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Tendu ice cream in dantewada : तेंदू आइसक्रीम ने बनाया सीएम भूपेश को दीवाना - फागुन मड़ई

आपने आइसक्रीम तो जरुर चखी होगी.लेकिन आज हम आपको ऐसी आइसक्रीम के बारे में बताने जा रहे हैं.जिसके मुरीद सीएम भूपेश बघेल भी है. इस आईसक्रीम की खास बात ये है कि इसे एक जंगली फल से बनाया गया है. जो स्वाद में काफी मजेदार होता है. इस फल का नाम है तेंदू..जो जंगली इलाकों में पाया जाता है.

Tendu ice cream in dantewada
तेंदू आइसक्रीम ने बनाया सीएम भूपेश को दीवाना
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Published : Mar 10, 2023, 1:13 PM IST

दंतेवाड़ा : छत्तीसगढ़ के मुखिया ने दंतेवाड़ा के फागुन मड़ई मेले में बस्तर की पुरानी परंपरा को करीब से देखा.लेकिन इस परंपरा के साथ साथ नए जमाने की चीजों को भी उन्होंने सराहा.आत्मनिर्भर बनाने के लिए भूपेश सरकार की कई योजनाएं प्रदेश में संचालित है. इन योजनाओं में लोकल उत्पाद की ब्रांडिंग की भी व्यवस्था है.यानी जो उत्पाद जिस जिले में ज्यादा हो रहा है उसे उसी जिले में बाजार उपलब्ध हो जाता है. साथ ही साथ योजनाओं से जुड़कर काम करने वाली महिला स्वसहायता समूह की महिलाओं को भी लाभ होता है. दंतेवाड़ा जिला प्रशासन ने ऐसा ही एक प्रोडक्ट तैयार किया है जो धमाल मचा रहा है.

जिला प्रशासन ने बनाया तेंदू आइसक्रीम : जिला प्रशासन दंतेवाड़ा के नवाचार पहल के तहत तेंदू फल से निर्मित आइसक्रीम बनाया है. जिसका स्वाद सीएम भूपेश को भा गया. मुख्यमंत्री ने तेंदू आइसक्रीम के स्वाद की प्रशंसा करते हुए इसे एक सराहनीय पहल बताया. जिला प्रशासन, दन्तेवाड़ा के सहयोग से इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केन्द्र दन्तेवाड़ा ने इस फल से आइसक्रीम बनाने का काम कर रहा है.

बीड़ी बनाने में पत्तियों का इस्तेमाल : तेंदू का पेड़ लघु वनोपज श्रेणी में आता है.इसके पत्तियों का इस्तेमाल बीड़ी बनाने में होता है. इसलिए इसके पेड़ को हरा सोना कहा जाता है. बस्तर में लोग इसे हरा सोना के नाम से जानते हैं. यह भारत के पूर्वी हिस्सों एवं मध्य भारत में काफी मिलता है. अभी तक तेंदू पत्ता का इस्तेमाल व्यवसाय के लिए किया जाता रहा है. फल का उपयोग ग्रामीण अपने खाने के साथ लोकल बाजारों में ही बेचने के लिए करते थे.

तेंदू से उत्पाद बनाने में सफलता : ताजा पके फल को सुरक्षित रखने की अवधि बहुत कम होती है. अगर ताजे फल के गुदा को प्रसंस्करण कर माइनस 20-40 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखते हैं तो पूरे वर्ष भर तेन्दू फल का स्वाद मिल सकता है. इसी को लेकर कृषि विज्ञान केन्द्र ने तेंदू फल का प्रसंस्करण कर आइसक्रीम और तेन्दू शेक बनाने में सफलता हासिल की है.

ये भी पढ़ें- लोगों की जुबान में जादू कर रहा है बस्तरिया कॉफी का स्वाद

अनुसंधान में आए रोचक तथ्य : तेंदू फल में किये गये अनुसंधान के बाद कई सारे तथ्य पाए गए. तेन्दू फल एक प्रभावी एन्टीआक्सीडेंट, रेशे का अच्छा स्त्रोत, हृदय रोग के लिये लाभदायक तथा मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक है. साथ ही साथ इस फल में पोटेशियम, कैल्शियम, फास्फोरस समेत कई तरह के खनिज तत्वों की अच्छी मात्रा पायी जाती है.

दंतेवाड़ा : छत्तीसगढ़ के मुखिया ने दंतेवाड़ा के फागुन मड़ई मेले में बस्तर की पुरानी परंपरा को करीब से देखा.लेकिन इस परंपरा के साथ साथ नए जमाने की चीजों को भी उन्होंने सराहा.आत्मनिर्भर बनाने के लिए भूपेश सरकार की कई योजनाएं प्रदेश में संचालित है. इन योजनाओं में लोकल उत्पाद की ब्रांडिंग की भी व्यवस्था है.यानी जो उत्पाद जिस जिले में ज्यादा हो रहा है उसे उसी जिले में बाजार उपलब्ध हो जाता है. साथ ही साथ योजनाओं से जुड़कर काम करने वाली महिला स्वसहायता समूह की महिलाओं को भी लाभ होता है. दंतेवाड़ा जिला प्रशासन ने ऐसा ही एक प्रोडक्ट तैयार किया है जो धमाल मचा रहा है.

जिला प्रशासन ने बनाया तेंदू आइसक्रीम : जिला प्रशासन दंतेवाड़ा के नवाचार पहल के तहत तेंदू फल से निर्मित आइसक्रीम बनाया है. जिसका स्वाद सीएम भूपेश को भा गया. मुख्यमंत्री ने तेंदू आइसक्रीम के स्वाद की प्रशंसा करते हुए इसे एक सराहनीय पहल बताया. जिला प्रशासन, दन्तेवाड़ा के सहयोग से इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केन्द्र दन्तेवाड़ा ने इस फल से आइसक्रीम बनाने का काम कर रहा है.

बीड़ी बनाने में पत्तियों का इस्तेमाल : तेंदू का पेड़ लघु वनोपज श्रेणी में आता है.इसके पत्तियों का इस्तेमाल बीड़ी बनाने में होता है. इसलिए इसके पेड़ को हरा सोना कहा जाता है. बस्तर में लोग इसे हरा सोना के नाम से जानते हैं. यह भारत के पूर्वी हिस्सों एवं मध्य भारत में काफी मिलता है. अभी तक तेंदू पत्ता का इस्तेमाल व्यवसाय के लिए किया जाता रहा है. फल का उपयोग ग्रामीण अपने खाने के साथ लोकल बाजारों में ही बेचने के लिए करते थे.

तेंदू से उत्पाद बनाने में सफलता : ताजा पके फल को सुरक्षित रखने की अवधि बहुत कम होती है. अगर ताजे फल के गुदा को प्रसंस्करण कर माइनस 20-40 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखते हैं तो पूरे वर्ष भर तेन्दू फल का स्वाद मिल सकता है. इसी को लेकर कृषि विज्ञान केन्द्र ने तेंदू फल का प्रसंस्करण कर आइसक्रीम और तेन्दू शेक बनाने में सफलता हासिल की है.

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अनुसंधान में आए रोचक तथ्य : तेंदू फल में किये गये अनुसंधान के बाद कई सारे तथ्य पाए गए. तेन्दू फल एक प्रभावी एन्टीआक्सीडेंट, रेशे का अच्छा स्त्रोत, हृदय रोग के लिये लाभदायक तथा मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक है. साथ ही साथ इस फल में पोटेशियम, कैल्शियम, फास्फोरस समेत कई तरह के खनिज तत्वों की अच्छी मात्रा पायी जाती है.

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