों पर की जाती है. फिलहाल धमतरी में लगभग 20 महिलाएं प्रशिक्षण ले रही हैं. ट्रेनिंग के बाद वे अन्य महिलाओं को ट्रेनिंग देंगी. बहरहाल अनोखी व अद्भुत कला अब धमतरी की महिलाएं बांस शिल्प कला सिख रही है. इसका उन्हें मेहनताना भी दिया जा रहा है, जिससे वो काफी खुश हैं. आगामी दिनों में वो इसी तरह इस कला के माध्यम से न सिर्फ आर्थिक लाभ पायेंगी. बल्कि ये कला भी जीवंत रहेगी.