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दंतेवाड़ा में 4 साल नहीं हुआ रासायनिक खाद का इस्तेमाल, किसान ऐसे उगा रहे मिट्टी से 'सोना'

दंतेवाड़ा में स्व सहायता समूह की महिलाओं की ओर से गौठानों में गाय के गोबर और मूत्र से जैविक खाद तैयार किया जा रहा है.

तैयार किया जा रहा है जैविक खाद
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Published : Oct 29, 2019, 10:30 PM IST

Updated : Oct 29, 2019, 11:46 PM IST

दंतेवाड़ा: प्रदेश के 27 जिलों में एक मात्र दंतेवाड़ा जिला जैविक जिला है, जहां किसान रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करते हैं. वहीं जिले में रासायनिक खाद पूरी तरह से बैन है, पिछले चार सालों से यहां यूरिया और डी ए पी नहीं मिल रही है.

दंतेवाड़ा के किसानों को थोड़ी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ रहा है. इस समस्या को दूर करने के लिए पशु विभाग पूरे जिले के किसानों को जैविक खाद देने की तैयारी कर रहा है. जिले के गौठानों में गाय के गोबर और मूत्र से जैविक खाद तैयार किया जा रहा है.

तैयार किया जा रहा है जैविक खाद

इस जैविक खाद को स्व सहायता समूह की महिलाएं बनाएगी. इसके लिए इनको ट्रेनिंग भी दी जा रही है, वहीं पशुधन विकास विभाग के डिप्टी डायरेक्टर का कहना है कि 'हमारे पास पर्याप्त मात्रा में गोबर होगा, क्योंकि दंतेवाड़ा जैविक जिला है , प्रशासन खाद बनाने की दिशा में जा रही है, जिससे किसानों को कम दामों में बेहतर जैविक खाद प्रदान हो जाएगा.

दंतेश्वरी गौ संवर्धन एवं शोध केंद्र से हुई शुरुआत
अभी फिलहाल छोटे स्तर पर इसकी शुरूआत की जा रही है, दंतेश्वरी गौ संवर्धन एवं शोध केंद्र के सहायक प्रबंधक अखिलेश सिंह ने बताया कि 'गाय के गोबर और गौ मूत्र से जैविक खाद तैयार किया जा रहा है, इसमें छांछ का भी इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही कुछ कल्चर डाले जाते है, करीब एक माह तक इसको ढक कर रखा जाता है

पढ़े:. भाई दूज: भाई को श्राप देकर जीभ में कांटे चुभाने का है यहां रिवाज

इसके बाद पैकिंग होती है. एक एकड़ में 2 बैग 50 kg के पर्याप्त है. जमीन का उपचार भी हो जाता है, फसल भी अच्छी होती है, इस खाद का घोल बना कर छिड़काव भी किया जा सकता है.

दंतेवाड़ा: प्रदेश के 27 जिलों में एक मात्र दंतेवाड़ा जिला जैविक जिला है, जहां किसान रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करते हैं. वहीं जिले में रासायनिक खाद पूरी तरह से बैन है, पिछले चार सालों से यहां यूरिया और डी ए पी नहीं मिल रही है.

दंतेवाड़ा के किसानों को थोड़ी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ रहा है. इस समस्या को दूर करने के लिए पशु विभाग पूरे जिले के किसानों को जैविक खाद देने की तैयारी कर रहा है. जिले के गौठानों में गाय के गोबर और मूत्र से जैविक खाद तैयार किया जा रहा है.

तैयार किया जा रहा है जैविक खाद

इस जैविक खाद को स्व सहायता समूह की महिलाएं बनाएगी. इसके लिए इनको ट्रेनिंग भी दी जा रही है, वहीं पशुधन विकास विभाग के डिप्टी डायरेक्टर का कहना है कि 'हमारे पास पर्याप्त मात्रा में गोबर होगा, क्योंकि दंतेवाड़ा जैविक जिला है , प्रशासन खाद बनाने की दिशा में जा रही है, जिससे किसानों को कम दामों में बेहतर जैविक खाद प्रदान हो जाएगा.

दंतेश्वरी गौ संवर्धन एवं शोध केंद्र से हुई शुरुआत
अभी फिलहाल छोटे स्तर पर इसकी शुरूआत की जा रही है, दंतेश्वरी गौ संवर्धन एवं शोध केंद्र के सहायक प्रबंधक अखिलेश सिंह ने बताया कि 'गाय के गोबर और गौ मूत्र से जैविक खाद तैयार किया जा रहा है, इसमें छांछ का भी इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही कुछ कल्चर डाले जाते है, करीब एक माह तक इसको ढक कर रखा जाता है

पढ़े:. भाई दूज: भाई को श्राप देकर जीभ में कांटे चुभाने का है यहां रिवाज

इसके बाद पैकिंग होती है. एक एकड़ में 2 बैग 50 kg के पर्याप्त है. जमीन का उपचार भी हो जाता है, फसल भी अच्छी होती है, इस खाद का घोल बना कर छिड़काव भी किया जा सकता है.

Intro:- स्व सहता समूह की महिलाओं की दी जाएगी ट्रेनिंग, तैयार करेंगी किसानों के लिए खाद
- 29 गौठानो से एकत्र होगा गाय का गोबर और गौ मूत्र, इससे तैयार होगा जैविक खाद
- दंतेश्वरी गौ संवर्धन एवं शोध केंद्र से पशु विभाग ने की शुरूआत, किसानों बतौर ट्रायल लैम्पस कराया गया मुहैया
- किसान खाद न मिलने से थे परेशान, रासायनिक खाद बैन होने से पड़ रहा था उत्पादन पर असर
- संवर्धन केंद्र में जिस खाद को तैयार किया जा रहा है,वह जमीन का उपचार भी करेगी
- इसी खाद को तरल कर फसल पर छिड़क भी सकते है, फंगल रोग और इन्सेक्ट को भी नियंत्रण में रखेगा
दंतेवाड़ा। प्रदेश के 27 जिलों में एक मात्र दंतेवाड़ा जिला जैविक जिला है। यहां किसान रासायनिक खाद का इस्तेमाल नही करते है। इस जिले में रासायनिक खाद पूरी तरह से बैन है। पिछले चार सालों से यहां यूरिया और डी ए पी नही मिल रहा है। इस लिये किसानों को थोड़ी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या को दूर करने के लिए पशु विभाग पूरे जिले के किसानों को जैविक खाद देने की तैयारी कर रहा है। जिले के किसानों को गौठानो में एकत्र गाय के गोबर और मूत्र से जैविक खाद तैयार
किया जाएगा। इस जैविक खाद को स्व सहायता समूह की महिलाएं बनाएगी। इसके लिए इनको ट्रेनिंग भी दी जाएगी। पशुधन विकास विभाग के डिप्टी डायरेक्टर का कहना है कि अपने पास पर्याप्त मात्रा में गोबर होगा। चूंकि जैविक जिला है इस लिए प्रशासन जबिक खाद बनाने की दिशा में जा रहा है। जिससे किसानों को कम दामों में बेहतर जैविक खाद प्रदान कर सके।
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Body:दंतेश्वरी गौ संवर्धन एवं शोध केंद्र से हुई शुरुआत
अभी फिलहाल छोटे स्तर पर इसकी शुरूआत हो चुकी है। दंतेश्वरी गौ संवर्धन एवं शोध केंद्र के सहायक प्रबंधक अखिलेश सिंह ने बताया कि गाय के गोबर और गौ मूत्र से जैविक खाद तैयार किया जा रहा है। इसमें छांछ का भी इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही कुछ कल्चर डाले जाते है। करीब एक माह तक इसको ढक कर रखा जाता है। इसके बाद पैकिंग करवा दी जाती है। एक एकड़ में 2 बैग 50 kg के पर्याप्त है। जमीन का उपचार भी हो जाता है। फसल भी अच्छी होती है। इस खाद का घोल बना कर छिड़काव भी किया जा सकता है। इससे रोग उर कीड़े भी फसल पर अपना प्रभाव नही छोड़ते है।


Conclusion:vis
byt - dr अजमेर सिंह
byt- अखिलेश सिंह, गौ संवर्धन एवम शोध केंद्र टेकनार सहायक प्रबंधक
Last Updated : Oct 29, 2019, 11:46 PM IST
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