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दंतेवाड़ा में विश्व प्रसिद्ध फाल्गुन मड़ई मेला की शुरुआत

दंतेवाड़ा में विश्व प्रसिद्ध फाल्गुन मड़ई मेले (फागुन मड़ई मेला) की शुरुआत हो गई है. यहां माईजी की पहली डोली की रस्म निभाई गई. इस अवसर पर दंतेश्वरी मंदिर से माईजी की डोली और लाठ निकाली गई.

World famous Falgun Madai
फाल्गुन मड़ई मेला की शुरुआत
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Published : Mar 9, 2022, 6:44 PM IST

दंतेवाड़ा: दक्षिण बस्तर की ऐतिहासिक फाल्गुन मड़ई (फागुन मड़ई मेला) मेले की शुरुआत हुई. इस अवसर पर कलश की स्थापना की गई. उसके बाद शाम में माईजी की पहली पालकी िकाली जाएगी. जबकि रात में ताडंफलंगा धोनी की रस्म निभाई जाएगी. माईजी की डोली और छत्र निकालने का क्रम आज से पूरे दस दिनों तक जारी रहेगा. गंवरमार का कार्यक्रम 15 मार्च को होगा तो वहीं बड़ा मेला 16 मार्च दिन बुधवार को होगा. आज से मेला में शामिल होने के लिए विभिन्न गांवों से देवी देवताओं के छत्र और लाठ के पहुंचने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है.

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कलश की स्थापना की गई
कलश स्थापना रस्म अदायगी के लिए आज सुबह माई दंतेश्वरी मंदिर में पुजारी और सेवादार मंदिर परिसर में भक्तिभाव से जुटे रहे. परंपरागत ढंग से मां दंतेश्वरी की छत्र और लाठ को आज सुबह पूजा अर्चना पश्चात 11 बजे प्रधान पुजारी, सेवादार और 12 लंकवार की उपस्थित में मंदिर से निकाला गया. मंदिर के प्रवेश द्वार पर 5 पुलिस के जवानों द्वारा हर्षफायर कर सलामी दी गई. जिसके बाद माइजी की छत्र को परंपरानुसार वाद्य यंत्रों के साथ ढोल बजाते हुए मेडका डोबरा स्थित मावली माता देवी स्थल पर लाया गया जहां पुनः जवानों द्वारा हर्ष फायर कर मां दंतेश्वरी देवी की छत्र और लाठ को सलामी दी गई. उसके बाद माईजी की छत्र और छड़ी को देवी मंदिर के अंदर लाया गया. जहां विधिवत पूजा अर्चना कर कलश प्रज्जवलित की गई. कलश स्थापना के साथ ही दस दिनों तक चलने वाला दक्षिण बस्तर का प्रसिद्ध फाल्गुन मंडई की शुरूआत आज से हो गई परंपरागत ढंग से आज शाम आमंत्रित देवी देवताओं के साथ मां दंतेश्वरी मांदर, बाजा और मोहरी की गूंज के बीच और सेवादारों द्वारा जयघोष के साथ मांईजी की पहली डोली निकाली जाएगी. जिसमें भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहेंगे.

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डोली को मंदिर से निकाला जाएगा. उसके बाद परिक्रमा पूरी की जाएगी. डोली परिक्रमा करते हुए नगर के ऐतिहासिक दंतेश्वरी सरोवर के किनारे स्थित नारायण मंदिर पहुंचेगी. जहां परंपरानुसार डोली को जवानों की तरफ से हर्ष फायर कर सलामी दी जाएगी. जिसके उपरांत डोली की पूजा अर्चना होगी. उसके बाद डोली को पूरे विधिविधान के साथ वापस मंदिर में लाकर रखा जाएगा. आदिवासियों की आस्था, परंपरा और श्रद्धा से जुड़ा यह ऐतिहासिक पर्व आज से दस दिनों तक चलेगा. हर दिन शाम को डोली निकाली जाएगी और आखेट परंपरा का निवर्हन किया जाएगा. कलश स्थापना के दौरान मंदिर के पुजारी, तहसीलदार, सेवादार, मांझी, चालकी, कतियार, तुडपा और समरथ मौजूद रहेंगे.

दंतेवाड़ा: दक्षिण बस्तर की ऐतिहासिक फाल्गुन मड़ई (फागुन मड़ई मेला) मेले की शुरुआत हुई. इस अवसर पर कलश की स्थापना की गई. उसके बाद शाम में माईजी की पहली पालकी िकाली जाएगी. जबकि रात में ताडंफलंगा धोनी की रस्म निभाई जाएगी. माईजी की डोली और छत्र निकालने का क्रम आज से पूरे दस दिनों तक जारी रहेगा. गंवरमार का कार्यक्रम 15 मार्च को होगा तो वहीं बड़ा मेला 16 मार्च दिन बुधवार को होगा. आज से मेला में शामिल होने के लिए विभिन्न गांवों से देवी देवताओं के छत्र और लाठ के पहुंचने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है.

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कलश की स्थापना की गई
कलश स्थापना रस्म अदायगी के लिए आज सुबह माई दंतेश्वरी मंदिर में पुजारी और सेवादार मंदिर परिसर में भक्तिभाव से जुटे रहे. परंपरागत ढंग से मां दंतेश्वरी की छत्र और लाठ को आज सुबह पूजा अर्चना पश्चात 11 बजे प्रधान पुजारी, सेवादार और 12 लंकवार की उपस्थित में मंदिर से निकाला गया. मंदिर के प्रवेश द्वार पर 5 पुलिस के जवानों द्वारा हर्षफायर कर सलामी दी गई. जिसके बाद माइजी की छत्र को परंपरानुसार वाद्य यंत्रों के साथ ढोल बजाते हुए मेडका डोबरा स्थित मावली माता देवी स्थल पर लाया गया जहां पुनः जवानों द्वारा हर्ष फायर कर मां दंतेश्वरी देवी की छत्र और लाठ को सलामी दी गई. उसके बाद माईजी की छत्र और छड़ी को देवी मंदिर के अंदर लाया गया. जहां विधिवत पूजा अर्चना कर कलश प्रज्जवलित की गई. कलश स्थापना के साथ ही दस दिनों तक चलने वाला दक्षिण बस्तर का प्रसिद्ध फाल्गुन मंडई की शुरूआत आज से हो गई परंपरागत ढंग से आज शाम आमंत्रित देवी देवताओं के साथ मां दंतेश्वरी मांदर, बाजा और मोहरी की गूंज के बीच और सेवादारों द्वारा जयघोष के साथ मांईजी की पहली डोली निकाली जाएगी. जिसमें भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहेंगे.

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डोली को मंदिर से निकाला जाएगा. उसके बाद परिक्रमा पूरी की जाएगी. डोली परिक्रमा करते हुए नगर के ऐतिहासिक दंतेश्वरी सरोवर के किनारे स्थित नारायण मंदिर पहुंचेगी. जहां परंपरानुसार डोली को जवानों की तरफ से हर्ष फायर कर सलामी दी जाएगी. जिसके उपरांत डोली की पूजा अर्चना होगी. उसके बाद डोली को पूरे विधिविधान के साथ वापस मंदिर में लाकर रखा जाएगा. आदिवासियों की आस्था, परंपरा और श्रद्धा से जुड़ा यह ऐतिहासिक पर्व आज से दस दिनों तक चलेगा. हर दिन शाम को डोली निकाली जाएगी और आखेट परंपरा का निवर्हन किया जाएगा. कलश स्थापना के दौरान मंदिर के पुजारी, तहसीलदार, सेवादार, मांझी, चालकी, कतियार, तुडपा और समरथ मौजूद रहेंगे.

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