दंतेवाड़ा: भांसी-बचेली के बीच नक्सलियों ने 45 मिनट तक पैसेंजर ट्रेन को रोके रखा है. घटना देर रात की है. नक्सलियों ने ट्रेन को रोककर पैसेंजर से 26 अप्रैल को भारत बंद को सर्थन देने की मांग की है. नक्सलियों ने ट्रेन में भारत बंद के समर्थन में बैनर-पोस्टर लगाए.
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घटना की पुष्टि करते हुए दंतेवाड़ा के एसपी ने बताया कि नक्सलियों ने करीब 45 मिनट तक ट्रेन को रोके रखा था. हालांकि इस दौरान नक्सलियों ने किसी पैसेंजर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. नक्सलियों ने बीच जंगल में ट्रेन को रोके रखा था.
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नक्सलियों के पास वॉकी-टॉकी होने की भी खबर मिली है. नक्सलियों ने एक इंजन और एक बोगी को बेपटरी कर दिया है. करीब 45 मिनट तक तांडव मचाने के बाद नक्सलियों ने ट्रेन को छेड़ दिया. सुरक्षा बल के जवान मौके के लिए रवाना हुए हैं.
सड़क निर्माण में लगे 8 वाहनों को नक्सलियों ने फूंका
छत्तीसगढ़ नक्सलवाद से प्रभावित है और पहले भी नक्सलियों ने कई बड़े हमले को अंजाम दिए हैं. नक्सली सड़क निर्माण में लगे वाहनों के साथ कई बार सड़कों को नुसकान पहुंचा चुके हैं. इस बार नक्सलियों ने ट्रेन को ही रोक लिया है.
नक्सलियों की करतूत पर एक नजर
श्यामगिरी: 9 अप्रैल 2019
दंतेवाड़ा के लोकसभा चुनाव में मतदान से ठीक पहले नक्सलियों ने चुनाव प्रचार के लिए जा रहे भाजपा विधायक भीमा मंडावी की कार पर हमला किया था. माओवादियों के इस हमले में भीमा मंडावी के अलावा उनके चार सुरक्षाकर्मी भी मारे गये थे.
दुर्गपाल: 24 अप्रैल 2017
सुकमा ज़िले के दुर्रपाल के पास नक्सलियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 25 जवान उस समय मारे गये, जब वे सड़क निर्माण में सुरक्षा के बीच खाना खा रहे थे.
दरभा: 25 मई 2013
बस्तर के दरभा घाटी में हुए इस माओवादी हमले में आदिवासी नेता महेंद्र कर्मा, कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 30 लोग मारे गए थे.
धोड़ाई: 29 जून 2010
नारायणपुर जिले के धोड़ाई में सीआरपीएफ के जवानों पर माओवादियों ने हमला किया. इस हमले में पुलिस के 27 जवान मारे गए.
दंतेवाड़ा: 17 मई 2010
एक यात्री बस में सवार हो कर दंतेवाड़ा से सुकमा जा रहे सुरक्षाबल के जवानों पर माओवादियों ने बारूदी सुरंग लगा कर हमला किया था, जिसमें 12 विशेष पुलिस अधिकारी समेत 36 लोग मारे गए थे.
ताड़मेटला: 6 अप्रैल 2010
बस्तर के ताड़मेटला में सीआरपीएफ के जवान सर्चिंग के लिए निकले थे, जहां संदिग्ध माओवादियों ने बारुदी सुरंग लगा कर 76 जवानों को मार डाला था.
मदनवाड़ा: 12 जुलाई 2009
राजनांदगांव के मानपुर इलाके में माओवादियों के हमले की सूचना पा कर पहुंचे पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार चौबे समेत 29 पुलिसकर्मियों पर माओवादियों ने हमला बोला और उनकी हत्या कर दी.
उरपलमेटा: 9 जुलाई 2007
एर्राबोर के उरपलमेटा में सीआरपीएफ और ज़िला पुलिस का बल माओवादियों की तलाश कर के वापस बेस कैंप लौट रहा था. इस दल पर माओवादियों ने हमला बोला, जिसमें 23 पुलिसकर्मी मारे गए.
रानीबोदली: 15 मार्च 2007
बीजापुर के रानीबोदली में पुलिस के एक कैंप पर आधी रात को माओवादियों ने हमला किया और भारी गोलीबारी की. इसके बाद कैंप को बाहर से आग लगा दिया. इस हमले में पुलिस के 55 जवान मारे गए.