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भारत की आजादी का गवाह है ये पेड़, 15 अगस्त को होती है पूजा

धमतरी से 90 किलोमीटर दूर भैंसामुड़ा गांव में ग्रामीण 15 अगस्त के मौके पर पेड़ की पूजा करते हैं. यह पेड़ अजादी के दिन लगाया गया था. जिसे ग्रामीण आज भी आजादी का प्रतीक के साथ पेड़ को ही आजादी का गवाह मानते हैं. एक दिन के लिए ग्रामीण इस पेड़ की छांव में आकर आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद करते हैं.

पेड़ की सुरक्षा के लिए बनी है सुरक्षा समिति
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Published : Aug 14, 2019, 11:58 PM IST

धमतरी: अब तक आपने आजादी के कई किस्से और कहानियां सुनी होंगी. देश में आजादी से जुड़े ऐसे सैड़कों किस्से-कहानियां भी है. इन्हीं में से एक कहानी धमतरी के नगरी की है. जो न सिर्फ भारत की आजादी का गवाह है बल्कि आजादी के महत्व को बताने से साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दे रही है.

भारत की आजादी का गवाह है ये पेड़

धमतरी जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित इलाका भैसामुड़ा गांव में स्वतंत्रता दिवस के दिन एक बरगद के पेड़ का जन्मदिन मनाया जाता है. बताते हैं, इस गांव के लोगों को जब आजादी की खबर मिली तो लोगों ने इस दिन को यादगार बनाने के लिए गांव में एक बरगद का पेड़ लगाया था. आज यह पेड़ विशाल रूप लेकर भारत की आजादी के साथ देश की तरक्की को बता रहा है. हर साल 15 अगस्त के दिन इस पेड़ की धूमधाम से पूजा की जाती है.

ग्रामीणों के लिए पूजनीय है बट वृक्ष
ग्रामीण बताते हैं, इस गांव में आजादी की जानकारी सबसे पहले हरी राम ठाकुर को मिली, जिसके बाद उन्होंने पूरे गांव को इसकी जानकारी दी. इसके बाद गांव में जश्न मनाया गया. साथ ही ग्रामीणों ने इस दिन को यादगार बनाने के लिए गांव में बरगद का पेड़ लगा दिया. तब से यह वृक्ष ग्रामीणों के लिए पूजनीय हो गया है और ग्रामीण इसकी सुरक्षा पीढ़ी दर पीढ़ी करते आ रहे हैं.

पेड़ की सुरक्षा के लिए बनी है सुरक्षा समिति
ग्रामीण इस वृक्ष को आजादी की पहचान के रूप में याद करते हैं और दोनों राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त और 26 जनवरी को इसकी पूजा करते हैं. यदि कोई इस पेड़ को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है, तो ग्रामीण उसके खिलाफ कार्रवाई भी करते हैं. इसके लिए बकायदा गांव में एक समिति बनाया गया है जिसे इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है. मौजूदा समय में ग्रामीणों ने पेड़ के पास मंदिर भी बना रखा है. ग्रामीण बताते हैं कि जब वृक्ष लगाया गया था तब यह जगह सूनसान था और अब यह मुख्य चौराहा है, जहां दिनभर लोगों की आवाजाही होती है.

वृक्ष की छांव में आजादी के मतवालों को करते हैं याद
1200 की आबादी वाले इस गांव में स्वतंत्रता दिवस का पर्व नए उत्साह और उमंग लेकर आता है. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक दिन के लिए बुजुर्गों और महिलाओं से लेकर बच्चा-बच्चा इस विशाल पेड़ की छांव में सिमट जाते हैं. गांव के लोग जब-जब इस वृक्ष की छांव से गुजरते है, आजादी के लिए संघर्ष करने वालों याद करते हैं. भैंसामुड़ा गांव की यह कहानी खास मौकों पर पेड़ लगाने और पर्यावरण बचाने की भी सीख दे रही है.

धमतरी: अब तक आपने आजादी के कई किस्से और कहानियां सुनी होंगी. देश में आजादी से जुड़े ऐसे सैड़कों किस्से-कहानियां भी है. इन्हीं में से एक कहानी धमतरी के नगरी की है. जो न सिर्फ भारत की आजादी का गवाह है बल्कि आजादी के महत्व को बताने से साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दे रही है.

भारत की आजादी का गवाह है ये पेड़

धमतरी जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित इलाका भैसामुड़ा गांव में स्वतंत्रता दिवस के दिन एक बरगद के पेड़ का जन्मदिन मनाया जाता है. बताते हैं, इस गांव के लोगों को जब आजादी की खबर मिली तो लोगों ने इस दिन को यादगार बनाने के लिए गांव में एक बरगद का पेड़ लगाया था. आज यह पेड़ विशाल रूप लेकर भारत की आजादी के साथ देश की तरक्की को बता रहा है. हर साल 15 अगस्त के दिन इस पेड़ की धूमधाम से पूजा की जाती है.

ग्रामीणों के लिए पूजनीय है बट वृक्ष
ग्रामीण बताते हैं, इस गांव में आजादी की जानकारी सबसे पहले हरी राम ठाकुर को मिली, जिसके बाद उन्होंने पूरे गांव को इसकी जानकारी दी. इसके बाद गांव में जश्न मनाया गया. साथ ही ग्रामीणों ने इस दिन को यादगार बनाने के लिए गांव में बरगद का पेड़ लगा दिया. तब से यह वृक्ष ग्रामीणों के लिए पूजनीय हो गया है और ग्रामीण इसकी सुरक्षा पीढ़ी दर पीढ़ी करते आ रहे हैं.

पेड़ की सुरक्षा के लिए बनी है सुरक्षा समिति
ग्रामीण इस वृक्ष को आजादी की पहचान के रूप में याद करते हैं और दोनों राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त और 26 जनवरी को इसकी पूजा करते हैं. यदि कोई इस पेड़ को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है, तो ग्रामीण उसके खिलाफ कार्रवाई भी करते हैं. इसके लिए बकायदा गांव में एक समिति बनाया गया है जिसे इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है. मौजूदा समय में ग्रामीणों ने पेड़ के पास मंदिर भी बना रखा है. ग्रामीण बताते हैं कि जब वृक्ष लगाया गया था तब यह जगह सूनसान था और अब यह मुख्य चौराहा है, जहां दिनभर लोगों की आवाजाही होती है.

वृक्ष की छांव में आजादी के मतवालों को करते हैं याद
1200 की आबादी वाले इस गांव में स्वतंत्रता दिवस का पर्व नए उत्साह और उमंग लेकर आता है. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक दिन के लिए बुजुर्गों और महिलाओं से लेकर बच्चा-बच्चा इस विशाल पेड़ की छांव में सिमट जाते हैं. गांव के लोग जब-जब इस वृक्ष की छांव से गुजरते है, आजादी के लिए संघर्ष करने वालों याद करते हैं. भैंसामुड़ा गांव की यह कहानी खास मौकों पर पेड़ लगाने और पर्यावरण बचाने की भी सीख दे रही है.

Intro:आजादी की गवाही दे रहा है यह पेड़

धमतरी/नगरी:अब तक आपने आजादी कई किस्से और कहानियां सुनी होगी और जानते भी होगें लेकिन हम आपको एक ऐसी कहानी बता रहे है जो आजादी की गवाही तो दे रहा है तो वही पर्यावरण बचाने का संदेश भी दे रहा है.धमतरी जिला मुख्यालय से तकरीबन 90 किलोमीटर दूर घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र भैसामुड़ा गांव में स्वतंत्रता दिवस के दिन एक विशाल बरगद पेड़ का जन्मदिन मनाया जाता है.दरअसल इस गांव के लोगों को जब आजादी की खबर मिली तो इस दिन यादगार बनाने के लिए गांव में एक बरगद का पेड़ लगाया था यह पेड़ आज विशाल रूप ले चुका है जो आज भी आजादी की गवाही दे रहा है और हर साल 15 अगस्त के दिन इस पेड़ की धूमधाम से पूजा की जाती है.

इस गांव में आजादी की जानकारी सबसे पहले स्व. हरी राम ठाकुर मिली.तब उसने पूरे गांव को बताया कि हमारा देश आजाद हो गया है.बाद इसके गांव में जश्न का माहौल बन गया.ग्रामीणों ने इस दिन को यादगार बनाने के लिए बरगद का पेड़ लगा दिया.तब से यह वृक्ष ग्रामीणों के लिए पूजनीय हो गया है और ग्रामीण इसकी सुरक्षा पीढ़ी दर पीढ़ी करते आ रहे है.

ग्रामीण इस वृक्ष को आजादी की पहचान के रूप में याद करते हैं और दोनों राष्ट्रीय पर्व में इनकी पूजा-अर्चना करते है यदि कोई इस पेड़ को बुरी नजर या नुकसान पहुंचाने के प्रयास करते है तो उनके ऊपर कार्यवाही की जाती है.इसके लिए बकायदा गांव में एक समिति बनाया गया है जो इसकी सुरक्षा करते है.मौजूदा समय में यहां ग्रामीणों ने मंदिर भी बना रखा है.ग्रामीण बताते है कि जब वृक्ष लगाया गया था तब यह जगह सूनसान था और अब आबादी बढ़ने के साथ यह जगह मुख्य चौराहा है जहां दिनभर लोगों की आवाजाही होती है.

तकरीबन 1200 की आबादी वाले इस गांव में स्वतंत्रता दिवस का पर्व नए उत्साह और उमंग लेकर आता है.इस एक दिन के लिए बुजुर्गो और महिलाओं से लेकर बच्चा-बच्चा इस विशाल पेड़ की छांव में सिमट जाते है.गांव के लोग जब-जब इस वृक्ष की छांव से गुजरते है उन्हें आजादी के लिए संघर्ष करने वाले याद आते है.

वैसे पर्यावरण को सहेजकर रखने की जिम्मेदारी सभी की बनती है.ऐसे समय में वनांचल इलाके के भैंसामुड़ा गांव की यह कहानी खास मौकों पर पेड़ लगाने सहित पर्यावरण बचाने की सीख दे रहा है.Body:बाइट..... रामसिंह मरकाम(लाल सर्ट)
बाईट...रमेश नेताम(नीला सर्ट)


जय लाल प्रजापति सिहावा धमतरी 83 19 17 8303


Conclusion:
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