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दंतेवाड़ा:आयुर्वेदिक पौधों के संरक्षण के लिए वर्कशॉप का आयोजन - दंतेवाड़ा न्यूज

दंतेवाड़ा में जैविक विविधता प्रबंधन समिति ने एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया. वर्कशॉप में बस्तर में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के आयुर्वेदिक पौधों को संरक्षित करने के बारे में बताया गया.

Workshop by Biological diversity management committee
वर्कशॉप का आयोजन
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Published : Feb 6, 2021, 8:24 PM IST

Updated : Feb 6, 2021, 11:03 PM IST

दंतेवाड़ा: जैविक विविधता प्रबंधन समिति ने एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया. जिसमें सभी पंचायतों के पंजीकृत सदस्यों को बुलाया गया था. जैविक कृषि प्रणाली के तहत बस्तर में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के आयुर्वेदिक पौधों को संरक्षित करने के बारे में कार्यशाला में बताया गया.

वर्कशॉप का आयोजन

कार्यशाला में आए विविधता प्रबंधन समिति के सदस्य शिवराम ने बताया कि 'हमें बस्तर में होने वाली विभिन्न प्रजातियों के पौधे के बारे में बताया जा रहा है. जिससे कि हम विलुप्त होती प्रजातियों को संरक्षित कर सके. इनसे कई प्रकार की औषधि प्राप्त की जा सकती है. इनके रखरखाव के बारे में कार्यशाला में बताया जा रहा है. समय-समय पर वन विभाग द्वारा बैठकें ली जाती हैं.

पढ़ें-इस बेकरी में 'हेल्दी' केक, कुकीज बनाएंगे ट्रांसजेंडर और दिव्यांग

मौकपाल से आए रामू नेताम ने बताया कि इस कार्यशाला में महुआ, इमली जैसी प्रजाति को संरक्षित रखने के लिए उपाय बताए जा रहे हैं. जिससे हमारी अच्छी इनकम होगी और हमारी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.

ग्रामीणों को होगा फायदा

अर्पण कल्याण समिति के ताराचंद देवांगन ने बताया कि बीएमसी पब्लिक मेजरमेंट हर पंचायत में बनाए जाने हैं. जिसके तहत 40 गांव के सदस्य यहां उपस्थित हुए हैं. बस्तर में पाई जाने वाली दुर्लभ प्रजाति के पेड़-पौधे जिससे औषधि बनाई जाती है. उन पौधों को किस तरह के संरक्षित रखा जाए. इसके बारे में जानकारी दी गई.आने वाले समय में इससे गांव वालों को अनेक फायदे होने वाले हैं.

दंतेवाड़ा: जैविक विविधता प्रबंधन समिति ने एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया. जिसमें सभी पंचायतों के पंजीकृत सदस्यों को बुलाया गया था. जैविक कृषि प्रणाली के तहत बस्तर में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के आयुर्वेदिक पौधों को संरक्षित करने के बारे में कार्यशाला में बताया गया.

वर्कशॉप का आयोजन

कार्यशाला में आए विविधता प्रबंधन समिति के सदस्य शिवराम ने बताया कि 'हमें बस्तर में होने वाली विभिन्न प्रजातियों के पौधे के बारे में बताया जा रहा है. जिससे कि हम विलुप्त होती प्रजातियों को संरक्षित कर सके. इनसे कई प्रकार की औषधि प्राप्त की जा सकती है. इनके रखरखाव के बारे में कार्यशाला में बताया जा रहा है. समय-समय पर वन विभाग द्वारा बैठकें ली जाती हैं.

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मौकपाल से आए रामू नेताम ने बताया कि इस कार्यशाला में महुआ, इमली जैसी प्रजाति को संरक्षित रखने के लिए उपाय बताए जा रहे हैं. जिससे हमारी अच्छी इनकम होगी और हमारी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.

ग्रामीणों को होगा फायदा

अर्पण कल्याण समिति के ताराचंद देवांगन ने बताया कि बीएमसी पब्लिक मेजरमेंट हर पंचायत में बनाए जाने हैं. जिसके तहत 40 गांव के सदस्य यहां उपस्थित हुए हैं. बस्तर में पाई जाने वाली दुर्लभ प्रजाति के पेड़-पौधे जिससे औषधि बनाई जाती है. उन पौधों को किस तरह के संरक्षित रखा जाए. इसके बारे में जानकारी दी गई.आने वाले समय में इससे गांव वालों को अनेक फायदे होने वाले हैं.

Last Updated : Feb 6, 2021, 11:03 PM IST
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