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एशिया के इकलौते सायफन सिस्टम वाले माडमसिल्ली बांध के सायफन खुले

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Published : Aug 16, 2022, 11:17 PM IST

गंगरेल और सोंढूर जलाशय से महानदी और पैरी नदी में पानी छोड़े जाने के बाद अब माडमसिल्ली जलाशय से भी पानी नदी में छोड़ा जा रहा है. पानी डिस्चार्ज होने के बाद धमतरी से नरहरपुर जाने वाले मार्ग में सड़क से 2 फीट उपर पानी बहने लगा है. जिसकी वजह से आवागमन बाधित हो रहा है.

siphon system dam siphon opened
माडमसिल्ली बांध में लापरवाही

धमतरी : गंगरेल और सोंढूर जलाशय से महानदी और पैरी नदी में पानी छोड़े जाने के बाद अब माडमसिल्ली जलाशय से भी पानी नदी में छोड़ा जा रहा है. ये पानी नदी के जरिये होते हुए गंगरेल बांध में समाहित हो रही है. कैचमेंट एरिया में पानी की भारी आवक होने के कारण माडमसिल्ली बांध के सायफन सिस्टम से ऑटोमेटिक पानी बह रहा है. वर्तमान में यहां करीब 4 हजार क्यूसेक पानी नदी में डिस्चार्ज हो रहा है. पानी डिस्चार्ज होने के बाद धमतरी से नरहरपुर जाने वाले मार्ग में सड़क से 2 फीट उपर पानी बहने लगा है. जिसकी वजह से आवागमन बाधित हो रही है.

भारी बारिश से लबालब हुए सभी डैम: जिले में लगातार बारिश हो रही है जिसके चलते नदी नाले उफान पर है और जिले के तकरीबन सभी बांध लबालब स्थिति में है. बांधों में लगातार पानी की भारी आवक को देखते हुए महानदी सहित अन्य नदियों में पानी छोड़ा जा रहा है. पहले गंगरेल से पानी छोड़ा गया और इसके बाद वनांचल इलाके के सोंढूर बांध से भी पैरी नदी में पानी छोड़ा जा चुका है और अब माडमसिल्ली बांध से पानी डिस्चार्ज होने लगा है.

माडमसिल्ली बांध में लापरवाही

आसपास के इलाकों में अलर्ट जारी: बांध के आसपास के इलाकों को मुनादी और सायरन के जरिए सतर्क किया गया है. बांध से पानी छूटने के बाद धमतरी से नरहरपुर को जोड़ने वाली स्टेट मार्ग में आवाजाही प्रभावित हो रही है. लोग मजबूरी में बहते पानी को पार करके अपने गंतव्य की ओर आगे बढ़ रहे हैं.


यह भी पढ़ें: भारी बारिश से धमतरी के सभी बांधों में भरा पानी, निचले इलाकों में अलर्ट जारी


बांध को सुरक्षित करता है सायफन: मंगलवार को जल संसाधन विभाग के अफसरों ने माॅडमसिल्ली बांध का निरीक्षण किया. अधिकारियों ने बताया कि "यहां 100 प्रतिशत जल का भराव हो गया था, इस वजह से सायफन सिस्टम चलना चालू हो गया है. कुल 5.839 टीएमसी जलभराव क्षमता वाले बांध के साफयन से 32 और 33 सहित 3 नंबर के गेटो के जरिए पूरी क्षमता से पानी की निकासी हो रही है. जबकि बेबी सायफन से भी कम मात्रा में पानी डिस्चार्ज हो रहा है." अधिकारियों ने बताया कि "सायफन अलग अलग लेवल में बना हुआ है. जैसे जैसे पानी का स्तर बढ़ते जाता है, वैसे वैसे ही वे चालू हो जाते है, जो बांध को सुरक्षित करता है."

खूबसूरत और मनमोहक है माडमसिल्ली बांध: धमतरी जिले में कुल 4 बांध है, जिसमें से एक माडमसिल्ली बांध भी है. जिसे अब बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव बांध के नाम से भी जाना जाता है. अंग्रेजों द्धारा बनाए गए इस बांध में कई खासियत है. जिले का माडमसिल्ली बांध पूरे एशिया का एकमात्र साइफान सिस्टम बांध है. इसमें पानी ऊंचाई से नीचे की ओर गिरता है, जिसके कारण यह खूबसूरत और मनमोहक लगता है.

1923 में बनकर तैयार हुआ था माडमसिल्ली बांध: बांध का निर्माण इंग्लैंड की रहने वाली महिला इंजीनियर मैडम सिल्ली ने की थी, जिसके चलते इस बांध का नाम माडम सिल्ली पड़ा. इस बांध की और एक खास बात यह है कि इसे बनाने के लिए ईंट सीमेंट और लोहे का उपयोग नहीं किया गया था. सन् 1914 में इसका निर्माण कार्य शुरू किया गया था, जो सन् 1923 में बनकर तैयार हुआ था.

सायफन सिस्टम वाला देश का एकलौता बांध: देश का ये एकलौता बांध है जो सायफन सिस्टम होने के साथ चालू हालत में है. तकरीबन 100 साल की उम्र बीत जाने के बाद भी इस बांध की मजबूती में कोई फर्क नहीं आया है. आज भी इसके सभी गेट चालू हालत में है. बारिश के मौसम मे बांध लबालब होते ही ऑटोमेटिक सायफन गेट से पानी निकलना शुरू हो जाता है. इस बांध में 34 सायफन सिस्टम हैं. इसके अंदर बेबी सायफन भी हैं.

धमतरी : गंगरेल और सोंढूर जलाशय से महानदी और पैरी नदी में पानी छोड़े जाने के बाद अब माडमसिल्ली जलाशय से भी पानी नदी में छोड़ा जा रहा है. ये पानी नदी के जरिये होते हुए गंगरेल बांध में समाहित हो रही है. कैचमेंट एरिया में पानी की भारी आवक होने के कारण माडमसिल्ली बांध के सायफन सिस्टम से ऑटोमेटिक पानी बह रहा है. वर्तमान में यहां करीब 4 हजार क्यूसेक पानी नदी में डिस्चार्ज हो रहा है. पानी डिस्चार्ज होने के बाद धमतरी से नरहरपुर जाने वाले मार्ग में सड़क से 2 फीट उपर पानी बहने लगा है. जिसकी वजह से आवागमन बाधित हो रही है.

भारी बारिश से लबालब हुए सभी डैम: जिले में लगातार बारिश हो रही है जिसके चलते नदी नाले उफान पर है और जिले के तकरीबन सभी बांध लबालब स्थिति में है. बांधों में लगातार पानी की भारी आवक को देखते हुए महानदी सहित अन्य नदियों में पानी छोड़ा जा रहा है. पहले गंगरेल से पानी छोड़ा गया और इसके बाद वनांचल इलाके के सोंढूर बांध से भी पैरी नदी में पानी छोड़ा जा चुका है और अब माडमसिल्ली बांध से पानी डिस्चार्ज होने लगा है.

माडमसिल्ली बांध में लापरवाही

आसपास के इलाकों में अलर्ट जारी: बांध के आसपास के इलाकों को मुनादी और सायरन के जरिए सतर्क किया गया है. बांध से पानी छूटने के बाद धमतरी से नरहरपुर को जोड़ने वाली स्टेट मार्ग में आवाजाही प्रभावित हो रही है. लोग मजबूरी में बहते पानी को पार करके अपने गंतव्य की ओर आगे बढ़ रहे हैं.


यह भी पढ़ें: भारी बारिश से धमतरी के सभी बांधों में भरा पानी, निचले इलाकों में अलर्ट जारी


बांध को सुरक्षित करता है सायफन: मंगलवार को जल संसाधन विभाग के अफसरों ने माॅडमसिल्ली बांध का निरीक्षण किया. अधिकारियों ने बताया कि "यहां 100 प्रतिशत जल का भराव हो गया था, इस वजह से सायफन सिस्टम चलना चालू हो गया है. कुल 5.839 टीएमसी जलभराव क्षमता वाले बांध के साफयन से 32 और 33 सहित 3 नंबर के गेटो के जरिए पूरी क्षमता से पानी की निकासी हो रही है. जबकि बेबी सायफन से भी कम मात्रा में पानी डिस्चार्ज हो रहा है." अधिकारियों ने बताया कि "सायफन अलग अलग लेवल में बना हुआ है. जैसे जैसे पानी का स्तर बढ़ते जाता है, वैसे वैसे ही वे चालू हो जाते है, जो बांध को सुरक्षित करता है."

खूबसूरत और मनमोहक है माडमसिल्ली बांध: धमतरी जिले में कुल 4 बांध है, जिसमें से एक माडमसिल्ली बांध भी है. जिसे अब बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव बांध के नाम से भी जाना जाता है. अंग्रेजों द्धारा बनाए गए इस बांध में कई खासियत है. जिले का माडमसिल्ली बांध पूरे एशिया का एकमात्र साइफान सिस्टम बांध है. इसमें पानी ऊंचाई से नीचे की ओर गिरता है, जिसके कारण यह खूबसूरत और मनमोहक लगता है.

1923 में बनकर तैयार हुआ था माडमसिल्ली बांध: बांध का निर्माण इंग्लैंड की रहने वाली महिला इंजीनियर मैडम सिल्ली ने की थी, जिसके चलते इस बांध का नाम माडम सिल्ली पड़ा. इस बांध की और एक खास बात यह है कि इसे बनाने के लिए ईंट सीमेंट और लोहे का उपयोग नहीं किया गया था. सन् 1914 में इसका निर्माण कार्य शुरू किया गया था, जो सन् 1923 में बनकर तैयार हुआ था.

सायफन सिस्टम वाला देश का एकलौता बांध: देश का ये एकलौता बांध है जो सायफन सिस्टम होने के साथ चालू हालत में है. तकरीबन 100 साल की उम्र बीत जाने के बाद भी इस बांध की मजबूती में कोई फर्क नहीं आया है. आज भी इसके सभी गेट चालू हालत में है. बारिश के मौसम मे बांध लबालब होते ही ऑटोमेटिक सायफन गेट से पानी निकलना शुरू हो जाता है. इस बांध में 34 सायफन सिस्टम हैं. इसके अंदर बेबी सायफन भी हैं.

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