धमतरी: जिले में सिंचाई परियोजनाओं का बुरा हाल है. धमतरी जिले में 4 बांध गंगरेल, माडमसिल्ली, दुधावा और सोंढूर है. सभी बांधों से नहरों के जरिए सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जाता है. हालांकि मौजूदा दौर में नहरों की स्थिति अच्छी नहीं है. नहरों का नियमित रखरखाव नहीं होने से इसका असर सिंचाई सुविधा पर पड़ रहा है.
छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है. लेकिन यहां सिंचाई का सम्यक विकास नहीं हो पाया है. राज्य का कुल 32 प्रतिशत से ज्यादा कृषि क्षेत्र सिंचाई के अंतर्गत आता है. हालांकि कृषि भूमि का एक बड़ा हिस्सा सिंचाई के लिए मुख्यता बारिश पर निर्भर है. राज्य में नहरें सिंचाई का एक प्रमुख साधन है. आंकड़ों के मुताबिक करीब 70 फीसदी सिंचाई नहरों के जरिए ही होती है. जिले में नहरों का क्या हाल है और सिंचाई परियोजनाओं की क्या स्थिति है. ETV भारत ने इसकी पड़ताल की.
नहरों का नहीं हो रहा रखरखाव
दरअसल राज्य की प्रमुख फसल धान है. जिसके लिए ज्यादा पानी की जरूरत होती है. इसके लिए सिंचाई परियोजनाएं बनाई गई है. राज्य की सबसे महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना महानदी है. इस परियोजना से धमतरी, रायपुर और दुर्ग जिलों को सिंचाई सुविधाएं मिलती है. इन सिंचाई साधनों में नहर प्रमुख है.
महानदी की मुख्य नहर का बुरा हाल
वैसे तो महानदी को छत्तीसगढ़ की लाइफ लाइन कहा जाता है. शासन प्रशासन की बेरुखी महानदी की मुख्य नहर पर भारी पड़ रही है. सालों से मरम्मत और देखरेख नहीं होने से नहर जर्जर होने लगी है. ये नहर जगह-जगह से उखड़ चुकी है. बारिश के मौसम में नुकसान और बढ़ जाता है. नहर की मरम्मत के लिए करोड़ों रुपयों का प्रस्ताव सालों से लंबित पड़ा हुआ है.
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नहरों की अनदेखी से बर्बाद हो रहा महानदी का पानी
महानदी जलाशय परियोजना न केवल धमतरी जिले के खेतों की प्यास बुझाता है बल्कि भिलाई स्टील प्लांट की जरूरतें भी पूरी करता है. इसके अलावा रायपुर, बिरगांव को भी पेयजल उपलब्ध कराता है. इसके बावजूद इस परियोजना के अंतर्गत आने वाली नहरों की अनदेखी की जा रही है. नहर में लगे टाइल्स जगह-जगह से उखड़ गए है. किनारे की मिट्टियों ने भी साथ छोड़ दिया है. इसकी वजह से जो पानी महानदी से छोड़ा जाता है वो बर्बाद ज्यादा होता है. नहर की मरम्मत के लिए सिंचाई विभाग को शासन की तरफ से हर साल लाखों का फंड भी मिलता है लेकिन ये पैसा कहां जाता है समझ से परे है.
नहरों का नहीं हो रहा रखरखाव
स्थानीय लोगों की मानें तो नहरों के किनारे खराब होने से पानी बेफिजूल बर्बाद हो रहा है. दूरस्थ खेतों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है. किसानों ने ETV भारत से बात करते हुए कहा कि नहरों का रखरखाव नहीं हो रहा है. रोमेश्वर सिन्हा ने बताया कि नहरों का पानी मुख्य धारा से ना बहकर दूसरी तरफ से जा रहा है. जिससे खेतों को पानी नहीं मिल रहा है.
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अफसरों का दावा
जिला पंचायत CEO मयंक चतुर्वेदी का कहना है कि नहरों की मरम्मत समय-समय पर की जाती है. पिछले कुछ सालों से नए नहर, नाली निर्माण और मरम्मत के लिए शासन से पर्याप्त फंड नहीं मिल रहा है. शासन को इसके लिए फंड के लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है. राज्य सरकार ने अपने बजट में भी कुछ नहरों के मरम्मत के लिए स्वीकृति दी है.
नहरों के लिए फंड की कमी
बताया जा रहा है कि बीते वित्तीय वर्ष में जिले के सभी बांधों के रखरखाव के लिए कोई खास बजट नहीं मिला. नहरों की मरम्मत के लिए महज 19 लाख रुपये ही स्वीकृत किये गए थे. इसके अलावा अब इस वित्तीय वर्ष के बजट में तकरीबन 30 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गए है. फिलहाल बांध और नहरों के बेहतर रखरखाव के लिए जल संसाधन महकमे ने केंद्र सरकार की ड्रिप परियोजना के लिए प्रोजेक्ट भेजा है. अगर यह प्रोजेक्ट पास होता है तो जिले के बांध और नहरों को पायलेट प्रोजेक्ट के तहत विकसित किया जाएगा.