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दंतेवाड़ा के मजदूर आंध्र प्रदेश पलायन करने को मजबूर

दंतेवाड़ा के मजदूर आंध्र प्रदेश जाकर मिर्ची तोड़कर गुजर-बसर करने को मजबूर हैं. शासन-प्रशासन की तरफ से मनरेगा के तहत समय पर मजदूरी नहीं मिलने के कारण मजदूर पलायन कर रहे हैं.

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पलायन करने को मजबूर
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Published : Jan 3, 2021, 2:57 PM IST

Updated : Jan 3, 2021, 3:51 PM IST

दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ के मजदूरों के पलायन की खबरें अक्सर सामने आती है. रोजगार के लिए ये मजदूर पलायन को मजबूर होते हैं. छत्तीसगढ़ राज्य मनरेगा के तहत सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला राज्य रहा, लेकिन आज फिर मजदूर पलायन करने को मजबूर हैं. जिल के मजदूर मिर्ची तोड़ने के लिए आंध्र प्रदेश की ओर पलायन कर रहे हैं. गांव वालों का कहना है कि मनरेगा में समय पर भुगतान नहीं होने के कारण वे मिर्ची तोड़ने के लिए आंध्र प्रदेश जा रहे हैं. सरकार मनरेगा के तहत काम दिए जाने का दावा कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

दंतेवाड़ा के मजदूर आंध्र प्रदेश पलायन करने को मजबूर

मनरेगा मजदूरों का शासन की ओर से प्रतिदिन 200 रुपये मजदूरी दी जाती है, लेकिन मजदूरी में देरी के कारण ग्रामीण पलायन कर रहे हैं. पलायन करने वाले मजदूरों का कहना है कि मनरेगा के तहत काम करने पर समय पर भुगतान नहीं मिलता है. इस कारण मिर्ची तोड़ने वे आंध्र प्रदेश जा रहे हैं. भाजपा प्रदेश अनुसूचित जनजाति मोर्चा महामंत्री नंदलाल मुडामी ने पलायन करने वाले मजदूरों को समझाइश दी. उन्होंने मजदूरों के पास पहुंचकर उन्हें उनकी क्षेत्रीय भाषा गोंडी में समझाया कि वे पलायन न करें.

पढ़ें : हम मजबूर: गोद में बच्चा और पैरों में घाव लिए फिर से घर छोड़कर निकले मजदूर


पलायन को मजबूर मजदूर
नंदलाल मुडामी ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार एक तरफ मजदूरों को काम देने की बात कह रही है. दूसरी ओर हजारों की तादाद में मजदूर पलायन कर रहे हैं. यहां पर रोजगार की व्यवस्था नहीं की जा रही है. न मजदूरों को मनरेगा में काम मिल रहा है, न डीएमएफ से काम हो रहा है. सभी काम बंद है. सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है. सारे मजदूरों के लिए रोजगार की व्यवस्था करनी चाहिए. काम नहीं मिलने के कारण मजदूर घर प्रदेश छोड़कर दूसरे प्रदेश पलायन करने को मजबूर हैं.

ETV भारत ने पलायन का मुद्दा कई बार उठाया

दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ के मजदूरों के पलायन की खबरें अक्सर सामने आती है. रोजगार के लिए ये मजदूर पलायन को मजबूर होते हैं. छत्तीसगढ़ राज्य मनरेगा के तहत सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला राज्य रहा, लेकिन आज फिर मजदूर पलायन करने को मजबूर हैं. जिल के मजदूर मिर्ची तोड़ने के लिए आंध्र प्रदेश की ओर पलायन कर रहे हैं. गांव वालों का कहना है कि मनरेगा में समय पर भुगतान नहीं होने के कारण वे मिर्ची तोड़ने के लिए आंध्र प्रदेश जा रहे हैं. सरकार मनरेगा के तहत काम दिए जाने का दावा कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

दंतेवाड़ा के मजदूर आंध्र प्रदेश पलायन करने को मजबूर

मनरेगा मजदूरों का शासन की ओर से प्रतिदिन 200 रुपये मजदूरी दी जाती है, लेकिन मजदूरी में देरी के कारण ग्रामीण पलायन कर रहे हैं. पलायन करने वाले मजदूरों का कहना है कि मनरेगा के तहत काम करने पर समय पर भुगतान नहीं मिलता है. इस कारण मिर्ची तोड़ने वे आंध्र प्रदेश जा रहे हैं. भाजपा प्रदेश अनुसूचित जनजाति मोर्चा महामंत्री नंदलाल मुडामी ने पलायन करने वाले मजदूरों को समझाइश दी. उन्होंने मजदूरों के पास पहुंचकर उन्हें उनकी क्षेत्रीय भाषा गोंडी में समझाया कि वे पलायन न करें.

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पलायन को मजबूर मजदूर
नंदलाल मुडामी ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार एक तरफ मजदूरों को काम देने की बात कह रही है. दूसरी ओर हजारों की तादाद में मजदूर पलायन कर रहे हैं. यहां पर रोजगार की व्यवस्था नहीं की जा रही है. न मजदूरों को मनरेगा में काम मिल रहा है, न डीएमएफ से काम हो रहा है. सभी काम बंद है. सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है. सारे मजदूरों के लिए रोजगार की व्यवस्था करनी चाहिए. काम नहीं मिलने के कारण मजदूर घर प्रदेश छोड़कर दूसरे प्रदेश पलायन करने को मजबूर हैं.

ETV भारत ने पलायन का मुद्दा कई बार उठाया

Last Updated : Jan 3, 2021, 3:51 PM IST
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