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ऑपरेशन्स ने तोड़ी कमर, नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए नया प्लान - दंतेवाड़ा न्यूज अपडेट

अंदरूनी इलाकों में नक्सलियों की कमर तोड़ने के लिए अफसरों ने रणनीति बना ली है. इसके तहत 5 इलाकों में कैंप आयोजित किए जाने हैं.

एसपी अभिषेक पल्ल्व
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Published : Oct 22, 2019, 4:59 PM IST

Updated : Oct 22, 2019, 6:42 PM IST

दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन से सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिल रही है. पुलिस और सुरक्षाबलों ने ग्रामीण इलाकों में नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है. इसके तहत 5 इलाकों में कैंप आयोजित किए जाने हैं.

नक्सलियों पर नकेल कसने अफसरों ने बनाई रणनीति

दंतेवाड़ा जिले में 2 दर्जन से अधिक कैंप सड़कों पर लगाए गए हैं. फोर्स के दवाब की वजह से जिले में सड़क काटने, ट्रेन डिरेल करने और आगजनी की वारदातों में कमी आई है. अंदरूनी इलाकों में नक्सलियों की कमर तोड़ने के लिए अफसरों ने रणनीति बना ली है. इलाके में 5 कैंप लगाए जाने हैं. अधिकारियों ने सुरक्षा की दृष्टि से इन जगहों के नाम नहीं बताए हैं.

इसमें कटेकल्याण का टेलम टेटम, दंतेवाड़ा का कामलूर पांडेवार, कुआकोंडा का बुरगुम-निलावाया क्षेत्र हो सकता है.

कटेकल्याण और मलांगिर टूटा तो टूट जाएगी बस्तर नक्सल की रीढ़
जिस तरह से ऑपरेशन प्लान हो रहे हैं और पुलिस अधिकारी रणनीति के साथ वार कर रहे हैं उससे नक्सलियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. पिछले डेढ़ साल में 8 हार्डकोर नक्सली कटेकल्याण एरिया कमेटी के मुठभेड़ में मारे गए हैं, 80 गिरफ्तार हो हुके हैं और 70 ने समर्पण किया है. मलंगिर पर भी नकेल कसने की तैयारी पूरी हो चुकी है.

निलावाया-बुरगुम मुख्य रडार पर
निलावाया-बुरगुम पर भी पुलिस अधिकारियों की नजर है. नीलावाया में 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों ने डीडी न्यूज के फोटो ग्राफर पत्रकार के साथ एसआई को भी मार दिया था. यहां चुनाव करना भी महज औपचारिकता है. अधिकारियों का कहना है कि यहां बंद पड़े स्कूल खुलवाए जाएंगे और काटी गई सड़कों को तैयार फोर्स की तैनाती के दौरान तैयार होगी.

बढ़ते दबाव ने बड़े लीडरों को ओडिशा कूच करने पर किया मजबूर
अधिकारी का दावा है कि मुख्य सड़कों पर नक्सलियों का आतंक कम हो गया है. फोर्स का दबाव खुद नक्सली मान रहे हैं. कटेकल्याण से कई नक्सली ओडिशा में शरण ले चुके हैं.

एसपी अभिषेक पल्लव का कहना है कि नक्सलियों के लिए दंतेवाड़ा तो कतई महफूज नहीं है. अंदरूनी इलाकों से भी ग्रामीण निकल कर बाहर आ रहे हैं. ग्रामीण इलाके की सीमाओं पर भी कैम्प की स्थापना की जानी है. 5 कैम्प स्थापित होने हैं. चिकपाल में कैम्प स्थापित हो चुका है. बारसूर इलाके से लेकर कुआकोंडा में कैंप स्थापित किए जाने है. जैसे ही इन कैंप को स्थापित किया जाएगा, इसके बाद ग्रामीण इलाके में भी जगह छिपने के लिए नक्सलियों को जगह नहीं मिलेगी.

दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन से सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिल रही है. पुलिस और सुरक्षाबलों ने ग्रामीण इलाकों में नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है. इसके तहत 5 इलाकों में कैंप आयोजित किए जाने हैं.

नक्सलियों पर नकेल कसने अफसरों ने बनाई रणनीति

दंतेवाड़ा जिले में 2 दर्जन से अधिक कैंप सड़कों पर लगाए गए हैं. फोर्स के दवाब की वजह से जिले में सड़क काटने, ट्रेन डिरेल करने और आगजनी की वारदातों में कमी आई है. अंदरूनी इलाकों में नक्सलियों की कमर तोड़ने के लिए अफसरों ने रणनीति बना ली है. इलाके में 5 कैंप लगाए जाने हैं. अधिकारियों ने सुरक्षा की दृष्टि से इन जगहों के नाम नहीं बताए हैं.

इसमें कटेकल्याण का टेलम टेटम, दंतेवाड़ा का कामलूर पांडेवार, कुआकोंडा का बुरगुम-निलावाया क्षेत्र हो सकता है.

कटेकल्याण और मलांगिर टूटा तो टूट जाएगी बस्तर नक्सल की रीढ़
जिस तरह से ऑपरेशन प्लान हो रहे हैं और पुलिस अधिकारी रणनीति के साथ वार कर रहे हैं उससे नक्सलियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. पिछले डेढ़ साल में 8 हार्डकोर नक्सली कटेकल्याण एरिया कमेटी के मुठभेड़ में मारे गए हैं, 80 गिरफ्तार हो हुके हैं और 70 ने समर्पण किया है. मलंगिर पर भी नकेल कसने की तैयारी पूरी हो चुकी है.

निलावाया-बुरगुम मुख्य रडार पर
निलावाया-बुरगुम पर भी पुलिस अधिकारियों की नजर है. नीलावाया में 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों ने डीडी न्यूज के फोटो ग्राफर पत्रकार के साथ एसआई को भी मार दिया था. यहां चुनाव करना भी महज औपचारिकता है. अधिकारियों का कहना है कि यहां बंद पड़े स्कूल खुलवाए जाएंगे और काटी गई सड़कों को तैयार फोर्स की तैनाती के दौरान तैयार होगी.

बढ़ते दबाव ने बड़े लीडरों को ओडिशा कूच करने पर किया मजबूर
अधिकारी का दावा है कि मुख्य सड़कों पर नक्सलियों का आतंक कम हो गया है. फोर्स का दबाव खुद नक्सली मान रहे हैं. कटेकल्याण से कई नक्सली ओडिशा में शरण ले चुके हैं.

एसपी अभिषेक पल्लव का कहना है कि नक्सलियों के लिए दंतेवाड़ा तो कतई महफूज नहीं है. अंदरूनी इलाकों से भी ग्रामीण निकल कर बाहर आ रहे हैं. ग्रामीण इलाके की सीमाओं पर भी कैम्प की स्थापना की जानी है. 5 कैम्प स्थापित होने हैं. चिकपाल में कैम्प स्थापित हो चुका है. बारसूर इलाके से लेकर कुआकोंडा में कैंप स्थापित किए जाने है. जैसे ही इन कैंप को स्थापित किया जाएगा, इसके बाद ग्रामीण इलाके में भी जगह छिपने के लिए नक्सलियों को जगह नहीं मिलेगी.

Intro:नक्सलवाद पर नकेल कसने की पूरी तैयारी,शहर सुरक्षित अब ग्रामीण इलाके के लिए मास्टर प्लान तैयार
- सड़को पर कैम्प बैठने से शहर सुरक्षित हो गए है, गांव की दहशत भी जल्द समाप्त होगी
- पहला काम होगा बंद पड़े स्कूल फिर से खुलेंगे बिछेगा सड़को का जाल
दंतेवाड़ा। जिले में दो दर्जन से अधिक कैम्प सडकों पर स्थापित है। फोर्स का दबाव इतना बढ़ा है कि जिले में सड़क काटना,ट्रेन डीरेल,आगजनी की वारदातों में भारी कमी आई है। अब पुलिस अधिकारियों का मास्टर प्लान ग्रामीण इलाके के लिए है। अंदरूनी इलाके में नक्सलवाद की सीमा को सील करने का ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया गया है। हालांकि अधिकारी सुरक्षागत कारणों का हवाला दे कर ये नही बता रहे है कि कैम्प कहा स्थापित होना है। लेकिन पांच कैम्प और स्थापित होने है। इसमें कटेकल्याण का टेलम टेटम,दंतेवाड़ा का कामलूर पांडेवार, कुआकोंडा का बुरगुम-निलावाया बतया जा रहा है।
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कटेकल्याण और मलांगिर टूटा तो टूट जाएगी बस्तर नक्सल की रीढ़
जिस तरह से ऑप्स पालन हो रहे और पुलिस अधिकारी रणनीति के साथ वार कर रहे है, व लाल आतंक के लिए बेहद चिंताजनक है। पिछले डेढ़ साल में 8 हार्डकोर नक्सली कटेकल्याण एरिया कमेटी के मुठभेड़ में मारे गए है । 80 गिरफ्तार हो हुके है। 70 ने समर्पण किया है। मलंगिर पर भी नकेक कसने की तैयारी पूरी हो चुकी है।



Body:निलावाया-बुरगुम मुख्य रडार पर
निलावाया-बुरगुम पुलिस अधिकारियों की नजर खटक रहा है। नीलावाया में विधानसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों ने डीडी न्यूज के फोटो ग्राफर पत्रकार के साथ एसआई को भी मार दिया था। यहां चुनाव करना भी महज औपचारिकता है। अधिकारियों का कहना है कि यहां बैंड पड़े स्कूल खुलवाए जाएंगे और काटी गई सडकों को तैयार फोर्स की तैनाती के दौरान तैयार होगी।
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बढ़ते दबाव ने बड़े लीडरों को ओडिशा कूच करने पर किया मजबूर
मुख्य सड़कों पर नक्सलियों का उपद्रव समाप्त हो चुका है। फोर्स का दबाव खुद नक्सली मां रहे है। कटेकल्याण से कई नक्सली ओडिशा में शरण ले चुके है। जैसे- जैसे कायम स्थापित हो रहे ,ग्रामीण भी पुलिस का सहयोग कर रहे है। माओवादियो की थोपी गई विचारधारा से ऊब चुके है।



Conclusion:sp डॉ अभिषेक पल्लव का कहना है कि नक्सलियों के लिए दंतेवाड़ा तो कतई महफूज नही है। अंदरूनी इलाको से भी ग्रामीण निकल कर बाहर आ रहे है। ग्रामीण इलाके की सीमाओं पर भी कैम्प की स्थापना की जानी है। 5 कैम्प स्थापित होने है। चिकपाल में कैम्प स्थापित हो चुका है। बारसूर इलाके से लेकर कुआकोंडा में स्थापित किए जाने है। जैसे ही इन कैम्प को स्थापित किया जाएगा, इसके बाद ग्रामीण इलाके में भी जगह छुपने के लिए माओवादियो को नही मिलेगी।
Last Updated : Oct 22, 2019, 6:42 PM IST
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